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प्रावधान कई लेकिन जरूरत पड़ने पर हवाई यात्रियों को न सुविधाएं मिलती हैं न होती है क्षतिपूर्ति

पटना : हवाई यात्रा को सुखद बनाने केलिए डीजीसीए ने कई दिशा-निर्देश जारी कर रखे हैं. नागरिक उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा ने पिछले महीने इनमें कई नये प्रावधान जोड़ते हुए एक नया पैसेंजर ड्राफ्ट भी जारी किया है, जिसके कानून बनने के बाद विमान कंपनियों पर यात्रियों के हितों की देखरेख का और भी अधिक […]

पटना : हवाई यात्रा को सुखद बनाने केलिए डीजीसीए ने कई दिशा-निर्देश जारी कर रखे हैं. नागरिक उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा ने पिछले महीने इनमें कई नये प्रावधान जोड़ते हुए

एक नया पैसेंजर ड्राफ्ट भी जारी किया है, जिसके कानून बनने के बाद विमान कंपनियों पर यात्रियों के हितों की देखरेख का और भी अधिक दबाव होगा. इसके बावजूद गुुरुवार
को स्पाइसजेट की दिल्ली पटना फ्लाइट के वाराणसी डायवर्ट होने के बाद उसके यात्रियों के साथ जिस तरह का बर्ताव किया गया, उससे स्पष्ट है कि क्राइसिस में विमान कंपनियां इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर रही हैं. ऐसा नहीं कि यह पहली बार हुआ है. पहले भी जरूरत पड़ने पर विमान कंपनियां यात्रियों की सहायता में
पीछेे हटती रही हैं और दिशा-निर्देशों के साथ संलग्न कतिपय छूट का फायदा उठाते हुए उसके अनुपालन से बचती रही हैं.
स्पाइसजेट ने इन दिशानिर्देशों का नहीं किया पालन
स्पाइस जेट की एडीशनल फ्लाइट संख्या SG-9480 से पटना आये हवाई यात्रियों की मानें तो विमान के डायवर्ट
होकर वाराणसी में लैंड होने के बाद वहां पूरे रात उन्हें खाने-पीने के लिए कुछ नहीं दिया गया जबकि इंतजार अवधि 2 घंटे से कम हो तो यात्रियों को रिफ्रेशमेंट देना और 2 घंटे से अधिक हो तो लंच उपलब्ध करवाना एयरलाइन का दायित्व है.
रात 12 बजे के बाद पटना में मौसम ठीक हो चुका था,
लेकिन पायलट की फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट खत्म होने से विमान के टेकऑफ में बाधा आ रही थी. स्पाइसजेट ने किसी दूसरे पायलट को लाकर पटना जल्द विमान भेजने की व्यवस्था करने की बजाय फ्लाइट को ही रद्द कर दिया.
फ्लाइट रद्द होने पर यात्री को गंतव्य तक भेजने की जिम्मेदारी एयरलाइंस की ही है. स्पाइस ने एडीशनल फ्लाइट की व्यवस्था करने में 11 घंटे लगा दिये.
अधिक जरूरी होने पर यात्री की सहमति से विमान कंपनी उन्हें रोडवेज या किसी अन्य मार्ग से भेजने की व्यवस्था भी कर सकती है. लेकिन यह विकल्प भी सात-आठ घंटे बाद दी गयी.
24 घंटे से अधिक रीशेड्यूल पीरियड रहने पर रुकने की व्यवस्था का भी दायित्व एयरलाइंस का है. 24 घंटे से कम रीशेड्यूल पीरियड होने के बावजूद वाराणसी एयरपोर्ट पर यात्रियों को होटल उपलब्ध करवाया जाना चाहिए था जैसा कि पटना एयरपोर्ट पर कुछ यात्रियों को दिया गया.
पटना एयरपोर्ट पर डायवर्ट
विमान के वापस आने का इंतजार कर रहे फ्लाइट संख्या SG-8481 से दिल्ली जाने वाले यात्रियों को
लंच मिली पर जो अपने घर रात में वापस लौट गये, उन्हें घर ले जाने और वहां से लाने की व्यवस्था नहीं की गयी.
जिन यात्रियों ने एडिशनल फ्लाइट से अगले दिन पटना जाने की बजाय टिकट रद्द करवा लिया, उन्हें पूरा फेयर वापस मिला, लेकिन मुआवजे पर कोई विचार नहीं किया गया, जबकि इस पर भी विचार होना चाहिए था.
मुआवजा की राशि
1. मार्ग जिनमें एक जगह से दूसरे जगह पहुंचने में 1 घंटे से कम का समय लगता हो, 2000 रुपया या उससे कम कीमत का टिकट होने पर टिकट की कीमत के बराबर.
2. मार्ग जिनमें एक जगह से दूसरे जगह पहुंचने में 1 से 2 घंटे के बीच का समय लगता हो, 3000 रुपया या उससे कम कीमत का टिकट होने पर टिकट की कीमत के बराबर.
3. मार्ग जिन पर 2 घंटे से अधिक का समय लगता हो, 4000 रुपया या उससे कम कीमत का टिकट होने पर टिकट की कीमत के बराबर.

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