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शराबबंदी का सकारात्मक प्रभाव : 84 प्रतिशत महिलाओं ने माना-पहले से अब ज्यादा हो रही बचत

घरों में निर्णय लेने में बढ़ी महिलाओं की भूमिका 84 प्रतिशत महिलाओं ने माना- पहले से अब ज्यादा हो रही बचत पटना : शराबबंदी के बाद घर-आंगन में खुशहाली तो आयी ही, महिलाओं की स्थिति और मजबूत भी हुई है. जिन महिलाओं को शराबबंदी से पहले हिंसा का शिकार बनाया जाता था, उन्हीं महिलाओं से […]

घरों में निर्णय लेने में बढ़ी महिलाओं की भूमिका

84 प्रतिशत महिलाओं ने माना- पहले से अब ज्यादा हो रही बचत

पटना : शराबबंदी के बाद घर-आंगन में खुशहाली तो आयी ही, महिलाओं की स्थिति और मजबूत भी हुई है. जिन महिलाओं को शराबबंदी से पहले हिंसा का शिकार बनाया जाता था, उन्हीं महिलाओं से अब घर में होने वाले निर्णय में शामिल किया जा रहा है. जेंडर रिसोर्स सेंटर के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं.

58 फीसदी महिलाओं ने माना कि घरों में निर्णय लेने में उनका प्रभाव बढ़ा है. इतना ही नहीं, 23 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि अब उनका प्रभाव घर के अलावा गांव के मुद्दों तक बढ़ा है. महिलाओं से व्यक्तिगत साक्षात्कार के बाद जेंडर रिसोर्स सेंटर ने यह आंकड़े जारी किये हैं.

बिहार के पांच जिलों में अध्ययन : बिहार के पांच जिलों में जेंडर रिसोर्स सेंटर के माध्यम से अध्ययन किया गया. इनमें नवादा, पूर्णिया, समस्तीपुर, पश्चिम चंपारण, कैमूर शामिल हैं. शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध का ग्रामीण बिहार की महिलाओं और लड़कियों की स्थिति पर प्रभाव का आकलन किया गया. इसमें डेवलपमेंट मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, पटना ने अध्ययन के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की .

इस अध्ययन का उद्देश्य बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद महिलाओं के जीवन पर प्रभाव को देखना था. दो हजार 368 लोगों से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट जारी की गयी है.

1001 महिलाओं के साथ 26 केंद्रित समूह चर्चा :

नवादा, पूर्णिया, समस्तीपुर, पश्चिम चंपारण, कैमूर जिलों में 1001 महिलाओं के साथ 26 केंद्रित समूह चर्चा की गयी. 242 पुरुषों के साथ 20 केंद्रित समूह चर्चा और 647 किशोरवय लड़कियों के साथ 10 केंद्रित समूह चर्चा की गयी. 306 ऐसी महिलाओं से व्यक्तिगत रूप से बात की गयी, जिनके पति शराबबंदी से पहले (अप्रैल 2016) शराब का सेवन करते थे. इसके अलावा, पुलिस थाना, महिला पुलिस थाना, महिला हेल्पलाइन, नशामुक्ति केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, बैंक, अनाज की दुकानें तथा राजस्व विभाग के साथ जिला एवं प्रखंड स्तर पर चर्चाएं की गयीं.

जेंडर रिसोर्स सेंटर के आंकड़े दे रहे गवाही, गांव के मुद्दों तक में महिलाओं की भूमिका हुई प्रभावशाली

शराबबंदी के बाद आर्थिक हैसियत बढ़ी

10 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वह अब घरों में पहले से ज्यादा अंडा ला रही हैं

17 प्रतिशत लोग बैंक का लोन भर रहे हैं

18 प्रतिशत महिलाओं ने माना- अब मीट और मछली का सेवन अधिक करने लगी हैं

19 प्रतिशत लोगों ने माना कि अब उनके बच्चे निजी ट्यूशन करने लगे हैं

29 प्रतिशत महिलाओं ने कहा- पहले से ज्यादा अब दूध का सेवन करने लगी हैं

57 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि अब वह पहले से ज्यादा सब्जी बनाने लगी हैं

सकारात्मक पहलू

अध्ययन में तमाम पहलुओं पर बात की गयी. सबसे बड़ी बात तो यह कि महिला हिंसा में कमी दर्ज की गयी है. साथ ही महिलाओं की हालात में गजब के बदलाव हुए हैं. 23 प्रतिशत महिलाएं मानने लगी हैं कि उनका प्रभाव घरों से निकलकर गांव के मुद्दों तक बढ़ गया है. मद्य निषेध के बाद, 58 प्रतिशत महिलाएं घरों में निर्णय लेने में ज्यादा प्रभावकारी भूमिका निभा रही हैं. शराबबंदी के बाद आर्थिक हालात में भी सुधार हुआ है.

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