पटना: मेयर व नगर आयुक्त के टकराव की वजह से नगर निगम बोर्ड की बैठक बार-बार टलने से पार्षदों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. वे जनसमस्याओं को नहीं उठा पा रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2014-15 के बजट पर चर्चा के लिए दो माह पहले विशेष बैठक हुई थी. उसके बाद से अब तक एक भी बैठक नहीं हुई है. गरमी के दिनों में सबसे अधिक समस्या पेयजल की होती है.
मॉनसून के दौरान जलजमाव की समस्या बनती है. इस समस्या से निबटने के लिए मार्च के दूसरे सप्ताह से नाला उड़ाही का काम शुरू होता है, जो अप्रैल के दूसरे-तीसरे सप्ताह से शुरू किया गया. विलंब से शुरू होने के कारण जैसे-तैसे नालों की सफाई की जा रही है. बोर्ड की बैठक होती, तो पार्षद ये बातें उठा सकते थे.
पेयजल की समस्या गंभीर : वर्षो से निगम क्षेत्र में गरमी शुरू होते ही पीने के पानी की समस्या बढ़ जाती है. वार्ड पार्षद बोर्ड की बैठक में पीने के पानी को लेकर बनायी गयी योजना से जुड़े सवाल करते हैं, जिसका जवाब निगम प्रशासन देता है. अगर तत्काल समस्या का निदान किया जा सकता है, तो संबंधित अधिकारी को निर्देश दिया जाता है. गरमी खत्म होनेवाली है, लेकिन पीने के पानी के संकट से निबटने के लए खराब चापाकल को दुरुस्त करने और दो-दो नये चापाकल लगाने की योजना अधर में ही लटकी है.
जैसे-तैसे नालों की सफाई
निगम क्षेत्र के बड़े नालों की सफाई में जेसीबी मशीन लगी है, लेकिन भूगर्भ नाला और मोहल्लों के छोटी-छोटी नालों की सफाई मजदूरों के माध्यम से ही किया जाना संभव है. मजदूरों ने सप्ताह भर काम किया, लेकिन मजदूरी का भुगतान नहीं होने के कारण काम छोड़ दिया है. वार्ड पार्षद कार्यपालक पदाधिकारी से शिकायत करते हैं, तो पदाधिकारी एक कान से सुनते हैं और दूसरे से निकाल दे रहे हैं. अगर बैठक होती, तो वार्ड पार्षद अपने मंच पर अपनी बात रखते और अमल कराने के लिए दबाव बनाते.