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पटना :बिना डॉक्टरी सलाह के दर्द निवारक दवाएं लेने से खतरे में जिंदगी

पटना : प्रदेश की दवा दुकानों पर इन दिनों मुन्ना भाई एमबीबीएस बैठे हैं. मेडिकल की पढ़ाई किये बगैर ही केमिस्ट खुद को डॉक्टर मान रहे हैं. वे सेल्फ मेडिकेशन के लिए आये लोगों को धड़ल्ले से दवा बांट रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि इसके तहत पेन किलर की दवाएं लोग भूंजे की तरह […]

पटना : प्रदेश की दवा दुकानों पर इन दिनों मुन्ना भाई एमबीबीएस बैठे हैं. मेडिकल की पढ़ाई किये बगैर ही केमिस्ट खुद को डॉक्टर मान रहे हैं. वे सेल्फ मेडिकेशन के लिए आये लोगों को धड़ल्ले से दवा बांट रहे हैं.
आंकड़े बताते हैं कि इसके तहत पेन किलर की दवाएं लोग भूंजे की तरह फांक रहे हैं. यह खुलासा इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में हुई एक स्टडी में हुआ है. शहर व ग्रामीण एरिया में संचालित हो रही दवा दुकानों पर केमिस्ट दवा बेचने के साथ-साथ मरीजों को मेडिसिन की सलाह भी दे रहे हैं. बुखार और सिर दर्द से लेकर जोड़ों के दर्द और डायबिटीज की दवा की मात्रा तक केमिस्ट मरीज को बता रहे हैं. ऐसे में दवाओं के अधिक डोज से मरीजों की हालत खराब हो जाती है और वे किडनी, हृदय से लेकर कई रोगों की चपेट में आ रहे हैं.
किस बीमारी में कितना सेल्फ मेडिकेशन
मेडिकल छात्र व डॉक्टरों के संयुक्त प्रयास से की गयी इस स्टडी में पाया गया है कि मरीज डॉक्टर की फीस और समय को बचाने के लिए केमिस्ट के पास अधिक जाना पसंद कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी जानकारी है, बावजूद उनकी ओर से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.
एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध प्रयोग
स्टडी में पाया गया है कि केमिस्ट हर नॉर्मल दवाओं के साथ एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं. ऐसे में कई बार दवाओं का अधिक डोज भी हो जाता है. केमिस्ट मरीजों को एंटीबायोटिक के साथ ही पेन किलर, हाई ब्लड प्रेशर और बुखार की गोलियां दे रहे हैं और इससे किडनी और लिवर की बीमारी हो रही है.
क्या कहते हैं
स्टडी में शामिल मरीज
हर बार डॉक्टर के पास दवा लेने नहीं जा सकते क्योंकि समय बर्बाद होता है
थोड़ी बहुत प्रॉब्लम के लिए डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं लगती
अधिकांश दवा केमिस्ट से मिल जाती हैं, क्योंकि वे भी डॉक्टर के साथ रहते हैं
बार-बार डॉक्टर के पास जाने पर फीस पर पैसे अधिक खर्च होते हैं
रहें जागरूक
अस्पताल में आने वाले कई ऐसे गंभीर मरीज हैं, जो खुद से या फिर दवा दुकानदार के कहने पर दवा खा लेते हैं. कई बार एक ही दवा का डोज मरीज अधिक ले लेते हैं, नतीजा किडनी, लिवर आदि रोग से वह ग्रसित हो जाते हैं. इसको देखते हुए कॉलेज प्रशासन ने स्टडी की है.
स्टडी रिपोर्ट के बाद मरीजों को जागरूक करते हुए कहा गया है कि वे बिना डॉक्टरी सलाह के किसी भी दवा का सेवन नहीं करे.
-डॉ मनीष मंडल, सुपरिटेंडेंट, आईजीआईएमएस
अनियमितता. घाटों पर मानक से अधिक की जा रही खुदाई, बनेगा बाढ़ का कारण
खनन विभाग की ओर से बालू के लिए अधिकतम तीन मीटर तक खनन की अनुमति है, लेकिन जिस तरह से घाटों के पास खुदाई हो रही है, उससे लगता नहीं है कि इस तरह के नियम का कोई पालन हो रहा है.
बालू का खनन लगातार होने से नदियों के अस्तित्व पर भी खतरा होने लगा है. गहराई अधिक होने पर भू-जल के स्तर में भी 40 से 50 फुट तक की गिरावट होती है.
कुर्जी घाट पर बालू खुदाई के लिए चार बड़े हाइव लगाये गये हैं. खुदाई का काम ज्यादातर रात में किया जाता है. दर्जन भर से अधिक डंपर लगाये गये हैं. खुदाई इतनी गहरी कर दी गयी है कि खदान में भीतर कई जगह से पानी निकल रहा है. कई जगह छोटे-छोटे तालाबनुमा गड्ढे बन गये हैं और दलदल की स्थिति भी बनी है. इससे गर्मी के दिन में भी कटाव का खतरा बन गया है. कई बार दिन में भी डंपर चला दिये जाते हैं. इस कारण और स्थिति खराब हो जाती है.
खनन विभाग ने 17 घाटों पर बालू खनन का अधिकार सरकारी विभागों को दिया है. इसमें कुर्जी सहित राम नगर दियारा क्षेत्र शामिल है. बीएसआरडीसी फिलहाल कुर्जी घाट पर खुदाई करा रही है. ठेकेदार के माध्यम से खुदाई करायी जा रही है, जो बिल्कुल ही गंगा के पेट में खुदाई कर रहा है. खनन विभाग के सहायक निदेशक सुरेंद्र कुमार सिन्हा बताते हैं कि कुर्जी घाट पर कई जगह मानक का ध्यान नहीं दिया गया है. इसको लेकर खनन विभाग ने बीएसआरडीसी को नोटिस दिया है.

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