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जल संरक्षण में मिसाल पेश कर रहा जमुई का केड़िया गांव, पानी बचाने को ग्रामीणों ने खुद लगाया बोरिंग पर बैन

रविशंकर उपाध्याय पटना : आज जब राज्य के कई हिस्सों में बोरिंग फेल होने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है और पानी के लिए मारामारी हो रही है, वैसे में जमुई जिले में एक ऐसा गांव भी है, जिसने जल स्तर को बनाये रखने के लिए बोरिंग पर प्रतिबंध लगा रखा है. यह […]

रविशंकर उपाध्याय

पटना : आज जब राज्य के कई हिस्सों में बोरिंग फेल होने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है और पानी के लिए मारामारी हो रही है, वैसे में जमुई जिले में एक ऐसा गांव भी है, जिसने जल स्तर को बनाये रखने के लिए बोरिंग पर प्रतिबंध लगा रखा है. यह ऐसा सामूहिक बहिष्कार है, जो पानी बचाने के लिए भविष्य के दिनों का सामूहिक संस्कार कहा जा सकता है.

गांव में पानी बचाने के लिए कुएं और तालाब खोदे गये हैं और सिंचाई के लिए उन्हीं का इस्तेमाल किया जाता है. जमुई जिले के बरहट प्रखंड की पाडो पंचायत के केड़िया गांव के लोग जल संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं. वे कई सालों से लगातार प्रयास कर रहे हैं और पानी को पूंजी की तरह मानते हैं. यहां के किसानों का कहना है कि पानी उनके लिए बैंक के सामान है. इसका सकारात्मक परिणाम यह हुआ है कि पाडो गांव के साथ-साथ खैरा प्रखंड के डुमरटोला गांव ने भी प्रेरणा ली और वहां के ग्रामीण भी बोरिंग को प्रतिबंधित कर चुके हैं. जब भी यहां अधिकारी या मंत्री पहुंचते हैं तो गांव वाले उनसे तालाब और कुएं बनवाने की मांग करते हैं.

सरकारी बोरिंग के आग्रह को भी गांव वालों ने नहीं माना

गांव में हैं 60 कुएं, नहीं दिखती है बोरिंग

केडिया गांव के मनोज तांती और राजकुमार यादव कहते हैं कि जल स्तर को बनाये रखने के लिए हम सब ने बोरिंग पर रोक लगा रखी है.

गांव में लगभग 60 कुएं हैं, जिनसे सालों भर पानी निकलता है. इन कुओं से ही लोग पानी की अपनी जरूरतें पूरी करते हैं. गांव के लोग इस बात को लेकर एकमत है कि जल स्तर को बनाये रखने के लिए बोरिंग नहीं करेंगे. लगभग 110 घरों वाले इस गांव की आबादी करीब एक हजार है.

गांव वाले मानते हैं कि जैसे दूसरे गांवों मे लोग हैंडपंप या फिर सिचाई के लिए बोरिंग करवाते हैं तो वहां का पानी लेवल नीचे चला जाता है, इसके बाद पिछले कई सालों से इस गांव के किसानों ने बोरिंग का सामूहिक बहिष्कार कर दिया है. इसका परिणाम है कि इस गांव मे मात्र पांच से छह फुट तक गढ्ढा खोदने पर ही पानी निकलने लगता है.

वर्षा जल का भी संरक्षण

गांव वाले वर्षा जल का संरक्षण करने के लिए गांव में कई पोखरों को खुदवा है. बरसात का पानी गांव के बाहर न चला जाये, इसलिए आहर को कई भागों में बांट कर वर्षा जल का भी उपयोग कर लेते हैं. इस गांव के किसानों के पानी को लेकर जो सतर्कता है, उसका नतीजा है कि लगभग 450 एकड़ रकबा वाले इस गांव के खेतों में कहीं भी गढ्ढा खोदकर खेती के लिए किसान पानी आसानी से निकाल लेते हैं. किसान आनंदी यादव कहते हैं कि अमीर आदमी बोरिंग करवा लेगा तो गरीब क्या करेगा, जब जल स्तर नीचे चल जायेगा?

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