पटना : भाजपा विधानमंडलदल के नेता सुशील मोदी ने बुधवार को कहा है कि आठ वर्षो में बिहार के विकास का श्रेय सिर्फ जदयू को नहीं दिया जा सकता. नीतीश कुमार में राजनीतिक ईमानदारी होती, तो वे भाजपा को भी इसका श्रेय देते. उक्त बातें उन्होंने वित्त मंत्री अरूण जेटली के आर्थिक सव्रेक्षण रिपोर्ट में आठ वर्षो में हुए बिहार की प्रगति का श्रेय खुद नीतीश कुमार द्वारा लिये जाने पर कही.
उन्होंने कहा कि जिन उपलब्धियों को नीतीश कुमार गिना रहे हैं, तब बिहार में भाजपा-जदयू की मिली जुली सरकार थी. भाजपा कोटे के मंत्रियों के अथक प्रयास का ही नतीजा था कि बिहार आगे बढ़ा. भाजपा-जदयू गंठबंधन टूटने के बाद अचानक विकास के हर क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गयी. गंठबंधन टूटने के बाद यदि नीतीश कुमार में दम होता, तो विकास की रफ्तार को बरकरार रखते.
उन्हें यह बताना चाहिए कि जिस कांग्रेस और राजद के भरोसे बिहार में जोड़-तोड़ की सरकार चला रहे हैं, केंद्र में जब दोनों की सरकार थी, तब उसने बिहार को क्या दिया? उन्होंने पूछा कि वर्ष 2012-13 में बिहार की विकास दर जहां 15.05 प्रतिशत थी, वहीं 2013-14 में घट कर 8.82 प्रतिशत, यानी आधी क्यों हो गयी? पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो वित्त मंत्री का पद भी संभाले हुए थे, के नेतृत्व में प्रदेश में आर्थिक विकास दर में सर्वाधिक गिरावट क्यों आयी? क्या उनका ‘विकास पुरुष’ होने का झूठा दंभ नहीं टूटा?