पटना : सीबीआइ ने अररिया और मधेपुरा में चलने वाले दो बाल गृह पर शुक्रवार को मामला दर्ज किया है. इन दोनों बाल गृह की बदहाली का जिक्र टीआइएसएस की रिपोर्ट में भी किया गया है. इस तरह मुजफ्फरपुर बालिक गृह कांड को छोड़कर अब तक 10 बाल गृह पर एफआइआर दर्ज की जा चुकी है. अररिया में मौजूद बाल सुधार गृह की सुरक्षा में तैनात पुलिस कांस्टेबल वीर बहादुर सिंह को इस मामले में नामजद अभियुक्त बनाया गया है. उस पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है. इसके अलावा अन्य लोग भी अभियुक्त बनाये गये हैं. इस बाल गृह का संचालन विभागीय स्तर पर ही किया जाता है.
सीबीआइ ने जांच में पाया कि सुरक्षा गार्ड के तौर पर तैनात कांस्टेबल का व्यवहार बच्चों के साथ काफी हिंसक था. उसने कुछ बच्चों को इतनी बेरहमी से मारा था कि उनकी छाती और शरीर पर जख्म के निशान थे और सूजन था. एक बच्चे को गर्म लोहा से दागने तक का मामला सामने आया है. बच्चों को इस तरह के जख्म होने पर उन्हें कोई दवाई या चिकित्सीय सुविधा नहीं दी जाती थी. वहां के सुप्रीटेंडेंट ने भी कांस्टेबल के क्रूर व्यवहार की बात स्वीकार करते हुए कहा कि बिहार पुलिस की तरफ से उसकी नियुक्ति होने से वे कुछ भी करने में असमर्थ थे. एक बच्चे ने सुधार गृह की बदहाल स्थिति के बारे में कहा कि इसका नाम बदल कर ‘बिगाड़ गृह’ कर देना चाहिए. इस कांस्टेबल के खिलाफ अररिया पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था. उस एफआईआर को भी सीबीआई ने अपनी एफआईआर में समाहित किया है.
मधेपुरा के वार्ड नं-6 में प्राथमिक शिक्षक संघ, जय प्रकाश नगर में अल्प आवास गृह चलता है. इसका संचालन महिला चेतना विकास मंडल के स्तर से किया जाता है. इसके संचालक समेत अन्य को अभियुक्त बनाया गया है. जांच के दौरान यहां की एक लड़की ने बताया कि उसे सड़क से जबरन उठाकर यहां ले आया गया. उसे न तो अपने घर वालों को फोन करने की इजाजत दी गयी और न ही परिवार से मिलने दिया गया. सीबीआई की जांच टीम जिस समय यहां पहुंची, वहां सिर्फ कूक मौजूद था, जो मुंह खोलने में काफी सहमा हुआ था. जांच में पता चला कि यहां लड़कियों को सोने के लिए न कोई खटिया थी और न ही कोई बिस्तर. यहां भी अन्य अल्प वास गृह की तरह सुविधाओं का घोर आवास मिला.