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गंभीर मरीजों को भी नहीं मिलती 102, 108 व 1099 एंबुलेंस की सुविधा, अभी खाली नहीं हैं, कह कर काट देते हैं फोन
पटना : मरीजों को एंबुलेंस उपलब्ध कराने के लिए भले ही राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से पूरा प्रयास किया जा रहा है. लेकिन, इसका लाभ मरीजों को उतना नहीं मिल पा रहा है जितना मिलना चाहिए. 102, 108 हो या फिर 1099 एंबुलेंस सेवाएं, सभी मरीजों को धोखा ही दे रही हैं. ऐसे में […]
पटना : मरीजों को एंबुलेंस उपलब्ध कराने के लिए भले ही राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से पूरा प्रयास किया जा रहा है. लेकिन, इसका लाभ मरीजों को उतना नहीं मिल पा रहा है जितना मिलना चाहिए. 102, 108 हो या फिर 1099 एंबुलेंस सेवाएं, सभी मरीजों को धोखा ही दे रही हैं. ऐसे में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
आम मरीजों से लेकर शहरवासियों को इस नंबर की सुविधा नहीं मिल पा रही है. 102 एंबुलेंस सेवा पर कॉल करने पर कई बार तो नंबर नहीं लगता, जब नंबर लगता है तो जवाब के तौर पर हमेशा एंबुलेंस सड़क पर दौड़ रही है, यह बात कह कर फोन काट दी जाती है.
राज्य स्वास्थ्य समिति व प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर चलने वाली एंबुलेंस सुविधाओं की पड़ताल की सच्चाई सामने आयी है वह कुछ ऐसी ही है.
दो बार पूरी घंटी बजी, फिर उठा फोन
शहर में दौड़ रही 102, 108 और 1099 की पड़ताल को लेकर बुधवार को फोन लगाया गया. सबसे पहले 102 टॉल फ्री नंबर पर फोन किया गया. दो बार रिंग होने के बाद भी कॉल नहीं उठा, वहीं जब तीसरी बार रिंग हुआ तो कॉल सेंटर से एक महिलाकर्मी ने फोन उठाया. जब प्रसूति को पीएमसीएच ले जाने की बात कही गयी, तो महिला कर्मी ने डॉक्टर से पूरा मामला लिखवाने को कहा.
इतना ही नहीं वहां से जवाब मिला कि जब डॉक्टर लिखेंगे और रसीद सेंटर को उपलब्ध करायी जायेगी फिर एंबुलेंस दी जायेगी. ऐसे में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का केस हो और एंबुलेंस की जरूरत हो, तो परिजनों को अस्पताल आने से पहले डॉक्टर के यहां अनुमति लेनी पड़ेगी. जबकि नियमानुसार गंभीर मामले में नि:शुल्क सेवा दी जानी है.
मामला
शहर की रहने वाली प्रमीला देवी (45 वर्ष) की हालत काफी खराब हो गयी. आनन-फानन में परिजनों ने पीएमसीएच ले जाने का फैसला किया. प्रमीला के बेटे दिनेश ने बताया कि माता जी के पेट में पथरी है, जिसका इलाज पीएमसीएच में होना है. पीएमसीएच जाने के लिए कई बार 102 और 1099 एंबुलेंस पर फोन किया गया.
लेकिन वाहन उपलब्ध नहीं होने की बात कह फोन काट दिया गया.अंत में प्राइवेट ऑटो रिजर्व कर अस्पताल ले जाया गया. जहां मरजेंसी वार्ड में भर्ती कर इलाज हो रहा है.
निजी एंबुलेंस का सहारा
राज्य स्वास्थ्य समिति ने पीएमसीएच, आईजीआईएमएस, एनएमसीएच व बाकी सभी छोटे सरकारी अस्पतालों में 102 व 108 एंबुलेंस वाहन मुहैया करायी है. इसके अलावा दो शव वाहन भी पीएमसीएच को दिये गये हैं.
लेकिन जब यहां के एंबुलेंस लॉक बुक रजिस्टर की पड़ताल की तो देखा गया कि महीने में 60 से 70 बार ही एक एंबुलेंस मरीजों के लिए दौड़ रही है. यानी प्रतिदिन एक एंबुलेंस दो मरीजों को ही लेकर जाती है. जबकि अकेले पीएमसीएच में रोजाना 15 से 20 मरीजों को एंबुलेंस के लिए जरूरत पड़ती है. ऐसे में साफ है कि बाकी बचे मरीजों को निजी एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ रहा है.
…और काट दिया फोन
108 व 1099 एंबुलेंस सेवा की हकीकत जानने के लिए एक बार फिर फोन किया गया. 108 नंबर पर लगातार फोन बजता रहा, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया. वहीं 1099 पर तीन बार रिंग होने के बाद एक बार भी फोन नहीं उठाया गया. चौथी बार में पुरुष कर्मी ने फोन उठाया. संपतचक से पीएमसीएच आने के लिए मदद की गुहार लगायी गयी.
लेकिन कर्मी ने बताया कि एंबुलेंस वाहन खाली नहीं है, सभी एंबुलेंस सड़क पर दौड़ रही हैं. बाद में फोन करने की बात कह तुरंत फोन काट दिया गया. लगातार फोन लगाया गया कि फिर उधर से फोन नहीं उठाया गया.
क्या कहती है एंबुलेंस की लॉग बुक : शहर में चल रही 102 नंबर के एक एंबुलेंस का लॉग बुक देखने के बाद पता चला कि इस एंबुलेंस द्वारा किसी माह 40, किसी माह 50 तो किसी माह 70 मरीजों को गंतव्य स्थान तक पहुंचाया जा रहा है. जिसमें लगभग 25 प्रसूता व गर्भवती महिला, 15 वरिष्ठ नागरिक, 15 सड़क दुर्घटना व 10 गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को पटना पीएमसीएच, या उनके घर तक पहुंचाया गया है.
क्या कहते हैं अधिकारी
मरीजों की सुविधा को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की पहल पर एंबुलेंस की संख्या में इजाफा किया गया है. सभी बड़े सरकारी अस्पतालों में पीपीपी मोड पर एंबुलेंस कीसुविधा दी गयी है. अगर मरीजों को समय पर एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है, तो वे अपनी पूरी डिटेल्स के साथ कंप्लेन करें. मामला सही पाया गया तो जिम्मेदार लोगों परकार्रवाई की जायेगी.
-डॉ पीके झा, सिविल सर्जन
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