सुमित कुमार, पटना : केंद्र सरकार ने टीबी (ट्यूबरोक्लोसिस) रोग को वर्ष 2025 तक देश से पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है. लेकिन, बिहार में निजी क्षेत्र की लापरवाही इस बीमारी के मरीजों की पहचान में भारी पड़ रही है. राज्य सरकार के एक अनुमान के मुताबिक सूबे में प्रति एक लाख पर 217 टीबी पीड़ित मरीज होने चाहिए, लेकिन वर्तमान में प्रति लाख पर मात्र 87 मरीज की पहचान ही संभव हो सकी है. सरकार इसकी मुख्य वजह निजी हॉस्पीटल, नर्सिंग होम या डॉक्टर के पास पहुंचने वाले मरीजों की जानकारी नहीं दिया जाना मानती है.
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जहानाबाद के निजी नर्सिंग होम-अस्पतालों में एक भी टीबी मरीज नहीं, मधुबनी में महज दो
सुमित कुमार, पटना : केंद्र सरकार ने टीबी (ट्यूबरोक्लोसिस) रोग को वर्ष 2025 तक देश से पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है. लेकिन, बिहार में निजी क्षेत्र की लापरवाही इस बीमारी के मरीजों की पहचान में भारी पड़ रही है. राज्य सरकार के एक अनुमान के मुताबिक सूबे में प्रति एक लाख पर […]
अधिसूचनीय रोग होने के बावजूद नहीं दे रहे जानकारी : टीबी के केस पर नजर रखने व उनका इलाज सुनिश्चित करने को लेकर भारत सरकार ने मई 2012 में टीबी को अधिसूचनीय रोग का दर्जा दिया. इसका मतलब सभी सरकारी या निजी अस्पताल, स्वास्थ्य सेवा प्रदाता, गैर सरकारी संस्थान व निजी डॉक्टर को हर टीबी केस की जानकारी स्थानीय अधिकारी को देनी है.
इसका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए मार्च 2018 में गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया. नोटिफिकेशन के मुताबिक अगर कोई डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी या दवा विक्रेता टीबी के केस को रिपोर्ट नहीं करते हैं तो उनको आइपीसी की धारा 269 व 270 के तहत दो साल तक की जेल हो सकती है. बावजूद निजी क्षेत्र से इसकी जानकारी नहीं मिल रही.
हर रजिस्टर्ड डॉक्टर के पास नोटिफिकेशन रजिस्टर
स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ मेजर केएन सहाय के मुताबिक मोबाइल एप से निजी क्षेत्र के डॉक्टर व अस्पताल खुद मरीज को नोटिफाई कर सकते हैं. साथ ही तमाम रजिस्टर्ड डॉक्टरों को नोटिफिकेशन रजिस्टर की कॉपी भी दी गयी है. नर्सिंग होम या अस्पताल जिला यक्ष्मा पदाधिकारी के इ-मेल पर भी मरीज की सूचना दे सकते हैं.
पीड़ित मरीज की सूचना देने पर निजी क्षेत्र के लिए प्रति मरीज 500 रुपये की प्रोत्साहन योजना लागू है. मरीज की जानकारी देने वाले इंफॉर्मर को भी प्रति मरीज 500 रुपये जबकि नये मरीजों को इलाज अवधि के दौरान प्रतिमाह 500 रुपये की दर से पोषण सहायता राशि
दी जाती है.
नौ जिलों में निजी क्षेत्र से अधिसूचित मरीज 100 से भी कम
दवाओं की खपत के आंकड़ों के हिसाब से 60 से अधिक टीबी निजी क्षेत्र में ही इलाज कराते हैं. लेकिन, राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित टीबी मरीजों में सिर्फ पटना और दरभंगा में ही सरकारी के मुकाबले निजी क्षेत्र से अधिक मरीज मिले हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में नौ जिलों में निजी क्षेत्र से अधिसूचित मरीजों की संख्या 100 से भी कम रही. बांका में मात्र चार, बक्सर में 20, जहानाबाद में शून्य, खगड़िया में 18, मधुबनी में दो, सहरसा में 12, शेखपुरा में छह, शिवहर में 15 व सुपौल में मात्र 12 टीबी मरीज ही निजी क्षेत्र से अधिसूचित किये गये.
केंद्र सरकार के मापदंडों के मुताबिक 60 फीसदी मरीज निजी क्षेत्र से होने चाहिए, लेकिन उसके अनुरूप निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता संस्थानों से नोटिफिकेशन नहीं हो पा रहा. यह दंडनीय अपराध है. अधिक से अधिक मरीजों की पहचान हो सके इसके लिए 19 जिलों में प्राइवेट एजेंसी के सहयोग से अभियान चलाया जायेगा.
मनोज कुमार, कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार
पिछले एक साल में पाये गये मरीज
जिला सरकारी निजी क्षेत्र
अधिसूचित अधिसूचित
अररिया 2077 769
अरवल 333 145
औरंगाबाद 1381 649
बांका 892 04
बेगूसराय 2051 748
भागलपुर 3381 1613
भोजपुर 1347 547
बक्सर 1250 20
दरभंगा 3637 6627
गया 3104 4725
गोपालगंज 2228 663
जमुई 1173 375
जहानाबाद 545 00
जिला सरकारी निजी क्षेत्र
अधिसूचित अधिसूचित
कैमूर 1089 268
कटिहार 2172 1134
खगड़िय 976 18
किशनगंज 1164 289
लखीसराय 558 132
मधेपुरा 877 501
मधुबनी 2260 02
मुंगेर 1400 262
मुजफ्फरपुर 4231 745
नालंदा 918 304
नवादा 878 148
पश्चिम चंपारण 1735 115
पटना 4720 14844
जिला सरकारी निजी क्षेत्र
अधिसूचित अधिसूचित
पूर्वी चंपारण 2197 919
पूर्णिया 2452 665
रोहतास 1445 498
सहरसा 1072 12
समस्तीपुर 3505 1424
सारण 2984 466
शेखपुरा 336 06
शिवहर 272 15
सीतामढ़ी 1848 843
सीवान 2479 836
सुपौल 1006 12
वैशाली 1912 820
कुल 67885 42163
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