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पटना : सात साल में 63 गुना बढ़ा साइबर क्राइम

पटना : प्रदेश में साइबर अपराध का ग्राफ काफी तेजी से बढ़ा है. 2012 में साइबर अपराध और ठगी की 20 घटनाएं हुई थी, जो 2018 तक बढ़ कर 1274 पर पहुंच गयी है. पिछले सात वर्षों में इसमें 63 गुना वृद्धि हुई है. साइबर अपराध की घटनाओं में इतनी तेज वृद्धि की बड़ी वजह […]

पटना : प्रदेश में साइबर अपराध का ग्राफ काफी तेजी से बढ़ा है. 2012 में साइबर अपराध और ठगी की 20 घटनाएं हुई थी, जो 2018 तक बढ़ कर 1274 पर पहुंच गयी है. पिछले सात वर्षों में इसमें 63 गुना वृद्धि हुई है. साइबर अपराध की घटनाओं में इतनी तेज वृद्धि की बड़ी वजह ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का तेजी से बढ़ना है. एटीएम फ्रॉड की घटनाएं भी दिन-पर-दिन बढ़ती जा रही हैं.
बुजुर्ग हो रहे अधिक शिकार : साइबर ठगी के अधिक शिकार बुजुर्ग हो रहे हैं. कम कंप्यूटर फ्रेंडली होने की वजह से ये सुरक्षा संबंधी प्रावधानों का पूरा ध्यान नहीं रख पाते हैं. दूसरों की मदद लेने के क्रम में या मांगने पर इनमें से कई लोग आसानी से अपने पासवर्ड व ओटीपी दूसरों को दे देते हैं, जिससे उनके कार्ड के बेजा इस्तेमाल हो जाता है और वे साइबर ठगी के शिकार हो जाते हैं.
रखें विशेष ध्यान
एटीएम ने आम लोगों के वित्तीय जीवन को बेहद आसान और सरल बना दिया. लाइन में लगने की झंझट खत्म कर दी है. एटीएम से पैसे निकालने के अलावा डिजिटल ट्रांजेक्शन भी किया जा सकता है. पर आज डिजिटल ट्रांजेक्शन पर साइबर हमले का खतरा, एटीएम टेंपरिंग और एटीएम कार्ड की क्लोनिंग जैसी घटनाएं बढ़ गयी हैं. तमाम ऐसे लोग हैं, जिनके एटीएम की क्लोनिंग कर किसी दूर-दराज के इलाके से पैसे निकालने की घटनाएं सामने आयी हैं. कुछ उपायों को अपना कर इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता है.
क्या न करें : यूजर आइडी, पासवर्ड, एम पिन, ओटीपी आदि गोपनीय सूचनाएं मांगने वालों को कोई जानकारी न दें. n आपके डेबिट कार्ड की समाप्ति तिथि तथा कार्ड संबंधी सूचनाएं आदि बैंक द्वारा नहीं मांगी जाती हैं.
कोई भी वित्तीय लेन-देन साझा करते समय मोबाइल एप्लीकेशन पर सार्वजनिक वाइफाइ नेटवर्क का इस्तेमाल नहीं करें. सार्वजनिक वाइफाइ नेटवर्क असुरक्षित होते हैं. n किसी अनजान इ-मेल अटेचमेंट को नहीं खोलें. इसमें वाइरस हो सकता है, जो वित्तीय डाटा चुरा सकता है. n किसी भी अनजान एप्लीकेशन पर अपने डेबिट, क्रेडिट कार्ड और मोबाइल नंबर को सेव न करें.

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