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सूबे के बीमार उद्योगों की सुधरेगी सेहत

पटना: राज्य के बीमार उद्योगों की सहायता के लिए सरकार ने एक फंड बनाया है. 50 करोड़ रुपये के साथ इस रिवॉल्विंग फंड (चक्रीय निधि) की शुरुआत की गयी है. फंड से बीमार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों में नयी जान फूंकने के लिए मामूली ब्याज पर कर्ज मिलेगा. बीमार औद्योगिक इकाइयों के दर्जनों सहायता […]

पटना: राज्य के बीमार उद्योगों की सहायता के लिए सरकार ने एक फंड बनाया है. 50 करोड़ रुपये के साथ इस रिवॉल्विंग फंड (चक्रीय निधि) की शुरुआत की गयी है. फंड से बीमार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों में नयी जान फूंकने के लिए मामूली ब्याज पर कर्ज मिलेगा. बीमार औद्योगिक इकाइयों के दर्जनों सहायता प्रस्ताव उद्योग विभाग के पास विचाराधीन हैं. सूत्रों का कहना है कि इस बारे में विभाग जल्दी ही आदेश जारी कर सकता है.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) की परिभाषा के मुताबिक और उद्योग विभाग की शीर्ष समिति द्वारा बीमार घोषित हो चुकी राज्य की औद्योगिक इकाइयों की मदद के लिए यह फंड बनाया गया है. बीमार घोषित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमइ) को इसका लाभ मिलेगा. इस फंड से सहायता पाने के लिए बीमार उद्योगों के मालिकों को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विकास संस्थान (एमएसएमइडीआइ), पटना में निर्धारित प्रपत्र में आवेदन करना होगा. बीमार उद्योग के लिए आरबीआइ द्वारा तय मानकों को पूरा करना जरूरी है. राज्य के उद्योग विभाग की शीर्ष समिति आवेदनों की जांच के बाद तय करेगी कि सहायता देनी है या नहीं. सरकार की ओर से नियुक्त एजेंसी सहायता प्रस्ताव की जांच कर शीर्ष समिति को रिपोर्ट देगी. रिपोर्ट के आधार पर ही आर्थिक सहायता के बारे में फैसला लिया जायेगा.

पांच प्रतिशत ब्याज दर पर सॉफ्ट लोन

रिवॉल्विंग फंड की 50 प्रतिशत राशि बिहार स्टेट क्रेडिट एंड इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (बिसिको) के पास और 50 प्रतिशत राशि बिहार स्टेट फाइनेंशियल कॉरपोरेशन (बीएसएफसी) के पास रखी जायेगी. शीर्ष समिति से मंजूरी पा चुके सूक्ष्म और लघु उद्योगों के प्रस्तावों को आर्थिक सहायता के लिए बीएसएफसी के पास भेजा जायेगा. मध्यम औद्योगिक इकाइयों के सहायता प्रस्तावों को बिसिको के पास भेजा जायेगा. बीएसएफसी और बिसिको पांच प्रतिशत ब्याज दर पर सॉफ्ट लोन के रूप में बीमार इकाइयों को सहायता राशि उपलब्ध करायेंगे. ऐसी औद्योगिक इकाइयां पूरी तरह सक्षम होने तक उद्योग विभाग की निगरानी में रहेंगी.

मशीन और प्लांट पर लागत खर्च की 30 प्रतिशत तक राशि सहायता के रूप में मिलेगी. लेकिन, सहायता राशि की अधिकतम सीमा 2.5 करोड़ रुपये है.

औद्योगिक इकाइयों की श्रेणी : जिन औद्योगिक इकाइयों के प्लांट और मशीन पर 25 लाख रुपये तक की लागत आयी हो, वे सूक्ष्म इकाई की श्रेणी में हैं. मशीन और प्लांट पर 25 लाख एक रुपये से पांच करोड़ तक की लागतवाली इकाइयां लघु उद्योग की श्रेणी में हैं. इसी तरह मशीन और प्लांट पर पांच करोड़ से दस करोड़ रुपये तक की लागतवाली इकाइयों को मध्यम उद्योग की श्रेणी में रखा गया है.

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