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पटना : नये सत्र में भी सभी विषयों में शिक्षक मिलने के आसार नहीं
अनदेखी. चार वर्षों में भी विश्वविद्यालय शिक्षकों की बहाली नहीं हुई पूरी, अंशकालिक शिक्षकों की भी नहीं हो रही नियुक्ति पटना : पटना विश्वविद्यालय में नये सत्र में भी शिक्षकों की भारी कमी रहेगी. इसके पीछे का कारण है कि पिछले कई वर्षों से चल रहे नियमित असिस्टेंट प्रोफेसर बहाली के बाद भी कुछ ही […]
अनदेखी. चार वर्षों में भी विश्वविद्यालय शिक्षकों की बहाली नहीं हुई पूरी, अंशकालिक शिक्षकों की भी नहीं हो रही नियुक्ति
पटना : पटना विश्वविद्यालय में नये सत्र में भी शिक्षकों की भारी कमी रहेगी. इसके पीछे का कारण है कि पिछले कई वर्षों से चल रहे नियमित असिस्टेंट प्रोफेसर बहाली के बाद भी कुछ ही विषयों में विवि को शिक्षक मिले हैं. वहीं अब भी बड़ी संख्या में सीटें खाली हैं. बहाली अब भी पूरी नहीं हुई है. चार वर्ष से अधिक हो गये. शिक्षकों की कमी के कारण विवि के कॉलेजों में काफी परेशानी है. बड़ी संख्या में कॉलेजों में क्लास खाली रहते हैं. इसका असर सिलेबस पर पड़ता है.
साढ़े तीन वर्ष बाद बहाली के लिए भेजा गया रिमाइंडर : उधर अस्थायी अंशकालिक शिक्षकों की भी नियुक्ति नहीं हो सकी है. तात्कालिक व्यवस्था के तहत हर विभाग में अंशकालिक शिक्षकों को हर विवि को बहाल करना था, लेकिन यह भी वर्षों से नहीं हो पाया.
सरकार के अपर सचिव द्वारा यह पत्र 20 अगस्त, 2014 को ही सभी विवि के रजिस्ट्रार को भेजा गया था. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो फिर दोबारा इसे 22 मई, 2018 को भेजा गया है. पर अब भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इन शिक्षकों को राज्य के विवि व अंगीभूत काॅलेजों में स्वीकृत रिक्त पदों के विरुद्ध नियमित नियुक्ति होने तक के लिए मानदेय पर अस्थायी रूप से रखा जाना है. 1000 रुपये प्रति क्लास व अधिकतम 25000 रुपये मानदेय देने का निर्धारण सरकार द्वारा किया गया था. इसी तर्ज पर फिलहाल पीयू के बीएड कॉलेजों में एडहॉक पर अस्थायी शिक्षकों की वेतनमान पर बहाली की जा रही है लेकिन अन्य कॉलेज अब भी इससे वंचित हैं.
पटना विश्वविद्यालय करीब छह वर्ष से भी अधिक हो गये जब एडहॉक पर शिक्षकों की अस्थायी बहाली के लिए आवेदन लिये गये थे. सभी सामान्य व वोकेशनल कोर्सों को मिला कर बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के आवेदन विवि में जमा हैं. इन आवेदकों से विवि द्वारा पांच सौ रुपये ड्राफ्ट के माध्यम से राशि भी ली गयी थी. हैरत की बात यह है कि इस राशि को भी पटना विश्वविद्यालय इतने वर्षों से दबाये बैठा है.
न तो अभ्यर्थियों को आज तक राशि लौटायी गयी और न ही उनकी बहाली ही की गयी. इनके आवेदन अभी भी विवि की फाइलों में पड़े हैं. एक बार बीच में एक कमेटी बना कर इन पर बहाली की प्रक्रिया शुरू करने की बात हुई लेकिन फिर यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया.
गेस्ट फैकल्टी से चलता है काम : ज्यादातर कॉलेजों व पीजी विभागों में गेस्ट फैकल्टी से ही काम चलता है. इन्हें विभागाध्यक्ष द्वारा विवि की सहमति से रखा जाता है. इन्हें काफी कम राशि मिलती है और ये पूरी तरह से तात्कालिक होते हैं.
क्लास भी कोई फिक्स नहीं है. जरूरत और रूटीन के अनुसार क्लासेज बांट दिये जाते हैं. इसी तरह पीजी विभागों में जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) प्राप्त छात्रों के सहयोग से क्लास चलती है. यूजीसी की फेलोशिप के बदले ये यहां अनुभव के लिए सेवा देते हैं. अन्यथा यहां भी क्लासेज खाली ही रह जाती हैं.
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