21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार : बाघों की संख्या बढ़ने के संकेत, पूरी हुई गिनती

अब घोषणा का इंतजार, कम-से-कम 41 बाघों के होने का अनुमान है पटना : बिहार के पश्चिम चंपारण में मौजूद वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में बाघों की गिनती पूरी होने के बाद उनकी संख्या में बढ़ोतरी के संकेत मिले हैं. हालांकि गिनती संबंधी सभी रिपोर्ट नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथोरिटी (एनटीसीए) को भेजी गयी है. वहां […]

अब घोषणा का इंतजार, कम-से-कम 41 बाघों के होने का अनुमान है
पटना : बिहार के पश्चिम चंपारण में मौजूद वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में बाघों की गिनती पूरी होने के बाद उनकी संख्या में बढ़ोतरी के संकेत मिले हैं. हालांकि गिनती संबंधी सभी रिपोर्ट नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथोरिटी (एनटीसीए) को भेजी गयी है. वहां से जांच-पड़ताल के बाद बाघों की संख्या की आधिकारिक घोषणा का इंतजार है.
2014 की गणना में बाघों की संख्या 28 थी. उसके बाद यहां साल 2015 में 15 शावक हुये. किन्हीं कारणों से इनमें से दो की मृत्यु हो गयी थी. इसके बाद 13 शावक बचे थे, जो अब वयस्क हो चुके हैं. ऐसे में इस बार की गिनती में इनकी संख्या शामिल करने के बाद कम से कम 41 बाघों के होने का अनुमान है.
पदचिह्नों की जांच : वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के क्षेत्र निदेशक एस चंद्रशेखर ने बताया कि बाघों की गिनती के लिए वन अधिकारी जंगल में उनके पदचिह्नों की पहचान करते हैं. इसे ट्रैकिंग पद्धति कहा जाता है. मिट्टी में बाघों के पंजों के निशान में चूना देकर उसकी पहचान पुख्ता करने की कोशिश की जाती है. इलाके का क्षेत्र निश्चित कर गिनती की जाती है. एक क्षेत्र में गिनती में करीब बीस दिन लगते हैं. आधुनिक उपकरण और अधिकारियों द्वारा मैन्यूअल तरीकों का प्रयोग बाघों की गणना की जाती है.
गिनती की रिपोर्ट तैयार
वीटीआर में बाघों की गिनती की रिपोर्ट मार्च महीने में तैयार हो गयी थी. अब इनकी जांच एनटीसीए कर रही है. वीटीआर में गिनती की रिपोर्ट बनाने में कैमरा ट्रैप के अलावा एम-स्ट्राइप नाम के मोबाइल एप्लीकेशन का इस्तेमाल किया गया. मोबाइल एप एम-स्ट्राइप को संचालित करने के लिए वन अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गयाथा.
क्या है एम-स्ट्राइप एप
एम-स्ट्राइप नाम के मोबाइल एप्लीकेशन में कर्मचारियों के मोबाइल में एप डाउनलोड किया जाता है. यह मोबाइल एप जीपीएस की तरह काम करता है. बाघों के दिखायी देने पर मोबाइल एप से उनकी फोटो खींची जाती है. इससे अपने-आप उसमें बाघों की संख्या दर्ज हो जाती है. पूरे दिन जंगल में गश्त करने के बाद मोबाइल एप के डाटा को टाइगर सेल में सुरक्षित रखा जाता है.
हर चार वर्ष में होती है गिनती
वन्य प्राणी से जुड़े आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि बाघों की हर चार वर्ष बाद की जाती है. लगभग 900 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले वीटीआर में साल 2000-2001 की गणना में बाघों की संख्या 30 से अधिक थी. 2005-06 की गणना में यह घटकर 18 पर आ गयी. वहीं वर्ष 2010 की गणना में महज आठ बाघ ही इस क्षेत्र में पाये गये. साल 2014 की गणना के बाद चौंकाने वाले परिणाम सामने आये और बाघों की संख्या आठ से बढ़ कर 28 हो गयी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें