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बिहार : भारत बंद, जिंदगी और कारोबार सब हुए बदरंग
एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में भारत बंद फिर कई सवाल छोड़ गया. प्रशासन शायद भीड़ के अनुमान और लोगों के मूड के आकलन में असफल रहा. वहीं ‘भारत बंद’ को सफल बनाने के लिए सोशल मीडिया पर हर तरह के हथकंडे अपनाये गये. इसके जरिये कुछ खास ग्रुपों में ‘जहर’ फैलाया गया. इस […]
एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में भारत बंद फिर कई सवाल छोड़ गया. प्रशासन शायद भीड़ के अनुमान और लोगों के मूड के आकलन में असफल रहा. वहीं ‘भारत बंद’ को सफल बनाने के लिए सोशल मीडिया पर हर तरह के हथकंडे अपनाये गये. इसके जरिये कुछ खास ग्रुपों में ‘जहर’ फैलाया गया. इस तरह के ‘जहर’ को रोकने के लिए कोई सिस्टम ही नहीं है. बंद से जनजीवन अस्त-व्यस्त तो रहा ही, सबसे अधिक कारोबार प्रभावित हुआ. पटना जिले में ही लगभग 60 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है. वहीं ट्रेनों का परिचालन प्रभावित होने के कारण रेलवे को चार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
पटना : एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में भारत बंद से पटना जिले का कारोबार काफी प्रभावित हुआ. कारोबारी संघों की माने तो सोमवार के बंद से पटना जिले में लगभग 60 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है. बंद के दौरान शहर के सभी मुख्य मार्केट की दुकानें बंद रही थी. जो मार्केट और दुकानें खुली थी वहां ग्राहक नहीं पहुंच पाये थे. बंद का सबसे बुरा असर थोक मंडी खेतान मार्केट, बाकरगंज, सब्जीबाग, अशोक राजपथ, चांदनी मार्केट, न्यू मार्केट, दलदली रोड, गोविंद मित्रा रोड, खजांची रोड, मीठापुर, पटना सिटी के बाजार पर पड़ा.
यातायात साधन बुरी तरह प्रभावित होने
के कारण ग्राहक जहां-तहां फंसे रहे. इस
कारण बाजार में दिनभर सन्नाटा पसरा रहा. इसके अलावा बंद का व्यापक असर मुख्य रूप से डाकबंगला चौराहा, फ्रेजर रोड, स्टेशन रोड, एक्जीबिशन रोड, न्यू डाकबंगला, मौर्या लोक परिसर, नाला रोड आदि में देखने को मिला.
सर्राफा का कारोबार रोजाना चार करोड़ से ज्यादा का
सर्राफा का मुख्य थोक मंडी बाकरगंज में एक अनुमान के अनुसार तीन से चार करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ. अगर यहीं बंदी लगन के दौरान होता तो यह आकंड़ा दोगुना होता. पाटलिपुत्र सर्राफा संघ के अध्यक्ष विनोद कुमार ने बताया कि बंद के सर्राफा बाजार का थोक मंडी तो खुले थे लेकिन ग्राहकों को नहीं आने से लगभग 90 फीसदी कारोबार पूरी तरह ठप रहा. वहीं खुदरा बाजार 70 से 75 फीसदी कारोबार प्रभावित रहा.
12 करोड़ रोजाना का वस्त्र कारोबार प्रभावित
वस्त्र का थोक मंडी अशोक राजपथ, सब्जी बाग, खेतान मार्केट में दुकानें तो खुली लेकिन ग्राहक की संख्या काफी कम रही थी. इन मंडियों में वस्त्र के लगभग चार सौ थोक दुकानें हैं. जहां प्रतिदिन लगभग दस से 12 करोड़ रुपये का कारोबार होता है. पटना थोक वस्त्र व्यवसायी संघ के महासचिव पुरुषोतम चौधरी ने बताया कि भारत बंदी के कारण लगभग आठ से दस लाख करोड़ रुपये का कारोबार ठप रहा.
20 करोड़ का खुदरा और 5 करोड़ रोजाना का दवा कारोबार भी चौपट
वहीं भारत बंद के दौरान खुदरा कारोबार सबसे अधिक प्रभावित हुआ.
इस दौरान जहां दुकानें खुली थीं वहां भी ग्राहकों का आना- जाना कम ही हुआ. बिहार खुदरा विक्रेता महासंघ के महासचिव रमेश चंद्र तलरेजा ने बताया कि बंदी से लगभग 20 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार ठहर सा गया. इसके साथ ही दवा कारोबार में चार करोड़ से व्यवसाय प्रभावित हुआ.
दवा कारोबार से जुड़े जानकार बताते हैं कि हर दिन इस व्यवसाय में पांच करोड़ की खरीद-बिक्री होती है. इधर दूसरे दुकानदारों की मानें तो पुस्तक व स्टेशनरी का कारोबार लगभग 5 करोड़ रुपये का प्रभावित हुआ. इसके अलावे इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक्स का कारोबार लगभग 14 करोड़ रुपये का प्रभावित हुआ. साथ ही फल, सब्जी तथा अनाज मंडी में लगभग तीन करोड़ रुपये से अधिक का असर कारोबार पर पड़ा.
पटना : सोमवार को भारत बंद के दौरान बंद समर्थकों ने पूर्व मध्य रेल के 50 से अधिक स्टेशनों पर ट्रेनों के परिचालन ठप करने के साथ साथ उपद्रव मचाया.
उपद्रव की वजह से ट्रेनें जगह-जगह छह से दस घंटे तक रुकी रही. इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने बेतिया व गया स्टेशन पर जमकर तोड़फोड़ की. ट्रेन परिचालन बाधित होने की वजह से पूर्व मध्य रेल प्रशासन को तीन इंटरसिटी और 17 पैसेंजर ट्रेनों को रद्द करना पड़ा. इतना ही नहीं, 13 इंटरसिटी व 13 पैसेंजर ट्रेनों को बीच रास्ते से लौटायी गयी. ट्रन के साथ साथ स्टेशनों पर हुए तोड़फोड़ और टिकट रिफंड से रेलवे को करीब चार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है.
दो स्टेशनों पर जम कर की गयी तोड़फोड़
पूर्व मध्य रेल के समस्तीपुर रेल मंडल के बेतिया स्टेशन और मुगलसराय रेल मंडल के गया स्टेशन पर जम कर तोड़फोड़ की गयी.
बेतिया स्टेशन पर प्रदर्शनकारियों ने प्लेटफॉर्म पर खड़ी सत्याग्रह एक्सप्रेस के सभी एसी डिब्बे के शीशे और स्टेशन के बुकिंग काउंटर, कंप्यूटर, खिड़की के शीशे, पंखा, चैंबर में लगे कुर्सी-टेबल व एसी तोड़ दिया. बेतिया स्टेशन पर करीब एक करोड़ से अधिक राशि के संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. गया स्टेशन पर रेलवे को करीब 50 लाख से अधिक का नुकसान है. बंद के कारण सिर्फ पटना जंक्शन के जनरल टिकट काउंटर से 15 लाख रुपये से अधिक रिफंड करना पड़ा. पूर्व मध्य रेल क्षेत्र में ढाई से तीन करोड़ रुपये टिकट रिफंड से लौटाना पड़ा.
पटना : एससी-एसटी एक्ट में विशेष परिवर्तन करने से जुड़ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक खास वर्ग के लोगों की नाराजगी और उनका सड़क पर उतर कर अराजक हो जाना स्वाभाविक घटनाक्रम नहीं था. ये अचानक नहीं हुआ. जानकारी के मुताबिक इसके पीछे सुनियोजित वजहें रहीं. दरअसल लोगों के बीच सुनियोजित तौर पर फैसले से जुड़े तथ्यों का गलत तरीके से दुष्प्रचार किया गया.
उससे जुड़ी अफवाहें फैलाई गई. मसलन एक खास वर्ग का आरक्षण खत्म किया जा रहा है. संविधान से प्राप्त उनके विशेषाधिकारों को सीमित किया गया है. अधिकारों में कटौती और खास वर्ग को दी जाने वाली तमाम सुविधाओं में भी कटौती कर दी जाएगी. इसी तरह की अफवाहों और दुष्प्रचार ने सोमवार को सड़कों पर विरोध की ऐसी आग बो दी जिसने समूचे शहर को आगोश में ले लिया.
खास वर्ग का आरक्षण के प्रति भावनात्मक लगाव होने के चलते ऐसी अफवाहों या दुष्प्रचार ने आम में घी का काम किया. जानकारी के मुताबिक अफवाहों में समाज को बांटने वाले कुछ धारणाओं को जोड़ा गया.
आरक्षण पर एक जाति विशेष की सेना या वर्ग के लोगों के कथित आक्रामक रुख को प्रचारित किया गया. जबकि सच्चाई ये है कि धरातल और सही तथ्यों की रोशनी में वर्ग विशेष के खिलाफ किया जा रहा दुष्प्रचार पूरी तरह निराधार साबित हुआ.
पड़ताल में जाहिर हुआ कि बंद को सफल बनाने के लिये हर तरह के हथकंडे अपनाये गये. दुष्प्रचार और अफवाह फैलाने का सबसे धारदार हथियार सोशल मीडिया बना. इसके जरिये कुछ खास ग्रुपों में दुष्प्रचार का ‘जहर’ फैलाया गया. ऐसे-ऐसे संदेश शेयर किये गये, जो तथ्य से परे थे. ब्रेन वाश के लिए विशेष वाट्सएप ग्रुप में ऐसे-ऐसे मैसेज शेयर किये गये, जिससे उस वर्ग के युवा मूल मकसद भूल कर हिंसक हो गये.
मैसेजों के जरिये ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की गयी, मानो कि उस वर्ग का अस्तित्व ही इस फैसले से खत्म हो जायेगा. यही वजह है कि एक खास वर्ग के कुछ लोगों ने जो सुना उसी को सच मान लिया और सड़क पर उतर आये. पड़ताल में ये भी बात सामने आई कि जिन लोगों का अारक्षण और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कोई लेना देना नहीं था, उन्होंने भी अपने अपने स्वार्थ और मंशा के मुताबिक दुष्प्रचार किया. जैसे ही आंदोलन हिंसात्मक हुआ, वे लोग सड़कों से गायब भी हो गये.
पटना. आये दिन किसी भी राजनीतिक दल या संगठन द्वारा बंद करराये जाने से हर वर्ग के साथ शिक्षा जगत भी गंभीर रूप से प्रभावित होता है. विशेषकर स्कूली बच्चे. प्राइवेट स्कूलों में स्कूली वाहनों की व्यवस्था होती है, लेकिन बंद के दौरान आवागमन की समस्या होती है.
हालांकि स्थिति को देखते हुए स्कूलों के द्वारा अभिभावकों को एसएमएस वगैरह के माध्यम से सूचना दे दी जाती है या फिर छुट्टी की भी घोषणा कर दी जाती है. लेकिन सरकारी विद्यालयों के बच्चे बंद की स्थिति में खासे परेशान होते हैं. इन स्कूलों के बच्चे पोषक क्षेत्र यानी अधिकतर बच्चे दो-तीन किलोमीटर तक के दायरे में रहनेवाले होते हैं. लेकिन पैदल या सार्वजनिक वाहनों से आवागमन करनेवाले बच्चों को भी मार्ग में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में स्कूलों के पास कोई ऐसी व्यवस्था नहीं होती कि वे अभिभावकों को सूचित कर सकें या छुट्टी वगैरह की जानकारी दे सकें. इस कारण विद्यार्थी घर पहुंचने तक सुरक्षित नहीं होते.
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