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पटना : थाना पुलिस की गाड़ी खटारा, निजी वाहनों का सहारा

पटना : बिहार पुलिस के अधिकारियों के वाहन तो चकाचक हैं, लेकिन थानों के वाहन की हालत खटारा है. ग्रामीण थानों की बात दूर यह पटना शहर के थानों का हाल है. इसका असर गश्ती के साथ अन्य कार्य पर भी पड़ता है. वाहन की कमी के कारण कैदियों को भी न्यायालय ले जाने के […]

पटना : बिहार पुलिस के अधिकारियों के वाहन तो चकाचक हैं, लेकिन थानों के वाहन की हालत खटारा है. ग्रामीण थानों की बात दूर यह पटना शहर के थानों का हाल है. इसका असर गश्ती के साथ अन्य कार्य पर भी पड़ता है. वाहन की कमी के कारण कैदियों को भी न्यायालय ले जाने के लिए टेंपो का सहारा लेना पड़ता है. यह सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी सही नहीं है.
तीन से चार वाहन हैं एक थाने में : पटना शहर के प्रमुख थाने मसलन कोतवाली, गांधी मैदान, बुद्धा कॉलोनी, एसके पुरी, पाटलिपुत्र, शास्त्रीनगर, सचिवालय, कंकड़बाग, पत्रकार नगर, जक्कनपुर, कदमकुआं, पीरबहोर, गर्दनीबाग, दीघा आदि में तीन से चार वाहन हैं. हालांकि इन थानों का क्षेत्र काफी बड़ा है और एक थाना क्षेत्र में दर्जनों सड़कें व गलियां हैं. इनकी 24 घंटे की गश्ती करना इन वाहनों से संभव नहीं है.
मुश्किल से होती है स्टार्ट
इन वाहनों का हाल खास्ता है. थानों में ऐसी गाड़ियां भी हैं, जो काफी मुश्किल से स्टार्ट होती हैं. इनमें अपराधियों को खदेड़ कर पकड़ने की क्षमता भी नहीं है. उन वाहनों से केवल पुलिस चेकिंग का काम हो पाता है. ये पुरानी जीप जब चलती हैं तो काफी दूर तक आवाज जाती है. इससे अपराधी आसानी से भाग सकते है.
अधिकारियों को स्कॉर्पियो
पुलिस के आलाधिकारियों मसलन एडीजी, आईजी, डीआईजी व एसएसपी को स्कॉर्पियों मिली हुई है. यह हमेशा अच्छे कंडीशन में रहती है. जबकि थानों में पुराने मॉडल की जिप्सी व जीप है.

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