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पद्म पुरस्कारों से सम्मानित बिहार की विभूतियों ने प्रभात खबर से कही मन की बात
मिथिला पेंटिंग महज एक पेंटिंग नहीं, एक साधना करने के जैसा है. जो जितना डूबेगा, बेहतर करेगा. यह कहना है मिथिला पेंटिंग की प्रसिद्ध कलाकार गोदावरी दत्त का. साल 2019 में कला के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित गोदावरी दत्त कलाकारों की उस पीढ़ी में से हैं, जो केवल और केवल मिथिला पेंटिंग की बेहतरी […]
मिथिला पेंटिंग महज एक पेंटिंग नहीं, एक साधना करने के जैसा है. जो जितना डूबेगा, बेहतर करेगा. यह कहना है मिथिला पेंटिंग की प्रसिद्ध कलाकार गोदावरी दत्त का. साल 2019 में कला के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित गोदावरी दत्त कलाकारों की उस पीढ़ी में से हैं, जो केवल और केवल मिथिला पेंटिंग की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं.
जगदंबा देवी, सीता देवी, गंगा देवी, महासुंदरी देवी, बउआ देवी के बाद गोदावरी दत्त का भी नाम उस सूची में जुड़ गया है, जिन्हें कला के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिलेगा. पद्मश्री पुरस्कार मिलने की घोषणा होने के बाद सुजीत कुमार ने गोदावरी दत्त से कई बिंदुओं पर बातें कीं.
सरकार की तरफ से पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा हुई है. मैं तो बस अपना काम करती रही. इस बारे में कभी सोचा ही नहीं कि मुझे यह सम्मान भी मिलेगा. बस एक ही धुन थी कि कैसे मिथिला पेंटिंग के लिए बेहतर से बेहतर करना है. मैं बस लगातार अपने काम काे करने में लगी रही. ये बात भी है कि सभी लोग मुझसे प्यार करते हैं. लोगों को यह तमन्ना थी कि मुझे यह सम्मान मिले. आज लोगों की तमन्ना भी पूरी हो गयी.
आपकी नजर में मिथिला पेंटिंग क्या है? यह जीवन सेे कैसे जुड़ी हुई है? यह बहुत पुरानी प्रथा है. सीता राम की शादी में जो पाया गया, यह उसी लिहाज में आया. सालों पहले जैसी यह थी, आज भी वैसी ही है. यह हमेशा के लिए है.
इस पेंटिंग का भविष्य क्या है?
ललित नारायण मिश्र जब रेलमंत्री थे तो अक्सर बाहर जाते रहते थे. देश के विभिन्न जगहों पर जब वह जाते थे तो वहां की पेंटिंग या कला को देखते थे. यूपी में वहां की कला, बंगाल में वहां की कला देखते थे, लेकिन बिहार की कोई ऐसी कला उनको नजर नहीं आती थी जिसे वह बिहार से बाहर भी देख सकें. वह पहले ऐसे इंसान थे जिन्होंने मिथिला पेंटिंग को गांव से बाहर निकालने का प्रयास किया. अब मिथिला पेंटिंग बिहार से बाहर निकली और इसे लोग जानने लगे.
आपने कितने वर्ष की उम्र से सीखना शुरू किया था?
मेरा जन्म दरभंगा जिले के बहादुरपुर गांव में हुआ था और करीब 18 साल की ही उम्र में मेरी शादी मधुबनी जिले के राॅटी गांव में हुई. मैं जब पांच या छह साल की थी तो अपनी मां से इस पेंटिंग को बनानी सीखी थी. जीवन में कुछ ऐसे पल भी आये जब मुझे अपना सहारा खुद बनना पड़ा. इसी क्रम में मैंने मिथिला पेंटिंग को अपनाया. यह मेरे जीवन यापन का संबल बना. इस कला से मुझे बहुत शोहरत मिली. जहां तक पसंदीदा पेंटिंग की बात है तो मुझे सब अच्छे लगते हैं. मैं चाहती हूं कि बच्चे इसे सीखें. वह जब सीखेंगे तो पेंटिंग को भी लाभ होगा और वह खुद आगे बढ़ेंगे.
आज मिथिला पेंटिंग भी बाजारवाद से अछूती नहीं है?
सरकारी स्तर पर जो उपाय हो रहे हैं. वह बहुत अच्छी बात है. सरकार अपने स्तर पर कई प्रोग्राम कर रही है. इससे बिचौलियों की भूमिका काफी हद तक खत्म होगी. ऑनलाइन मार्केटिंग की बात हो रही है. मिथिला पेंटिंग घर-घर में बनती है. इसमें कई लोगों को काम मिल जाता है. कलाकार उन पेंटिंग को बेचने के लिए बिचौलियों पर ही निर्भर रहते हैं. वह भी बिना उचित मूल्य के पेंटिंग को खरीदते रहते हैं. इससे किसी और का भला हो, लेकिन कलाकारों का भला नहीं होता था. सरकारी स्तर पर जो प्रयास होगा, वह बहुत अच्छा ही होगा. बिचौलियावाद खत्म होगा. परिश्रम को उचित सम्मान मिलेगा.
गांवों के गरीब-गुरबों का बढ़ा मान : हुकुमदेव
मधुबनी के भाजपा सांसद हुकुमदेव नारायण यादव ने कहा कि केंद्र सरकार का उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार दिया जाना गर्व की बात है. गावों में रहने वाले गरीब-गुरबों को इससे गौरव महसूस होगा. करिया मुंडा और मेरे जैसे लोग इसी परिवेश से आते हैं. उन्होंने कहा कि पद्म भूषण अवार्ड मिलने का आभास पहले से था, लेकिन शुक्रवार को इसकी आधिकारिक जानकारी मिली. यह अच्छा फैसला है, व्यापक है. ज्यादातर पिछड़े और दलित तबके के लोगों का इसके लिए चयन किया गया है. सरकार ने यह साबित कर दिया है कि उनकी फोकस में दलित, पिछड़े और गांवों में रहने वाले गरीब लोग ही हैं.
यह उस प्रोजेक्ट को पहचान:सिन्हा
पद्मश्री से सम्मानित रिटायर्ड आइपीएस ज्योति कुमार सिन्हा ने देर रात बताया कि सरकार से अब तक कोई सूचना नहीं मिली है. आप तीसरे व्यक्ति हैं, जिन्होंने यह सूचना दी है. अगर यह सत्य है तो यह हमारी नहीं, उस एक प्रोजेक्ट की, शोषित सेवा केंद्र की पहचान है. अगर इस प्रोजेक्ट की बदौलत बेहद गरीब मुसहर समुदाय के कुछ लोगों की जिंदगी में बदलाव आया है तो यह बड़ी बात है. मालूम हो कि श्री सिन्हा खगौल में शोषित सेवा केंद्र के बैनर तले मुसहर समुदाय के बच्चों के लिए आवासीय स्कूल चलाते हैं. वे रॉ, सीबीआइ, सीआरपीएफ, एनडीएमए आदि विभागों में सर्वोच्च पदों पर रहे.
पद्मश्री पुरस्कार से खुश हैं भागीरथी देवी
राज्य में भाजपा विधायक भागीरथी देवी को समाज सेवा के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जायेगा. उनके निजी सचिव राजेश ने बताया कि भागीरथी देवी को शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय से फोन पर सम्मान के लिए चयन की जानकारी दी गयी. उनसे पूछा गया कि क्या वे सम्मान पाकर खुश होंगी? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि वे खुश हैं. इसके बाद उन्हें बताया गया कि सम्मानित होने के लिए उन्हें आमंत्रण की सूचना दी जायेगी.
लगन के साथ अच्छा काम करें महिलाएं : किसान चाची
मुजफ्फरपुर : पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित राजकुमारी देवी उर्फ किसान चाची ने पुरस्कार मिलने पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय से फोन कर उन्हें पुरस्कार मिलने की जानकारी दी गई. उन्होंने कहा कि वह केंद्र सरकार का धन्यवाद देती हैं. किसान चाची ने कहा कि महिलाओं को लगातार अच्छा काम करना होगा. महिलाओं को धैर्य के साथ आगे बढ़ना होगा. विपरीत परिस्थितियों में भी महिलायें बेहतरी के साथ काम करते रहे. अपना धैर्य कभी न खाेयें. उन्होंने कहा कि मैने कभी सोचा नहीं था कि मुझे पद्म पुरस्कार मिलेगा इसके लिए सभी का आभार है.
साइकिल से चलती हैं किसान चाची
सरैया प्रखंड के आनंदपुर निवासी राजकुमारी देवी (किसान चाची) ने खेती किसानी में उत्कृष्ट योगदान दिया है. पुरस्कार मिलने से पूरे क्षेत्र में हर्ष का माहौल है. किसान चाची को इसके पहले भी राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कई पुरस्कार मिल चुके हैं. बिहार सरकार ने 13 दिसंबर 2007 को पपीता, ओला, कोहड़ा, केला, हल्दी के उत्पादन के लिए पुरस्कृत किया था. राजकुमारी देवी 1980 से ही कृषि व नारी सशक्तीकरण कार्य में लगी हैं. इसके अलावे क्षेत्र के महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई बुनाई का प्रशिक्षण दी. राजकुमारी देवी ने खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से अन्न सुरक्षा अभियान पर भी प्रशिक्षण ली हैं. वे साइकिल चला कर महिलाओं के बीच जाती हैं. साथ ही आधुनिक तकनीक से खेती के लिए हमेशा जागरूक करती रहती हैं. इनका उत्पाद दिल्ली के सरस मेेला में भी बिका है. राजकुमारी देवी ने मैट्रिक तक की पढ़ाई की हैं.
राज्यपाल, उपमुख्यमंत्री ने दी सभी को बधाई
राज्यपाल लालजी टंडन ने राष्ट्रवादी चिंतक नानाजी देशमुख और प्रसिद्ध गायक भूपेन हजारिका को भारत रत्न दिये जाने के केंद्र सरकार के निर्णय पर प्रसन्नता जाहिर की है. राज्यपाल ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी भारत रत्न दिे जाने के फैसले का स्वागत किया.
उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, गायक भूपेन हारिका और जनसंघ के संस्थापक सदस्य रहे नानाजी देशमुख को भारत रत्न से अलंकृत किये जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी है. सुशील मोदी ने कहा कि नानाजी देशमुख जब अपनी राजनीति के चरम पर थे तो राजनीति से सन्यास लेकर ग्राम्य विकास के कार्य में लग गये.
चार नवंबर 1974 को जब पुलिस ने पटना में प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया तो नानाजी ने ही अपनी हाथों पर पुलिस की लाठी को रोक कर जयप्रकाश नारायण की रक्षा की. वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने भी बधाई दी.
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