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भगवान भरोसे छोटे भवनों की इलेक्ट्रिक फायर सेफ्टी

पटना : राजधानी में कई ऐसे पुराने घर हैं, जहां की वायरिंग पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. इलेक्ट्रिक फायर सेफ्टी मानकों के पूरी तरह विरुद्ध हैं, लेकिन न तो कोई एजेंसी इसको देखने वाली है और न ही दुरुस्त करने के संबंध में कोई निर्देश अब तक बनाये गये हैं. बिजली कंपनी अपनी जिम्मेदारी […]

पटना : राजधानी में कई ऐसे पुराने घर हैं, जहां की वायरिंग पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. इलेक्ट्रिक फायर सेफ्टी मानकों के पूरी तरह विरुद्ध हैं, लेकिन न तो कोई एजेंसी इसको देखने वाली है और न ही दुरुस्त करने के संबंध में कोई निर्देश अब तक बनाये गये हैं.

बिजली कंपनी अपनी जिम्मेदारी केवल पोल से घरों तक लाइन ले जाने और मीटर बिठाने के बाद उससे ठीकठाक आउटपुट निकलने तक बताता है. उसके बाद घरों की वायरिंग, मेन स्वीच और अन्य इलेक्ट्रिक फायर सेफ्टी के मानकों की जांच या निरीक्षण करने का उसे अधिकार नहीं है. ऐसे में छोटे भवनों की इलेक्ट्रिक फायर सेफ्टी भगवान भरोसे ही है और सूरत जैसे दुर्घटना की आशंका मंडरा रही है.
उपकरण जल जाता पर नहीं जलता फ्यूज
मोटा फ्यूज भी अगलगी की एक बड़ी वजह बन रहा है. इसके कारण कई बार हाई वोल्टेज या शॉर्ट सर्किट होने पर वायरिंग समेत अन्य उपकरण जल जाते हैं, लेकिन फ्यूज नहीं उड़ता.
पोल के बैनर खतरनाक
पोल पर बंधे बैनर खतरनाक हैं. इनके फट कर तार से चिपटने के कारण कई बार अगलगी हो चुकी है. पिछले वर्ष हरिहर चेंबर के पास भी ऐसा हुआ था. ट्रांसफार्मर के नीचे लगी दुकान भी अगलगी की वजह बनती हैं. लेकिन अतिक्रमण बता कर इसको हटाने की जिम्मेवारी विद्युत कंपनी नगर निगम की बताता है.
30-40 वर्ष पुरानी वायरिंग का उपयोग
पटना के ज्यादातर पुराने घरों में लोग अब भी उसी पुरानी वायरिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं जो 30-40 वर्ष पहले मकान के निर्माण के समय लगवाये गये थे. इतने वर्षोें में वायरिंग जर्जर हो गयी, मेनस्वीच में भी जंग पकड़ने लगा है. एकमंजिला की जगह तीनमंजिला भवन बनने और एसी जैसे हाई वोल्टेज उपकरणों के इस्तेमाल से लोड भी कई गुना बढ़ गया. इसके बावजूद वायरिंग की मोटाई और मेनस्वीच जैसे बेसिक उपकरणों की क्षमता नहीं बढ़ायी गयी.
एचटी कनेक्शन की बेहतर सुपरविजन व्यवस्था
एचटी कनेक्क्शन की सुपरविजन व्यवस्था बेहतर है. इसके अंतर्गत अपार्टर्मेंटों या बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के द्वारा अपना ट्रांसफार्मर बिठाने के समय ऊर्जा विभाग का इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर भवन की वायरिंग और अन्य इलेक्ट्रिक सेफ्टी मानकों की जांच करता है.
उसके बाद ही कनेक्शन दिया जाता है. सुरक्षा के लिए एक सर्किट ब्रेकर भी लगाया जाता है और सर्किट ब्रेक होने पर लोकल फॉल्ट और उपकरणों की दुबारा जांच का भी प्रावधान है. इलेक्ट्रिक वर्कस डिविजन के जिम्मे सरकारी भवनों के विद्युत व्यवस्था की देखरेख की जिम्मेदारी है.

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