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पटना : कार्यालयों से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करने की कवायद

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को जिम्मेदारी, नयी तकनीक का होगा इस्तेमाल पटना : सरकारी कार्यालयों से ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को जिम्मेदारी दी गयी है. राज्य सरकार के विभागों एवं कार्यालयों को ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के […]

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को जिम्मेदारी, नयी तकनीक का होगा इस्तेमाल
पटना : सरकारी कार्यालयों से ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को जिम्मेदारी दी गयी है.
राज्य सरकार के विभागों एवं कार्यालयों को ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए यही विभाग प्रेरित करेगा. इतना ही नहीं जलवायु से संबंधित तमाम अन्य कार्यों को लेकर भी इस विभाग को जिम्मेदार बनाया गया है.
नाम बदलकर हुई शुरुआत : पर्यावरण एवं वन विभाग का नाम बदल दिया गया है. पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर भी लग गयी थी.
नाम बदलने के साथ ही इस विभाग के कंधे पर तमाम अन्य कार्य भी आ गये हैं. इसी में से प्रमुख है जलवायु परिवर्तन को लेकर होने वाले काम. मंत्रिपरिषद सचिवालय ने इस बाबत अधिसूचना भी जारी कर दी है.
जलवायु परिवर्तन संभाग होगा स्थापित : अधिसूचना के अनुसार पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अधीन जलवायु परिवर्तन संभाग स्थापित किया जायेगा. यही संभाग विभिन्न बिंदुओं पर तय दिशा-निर्देशों के अनुसार काम करेगा.
ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन मामले में भारत विश्व का चौथा देश
ग्रीन हाउस गैस के ज्यादा उत्सर्जन से पूरी दुनिया जूझ रही है. इसमें कमी करने के भारत सहित पूरी दुनिया के तमाम देश अपनी तरफ से प्रयास कर रहे हैं. ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन के मामले में भारत विश्व का चौथा देश है. सरकार की तरफ से इसमें कमी लाने के लिए कई तरह के प्रयास किये जा रहे हैं. इसके लिए एक टाइमलाइन भी तय की गयी है.
इसके अनुसार 2030 तक ग्रीन हाउस गैस के मामले में 33-35 फीसदी की कमी कर लेगा. वहीं 2020 तक यह लक्ष्य 20-25 फीसदी करने का है. ग्रीन हाउस गैस के मामले में भारत हर साल अपनी तरफ से 6.9 फीसदी का उत्सर्जन करता है. आज भी देश में करीब 27.5 करोड़ आबादी जो गांव में रहती है वो अपनी जीविका के लिए वन संपदा पर निर्भर है.
क्या है ग्रीन हाउस गैस: ग्रीन हाउस गैस ग्रह के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन और भूमंडलीय ऊष्मीकरण के लिए जिम्मेदार होती है. इनमें सबसे ज्यादा उत्सर्जन कार्बन डाईऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प, ओजोन आदि करती हैं. कार्बन डाईआक्साइड का उत्सर्जन पिछले 10-15 सालों में 40 गुना बढ़ गया है. औद्यौगिकीकरण के बाद से इसमें 100 गुना बढ़ोतरी हुई है. इन गैसों का उत्सर्जन आम प्रयोग के उपकरणों एसी, फ्रिज, कंप्यूटर, स्कूटर, कार आदि से होता है.

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