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साल 1950 जब बिहार में गिरा था पहला उल्का पिंड, तेज आवाज से इलाके में मची थी दहशत

पटना संग्रहालय में रखे हैं तीन और उल्का पिंड: डॉ चितरंजन प्रसाद सिन्हापटना : बिहार के अलग अलग हिस्से में गिरे तीन उल्का पिंड पटना संग्रहालय में सुरक्षित हैं. काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ चितरंजन प्रसाद सिन्हा कहते हैं कि पहला उल्का पिंड 23 मई 1950 को 3 बजे दिन में […]

पटना संग्रहालय में रखे हैं तीन और उल्का पिंड: डॉ चितरंजन प्रसाद सिन्हा
पटना : बिहार के अलग अलग हिस्से में गिरे तीन उल्का पिंड पटना संग्रहालय में सुरक्षित हैं. काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ चितरंजन प्रसाद सिन्हा कहते हैं कि पहला उल्का पिंड 23 मई 1950 को 3 बजे दिन में मधेपुरा शहर में एक गोदाम पर तेज गर्जना के साथ दोहरी चादरे के छत को फाड़ता हुआ धरती पर गिरा था, इसके आवाज से इलाके में दहशत मच गयी थी. एक अंजान सा डर लोगों के मन में घर कर गया था. इस उल्का पिंड को जांच परख के बाद पटना संग्रहालय को सौंप दिया गया था.

दूसरी बार 11 अप्रैल 1964 को 5 बजे एक ही समय में दो स्थानों पर उल्का पिंड गिरे थे. पहला गंडक नदी के पूरब मुजफ्फरपुर जिले के पारु थाना में रेवाघाट के नजदीक एक खेत में और दूसरा गंडक के पश्चिम, सारण जिले के परसा थाना में एक गांव के पास खेत में उल्का पिंड गिरा था. दोनों उल्का पिंडों को संयुक्त रूप से मुजफ्फरपुर उल्का पिंड (मुजफ्फरपुर मिटियोराइट) के नाम से जाना जाता है. इन पिंडों को भी जांच के बाद पटना संग्रहालय को सौंप दिया गया था.

वे कहते हैं कि मुजफ्फरपुर उल्का पिंड अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है. यह संसार में “इंटरप्टेड स्ट्रक्चर” के साथ अकेला ‘निकल-बहुल लौह उल्का पिंड’ है. यह अपनी तरह का भारत का पहला तथा विश्व में 37 वां इस तरह का उल्का पिंड है. अमेरिका के स्मिथसोनियन इंस्टिट्यूट के डॉ हैंडरसन के अनुसार मुजफ्फरपुर उल्का पिंड सौरमंडल से आया है, जिसका एक सदस्य पृथ्वी भी है. यूएसए एटॉमिक कमीशन के डॉ जॉन एम पोमेरॉय इस उल्का पिंड के उद्भव का एक थ्योरी प्रस्तावित करते हुए बताते हैं कि यह उल्का पिंड कभी एक प्राचीन ग्रह का भाग रहा होगा जो सूर्य से करीब 250 मिलियन मील दूर मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच सूर्य की परिक्रमा करता था.

बिहार म्यूजियम पहुंचा मधुबनी से मिला उल्का पिंड

मधुबनी से मिला उल्का पिंड गुरुवार की देर शाम को बिहार म्यूजियम में पहुंच गया. इसे म्यूजियम की किसी दीर्घा में जल्द ही प्रदर्शित किया जायेगा ताकि आमलोग इस उल्का पिंड को आसानी से देख सकें. बिहार म्यूजियम प्रशासन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बाद इसे विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग से जाकर इसे प्राप्त किया और फिर उसे विशेषज्ञों की देखरेख में म्यूजियम में देर शाम लाया गया. विज्ञान और प्रावैधिकी विभाग के अपर सचिव ने म्यूजियम में आकर इसके लिए प्रॉपर स्थान को देखा. अभी स्थान का पूर्णत: चयन नहीं किया गया है. इसके साथ ही इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं मिल सकी है. इस कारण इसे कबतक डिस्प्ले कर दिया जायेगा इसकी तिथि तय नहीं हो सकी है. म्यूजियम की एडमिन इंचार्ज मौमिता घोष ने बताया कि हमलोग इसके बारे में सभी जरूरी जानकारी मिल जाने के बाद किसी एक दीर्घा में डिस्प्ले कर देंगे. अभी कोई तिथि बताना संभव नहीं है. मालमू हो कि 22 जुलाई 2019 को मधुबनी जिले के लौकही अंचल के ग्राम महादेव में उल्का पिंड गिरा था. जिसे जांच के लिए बुधवार को लाया गया. इसका मुख्यमंत्री ने निरीक्षण करते हुए कहा था कि बिहार म्यूजियम में इसे आमलोगों को देखने के लिए रखा जायेगा.

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