पटना : राज्य के करीब तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई सुविधाओं के विकास का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान रखा गया है. इसके अंतर्गत प्रमुख रूप से 18 योजनाएं हैं. इन सभी पर काम चल रहा है. हालांकि, परियोजनाओं का अधिकतर हिस्सा पूरा हो चुका है. इस साल इन सभी योजनाओं के पूरा होने की संभावना है. इनके पूरा होने का फायदा बिहार के सभी हिस्सों के किसानों को होगा. सिंचाई सुविधाओं में विकास होने से यहां कृषि उत्पादन क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी.
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राज्य के तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होगा अतिरिक्त सिंचाई सुविधाओं का विकास
पटना : राज्य के करीब तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई सुविधाओं के विकास का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान रखा गया है. इसके अंतर्गत प्रमुख रूप से 18 योजनाएं हैं. इन सभी पर काम चल रहा है. हालांकि, परियोजनाओं का अधिकतर हिस्सा पूरा हो चुका है. इस साल इन सभी योजनाओं के […]
जल संसाधन विभाग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि राज्य में करीब 52 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की क्षमता है. इसमें 29.69 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता सृजित की गयी है. पिछले वित्तीय वर्ष में तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का विकास किया गया है. इस वित्तीय वर्ष में भी तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता विकसित की जायेगी.
किन योजनाओं पर हो रहा काम : जल संसाधन विभाग ने साल 2018-19 के दौरान दुर्गावती जलाशय योजना में 7400 हेक्टेयर, पश्चिमी कोसी नहर परियोजना में करीब 30000 हेक्टेयर, बटेश्वर स्थान गंगा पंप नहर परियाेजना में 15716 हेक्टेयर, पुनपुन बराज योजना में 9000 हेक्टेयर, हलसी व रामगढ़ में कई छोटी परियोजनाओं पर 500 हेक्टेयर, फल्गू नदी पर मंडई वीयर योजना में 3759 हेक्टेयर, बलवा घाट बराज निर्माण योजना में
6600 हेक्टेयर, कुंदर बराज योजना में 7826 हेक्टेयर, बिहुल नदी पर वीयर निर्माण में 1700 हेक्टेयर, गरौल वीयर सिंचाई योजना में 3000 हेक्टेयर, टिकमा वीयर सिंचाई योजना में 800 हेक्टेयर, बघेला धार वीयर सिंचाई योजना में 1600 हेक्टेयर, ढाढर अपसरण योजना में 1900 हेक्टेयर, पश्चिमी गंडक नहर प्रणाली में 80000 हेक्टेयर, पूर्वी गंडक नहर प्रणाली में 18000 हेक्टेयर और बटाने जलाशय योजना में 2600 हेक्टयेर का इलाका शामिल हैं.
खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी
राज्य में सिंचाई सुविधाओं के विकास का परिणाम यह है कि यहां खाद्यान्न उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वर्ष 2016-17 में 185 लाख मीट्रिक टन रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन हुआ है. वर्ष 2005-06 में चावल का उत्पादकता स्तर 1.1 टन प्रति हेक्टेयर था, जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 2.5 टन प्रति हेक्टेयर हो गया. वर्ष 2005-06 में मक्का की उत्पादकता 2.0 टन प्रति हेक्टेयर थी, 2016-17 में बढ़कर 5.3 टन प्रति हेक्टेयर हो गयी. वर्ष 2012 में चावल उत्पादन, वर्ष 2013 में गेहूं उत्पादन और वर्ष 2016 में मक्का उत्पादन में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए राज्य को कृषि कर्मण पुरस्कार भी मिला है.
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