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नये पैटर्न को हड़बड़ी में लागू किया गया

केदार पांडेय,शिक्षाविद व एमएलसी इंटर परीक्षा के परिणाम में हुई पूरी गड़बड़ी इसके नये पैटर्न को आनन-फानन में लागू करने के कारण हुई है. नये पैटर्न लागू होने के पूर्व जो होमवर्क बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को करनी चाहिए थी, वह नहीं कर सकी. मैंने खुद परीक्षा समिति के सचिव और राज्य सरकार को पत्र […]

केदार पांडेय,शिक्षाविद व एमएलसी

इंटर परीक्षा के परिणाम में हुई पूरी गड़बड़ी इसके नये पैटर्न को आनन-फानन में लागू करने के कारण हुई है. नये पैटर्न लागू होने के पूर्व जो होमवर्क बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को करनी चाहिए थी, वह नहीं कर सकी. मैंने खुद परीक्षा समिति के सचिव और राज्य सरकार को पत्र लिख कर कहा था कि पहले इसकी तैयारी की जाये.

1980 में परीक्षा और मूल्यांकन के पैटर्न में बदलाव के पूर्व जमशेदपुर व नेतरहाट में बड़ी गोष्ठी हुई थी. छात्रों को प्रश्नपत्र के प्रारूप और उसके उत्तर उपलब्ध कराये गये थे. इस साल तो नये पैटर्न अपनाने के लिए छात्रों को मानसिक रूप से तैयार करने के पूर्व ही इसे लागू कर दिया. सरकार को इसे गंभीरता से लेनी चाहिए. पहले के पैटर्न में लघु उत्तरीय, वस्तुनिष्ठ और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न पत्र होते थे. इस साल अचानक और हड़बड़ी में नया पैटर्न लागू कर दिया गया, जिसमें छात्रों से सिर्फ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न पूछे गये.

मकसद छात्रों के भाषा, ज्ञान और कौशल की जानकारी लेनी थी. इसके लिए छात्रों को मॉडल प्रश्न पत्र मिलना चाहिए था. कार्यशालाओं का आयोजन करना चाहिए था. एक दिक्कत और है. वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर में छात्रों को अधिक अंक मिलते हैं. दीर्घ उत्तरीय में ऐसा नहीं होता है. हो सकता है कि यह परीक्षा में नकल रोकने के लिए किया गया हो, लेकिन अचानक व्यवस्था बदलने से यह संभव नहीं है. मूल्यांकन की हड़बड़ी थी. बड़ी संख्या में कर्मचारी चुनाव कार्य में थे. सिर्फ 15 दिन पहले वीक्षकों की सूची तैयारी हुई. इसके पहले महीनों पूर्व सूची बनती थी. शिक्षक अपने विषय के बारे में पता कर लेते थे कि उन्हें उस विषय में ही मूल्यांकन का पत्र मिला है कि नहीं?

इस साल तो संस्कृत के शिक्षकों ने गणित की कॉपी का मूल्यांकन किया, तो संगीत के शिक्षकों द्वारा जीव विज्ञान की कॉपी जांची गयी. लखीसराय, बेतिया आदि जगहों पर मूल्यांकन केंद्र बेचे गये. मेरे विरोध पर परीक्षा समिति या विभाग ने ध्यान नहीं दिया. खामियाजा बच्चे भुगत रहे हैं. बड़ी संख्या में हाइस्कूल को जमा दो स्कूल में उत्क्रमित करने से बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई. इस हिसाब से शिक्षकों की भरती नहीं हुई. बच्चों को विषय का ज्ञान नहीं मिला, तो ऐसे में अच्छे परिणाम की कैसे उम्मीद कर सकते हैं? अब इसका दोष सरकार पर आ रहा है. सरकार छात्रों के हित में पुनमरूल्यांकन कराये. हालांकि नियम में पुनमरूल्यांकन की व्यवस्था नहीं है, लेकिन सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए.

(माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव से कुलभूषण की बातचीत पर आधारित)

प्रैक्टिकल में अनुपस्थित थी अररिया की सानिया

बोर्ड अध्यक्ष ने कहा कि अररिया की एक छात्र के प्रैक्टिकल के नंबर नहीं जुड़ने कारण इंटर आर्ट्स में टॉपर बनने से चूक जाने की बात कही जा रही है. लेकिन, जांच करने पर पता चला है सानिया नाम की यह लड़की मनोविज्ञान प्रैक्टिकल की परीक्षा में अनुपस्थित थी. इस छात्र ने होम साइंस, म्यूजिक और मनोविज्ञान विषयों के साथ इंटर की परीक्षा दी थी. लेकिन प्रैक्टिकल की परीक्षा में वह सिर्फ होम साइंस और म्यूजिक में ही उपस्थित हो सकी. मनोविज्ञान में प्रैक्टिल परीक्षा के अटेंडेंस शीट में भी इस छात्र के दस्तखत नहीं हैं. इस बारे में स्कूल के हेडमास्टर से प्रैक्टिकल परीक्षा का ब्योरा मांगा गया है.

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