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पटना : एक सप्ताह के भीतर एक-एक कर मर गये पटना जू के मोर व मोरनी

पटना : जू प्रशासन ने मामले को सार्वजनिक करने से पहले तमाम एहतियाती उपाय किये. घटना के कारणों की जांच के लिए मृत पक्षी के सैंपल को पहले कोलकाता और फिर भोपाल भेजा गया. राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, आनंद नगर, भोपाल के द्वारा मृत पक्षियों के नमूने में एवियन इंफ्लूएंजा होने की पुष्टि […]

पटना : जू प्रशासन ने मामले को सार्वजनिक करने से पहले तमाम एहतियाती उपाय किये. घटना के कारणों की जांच के लिए मृत पक्षी के सैंपल को पहले कोलकाता और फिर भोपाल भेजा गया.
राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, आनंद नगर, भोपाल के द्वारा मृत पक्षियों के नमूने में एवियन इंफ्लूएंजा होने की पुष्टि हुई. यह रिपोर्ट सोमवार की शाम को जू प्रशासन को मिली. जिस मोर केज में बर्ड फ्लू का फैलाव हुआ, उसमें आठ मोर रखे गये थे. इनमें छह नीले जबकि दो सफेद रंग के मोर-मोरनी थे. एक सप्ताह के भीतर सभी छह नीले मोर व मोरनी एक-एक कर मर गये जबकि दोनों सफेद मोर को यह बीमारी अभी छू भी नहीं पायी है.
केवल भोपाल में H5N1 के जांच की व्यवस्था : बर्ड फ्लू H5N1 नामक वायरस से होता है. यह घातक वायरस है, जिसके चपेट में आने के बाद पक्षियों की मौत कुछ घंटों से आठ दिन के भीतर हो जाती है. बर्ड फ्लू की जांच भी कठिन है. उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, आनंद नगर, भोपाल इसमें सक्षम देश की एकमात्र लैब है. वहां भी तीन दिनों तक जांच के बाद ही पुष्टि हो पाती है.
डॉग व कैट प्रजाति के पशुओं में भी फैल सकता बर्ड फ्लू : बर्ड फ्लू आमतौर पर पक्षियों को शिकार बनाता है, लेकिन कुछ डॉग प्रजाति के पशुओं जैसे सियार, लोमड़ी, लकड़बग्घा और कैट प्रजाति के बाघ, शेर, चीता आदि में भी इसके फैलने की आशंका रहती है. जू प्रशासन पक्षियों के केज के साथ-साथ डॉग व कैट प्रजाति के पशुओं के नाइट हाउस की सफाई पर भी ध्यान दे रहा है.
अपने पालतू पशु पक्षियों को बाहरी पशु पक्षी से मिलने से बचाकर रखें, तभी उन्हें बर्ड फ्लू जैसे घातक वायरल इंफेक्शन से बचाया जा सकता है. अब तक हुए बर्ड फ्लू के ज्यादातर मामलों में सामने आया है कि ये संक्रमित पक्षी के दूसरे पक्षी से मिलने से फैलता है. पालतू कुत्ते और बिल्लियों में भी यह फैल सकता है.
35 लाख से अधिक की राजस्व क्षति
पटना जू बर्ड फ्लू की वजह से कम से कम पंद्रह दिन बंद रहेगा. इसमें 25 दिसंबर से 1 जनवरी तक का समय शामिल है जो सबसे व्यस्त सीजन होता है. आठ दिन के इस अवधि में ही पिछले वर्ष लगभग 1.5 लाख लोगों ने जू का भ्रमण किया था. एेसे में जू प्रशासन को कम से कम 35 लाख का राजस्व नुकसान होगा.
25 दिसंबर 2017 को 20 हजार लोग जू आये थे. मंगलवार को बर्ड फ्लू के कारण जू बंद होने से लगभग इतने ही लोगों को निराश होना पड़ा. क्रिसमस और एक जनवरी के बीच के पिछले वर्ष हर दिन औसतन 15 हजार लोगों ने जू का भ्रमण किया. एक जनवरी को पटना जू में 30 हजार से अधिक लोग आते हैं. ऐसे में ये सभी दर्शक पटना जू को बहुत याद करेंगे और उसमें नहीं आने की कमी खलेगी.
लोगों का स्वास्थ्य हमारे लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए बर्ड फ्लू की पुष्टि होते ही हमने पटना जू को पूरी तरह बंद करवा दिया है. जू को पूरी तरह संक्रमण मुक्त करनेके बाद ही इसे खोला जायेगा.
– डीके शुक्ला, प्रधान मुख्य वन संरक्षक
…हालांकि बाद में वजह की जानकारी मिलने पर आक्रोश शांत हुआ. क्रिसमस को लेकर जू के आस पास भारी भीड़ उमड़ने की वजह से सुबह से लेकर दोपहर तक बेली रोड पर रुक -रुक कर जाम लगता रहा.
जू में मोर केज और उसके आसपास के क्षेत्र को संक्रमण मुक्त करने में लगे सफाईकर्मियों व पशुपालकों को विशेष कीट उपलब्ध करवाया गया है. इसमें ग्लब्स और विशेष प्रकार के मास्क के साथ सफाईकर्मियों के उपयोग में आनेवाले और उन्हें संक्रमण से बचाने वाली कई अन्य चीजें भी हैं.

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