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पटना : वेतन के लिए लड़ाई में खुद उलझे हुए हैं शिक्षक, कैसे पढ़ेंगे बच्चे

पटना : राजधानी समेत राज्य भर में सरकारी शिक्षा व शिक्षकों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है, नियोजित शिक्षक समान वेतन के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं, तो उत्क्रमित माध्यमिक शिक्षक आठ माह से वेतन का रोना रो रहे हैं. इसके अलावा निगरानी जांच के लिए टेट सर्टिफिकेट के लिए कुछ शिक्षक प्रखंड कार्यालयों […]

पटना : राजधानी समेत राज्य भर में सरकारी शिक्षा व शिक्षकों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है, नियोजित शिक्षक समान वेतन के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं, तो उत्क्रमित माध्यमिक शिक्षक आठ माह से वेतन का रोना रो रहे हैं.
इसके अलावा निगरानी जांच के लिए टेट सर्टिफिकेट के लिए कुछ शिक्षक प्रखंड कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं, तो कंप्यूटर शिक्षक पिछले एक साल गर्दनीबाग में अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं. नियोजित शिक्षकों के समान वेतन मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है, लेकिन जिन शिक्षकों को आठ माह से वेतन नहीं मिला है और जो अनिश्चितकालीन धरना-अनशन पर बैठे हैं उनकी स्थिति दयनीय है.
विभागीय कार्यालय में ही नहीं मिल रहा प्रमाणपत्र : निगरानी जांच के लिए टेटे प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने का निर्देश मिलने के बाद कुछ शिक्षकों को नौकरी की चिंता सताने लगी है. वजह यह है कि उनका प्रमाणपत्र ही नहीं मिल पा रहा है.
हाल ही में भोजपुर जिला के बिहिया प्रखंड स्थित बीआरसी से करीब 31 शिक्षकों का टेट प्रमामपत्र गुम होने का मामला प्रकाश में आने के बाद इसी जिले के उदवंतनगर में भी कुछ शिक्षकों की परेशानी प्रकाश में आयी है. शिक्षकों ने बताया कि वर्ष 2014 में प्रखंड स्तर पर उनकी नियुक्ति हुई थी. तब टेट का मूल प्रमाणपत्र जमा ले लिया गया था. अब जांच के लिए प्रमाण पत्र की मांग की, तो बताया जा रहा है कि प्रमाण पत्र नष्ट हो गया है.
उत्क्रमिक माध्यमिक शिक्षकों को आठ माह से नहीं मिला वेतन : शिक्षकों ने नजदीक के स्कूल को देखते हुए उत्क्रमित हाईस्कूल में योगदान किया. स्थिति यह है कि जिन शिक्षकों ने राजकीय या राजकीयकृत विद्यालय में योगदान किया उनका वेतन समय से आ जाता है, लेकिन उत्क्रमित हाईस्कूल में योगदान करनेवाले शिक्षकों का वेतन कभी भी समय से नहीं आता. उन्हें घर चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ता है.
बीईईओ से लेकर बीडीओ कार्यालय तक का चक्कर
टेट के मूल प्रमाणपत्र के लिए बीईईओ से लेकर बीडीओ कार्यालय तक का चक्कर लगा चुके हैं. आवेदन दिया, जिस पर कार्यालय की ओर से लिख दिया गया है कि प्रमाणपत्र नष्ट हो गया है. ऐसे में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति भी गये, लेकिन वहां बताया गया कि प्रमाणपत्र को लॉक कर दिया गया है, अभी नहीं मिल सकता है.
संध्या कुमारी, शिक्षिका
वेतन का प्रोसेस इतना पेचीदा है कि कभी भी समय से भुगतान नहीं हो पाता है. पहले ही पता होता तो हम उत्क्रमित हाई स्कूल के बजाय किसी राजकीयकृत या राजकीय हाई स्कूल में ही योगदान करते. वेतन के अभाव में आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी है कि इलाज करना भी मुश्किल है.
चंद्रकांत भट्ट, उत्क्रमित माध्यमिक शिक्षक
पहले तीन वर्ष, फिर पांच वर्ष के लिए प्रोजेक्ट की अवधि बढ़ायी जाती थी. लेकिन, 2017 में तो प्रोजेक्ट को बंद ही कर दिया गया. इस कारण हम बेरोजगार हो गये. यहां विद्यालयों में भी कंप्यूटर शिक्षक नहीं है. सेवा विस्तार और स्थायीकरण हमारी एक सूत्री मांग है.
बिनोद कुमार सिन्हा, कंप्यूटर शिक्षक

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