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बिहार : अधिकांश स्कूलों में नहीं हैं काउंसेलर व हेल्प डेस्क

पटना : राजधानी स्थित अधिकतर प्राइवेट स्कूलों में विद्यार्थियों की काउंसेलिंग व उनके लिए हेल्प डेस्क की समुचित व्यवस्था नहीं है. इस कारण विद्यार्थियों में परीक्षा व रिजल्ट को लेकर तनाव, उनकी व्यक्तिगत परेशानी या पढ़ाई को लेकर किसी तरह की समस्या का स्कूलों में समाधान नहीं हो पाता है. इसके अलावा किशोरावस्था में शारीरिक […]

पटना : राजधानी स्थित अधिकतर प्राइवेट स्कूलों में विद्यार्थियों की काउंसेलिंग व उनके लिए हेल्प डेस्क की समुचित व्यवस्था नहीं है. इस कारण विद्यार्थियों में परीक्षा व रिजल्ट को लेकर तनाव, उनकी व्यक्तिगत परेशानी या पढ़ाई को लेकर किसी तरह की समस्या का स्कूलों में समाधान नहीं हो पाता है.
इसके अलावा किशोरावस्था में शारीरिक बदलाव की भी जानकारी बच्चों को नहीं मिल पाती है.इससे कई बार बच्चे हतोत्साहित भी होते हैं, जिससे उबरने के लिए काउंसेलिंग की जरूरत होती है. जानकारी के अनुसार राज्य में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध करीब 250 स्कूल हैं, जिनमें से करीब 25 प्रतिशत स्कूलों में ही काउंसेलिंग व हेल्प डेस्क की व्यवस्था है. इसके अलावा अन्य बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में भी कमोबेश यही स्थिति बतायी जाती है.
काउंसेलिंग सेंटर व हेल्प डेस्क नहीं होने से परेशानी
– हर समस्या से विद्यार्थियों को खुद ही जूझना पड़ता है
– किसी तरह की परेशानी हो, तो विद्यार्थी उसे किसी के साथ साझा नहीं कर पाते हैं
– हॉर्मोन चेंज से शरीर में होनेवाले बदलावों के कारण शारीरिक बदलाव की जानकारी नहीं हो पाती है
– सही मार्गदर्शन नहीं मिलने के कारण विद्यार्थियों में भटकाव की आशंका बनी रहती है
रिजल्ट को लेकर विद्यार्थियों में तनाव
इन दिनों स्कूलों में विद्यार्थियों को रिजल्ट को लेकर प्राचार्य व प्रबंधन के कार्यालयों का चक्कर लगाते देखा जा रहा है. एक नामी स्कूल में एक छात्रा के माता-पिता आये थे. उनकी बेटी को आठवीं कक्षा में तीन विषय में फेल कर दिया गया है. स्कूल में कोई भी सुनने व समझने को तैयार नहीं है. छात्र हतोत्साहित है. मार्गदर्शन करने के बजाय उसकी गलतियां ही गिनायी जा रही हैं. आरटीई के अनुसार आठवीं कक्षा तक किसी भी बच्चे को फेल नहीं किया जाना है.

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