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पटना डराता नहीं, अब करता है आकर्षित

बदलता पटना. बदमाशों के आतंक पर कसी प्रभावी नकेल पटना : करीब दशक भर पहले बिहार यहां तक कि पटना आने से भी लोग डरते थे. उनके जेहन में माफिया, बदमाश, अपहरण की तमाम घटनाएं हुआ करती थीं, जो समाचार माध्यमों के जरिये राजधानी के परिदृश्य को खतरनाक बना देती थीं. रंगदारी और उसे मिल […]

बदलता पटना. बदमाशों के आतंक पर कसी प्रभावी नकेल
पटना : करीब दशक भर पहले बिहार यहां तक कि पटना आने से भी लोग डरते थे. उनके जेहन में माफिया, बदमाश, अपहरण की तमाम घटनाएं हुआ करती थीं, जो समाचार माध्यमों के जरिये राजधानी के परिदृश्य को खतरनाक बना देती थीं.
रंगदारी और उसे मिल रही शह ने बिहार की छवि पर जबरदस्त बट्टा लगा दिया था. अलबत्ता यह परिदृश्य अब गुजरे जमाने की बात है. शहर के कुछ इलाके रात बारह बजे तक गुलजार हैं. दरअसल बिहारी अस्मिता की बात कहने वाली वर्तमान सरकार ने शहर ही नहीं समूचे बिहार को अपराध मुक्त करने की दिशा में ठोस उपाय किया है. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि जब 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार ने कार्यभार संभाला. नीतीश कुमार के चुनावी एजेंडे में अपराध मुक्त बिहार शामिल था.
उस समय पटना में ही दो दर्जन से अधिक बड़े-बड़े गैंग थे. शाम छह बजे ही सड़क पर अंधेरा छा जाता था. आलम यह था कि महिलाओं की बात तो दूर पुरुष भी सड़कों पर निकलने से कतराते थे. थानों में प्राथमिकी तक नहीं होती थी. सत्ता संभालने के बाद पटना में साफ-सुथरी छवि वाले अफसरों को तैनात किया गया. पुलिस को अपराध मुक्त बनाने के लिए छूट दी गयी. राजनैतिक प्रभाव को खत्म किया गया. धीरे-धीरे पुलिस ने अपराधियों पर शिकंजा कसा और दो साल में तमाम अपराधियों को सलाखों के पीछे कर दिया गया.
समूचे बिहार को अपराधमुक्त करने की दिशा में किये गये ठोस उपाय
पुलिस मुख्यालय से एसपी के कार्य की भी होने लगी समीक्षा
संगीन आपराधिक मामलों की पुलिस मुख्यालय से समीक्षा की जाने लगी. एसपी के कार्य का भी आकलन किया जाने लगा और इसका प्रभाव भी दिखा और अपराधियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई हुई. जिन एसपी का कार्य अनुकुल नहीं पाया गया, उन्हें तुरंत ही हटाया जाता रहा.
जातीय सेनाएं हुईं खत्म
बिहार नरसंहार व जातीय संघर्ष के लिए पूरे देश में जाना जाता था. नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद पुलिस ने नक्सलियों पर भी नकेल कसी और नक्सलियों के तमाम प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. पहले जहां हमेशा नरसंहार होता था और जातीय सेनाएं बनी हुई थीं. नीतीश कुमार की सरकार ने नक्सलियों के साथ ही जातीय सेनाओं पर नकेल कसी और इसका नतीजा यह निकला कि एक भी नरसंहार की घटना नहीं हुई. माआेवादियों ने अपना इलाका दूसरे राज्य में बना लिया.
आदर्श थाना भवनों का हुआ निर्माण, दिये गये अत्याधुनिक हथियार
पटना के थाना जर्जर हो चुके थे और उन थानों में ड्यूटी करना पुलिस के लिए मुश्किल था. पटना के कई थानों को आदर्श भवन में तब्दील किया गया. थाना का भवन बहुमंजिला बनाया गया. जहां पुलिसकर्मियों के ड्यूटी करने के साथ ही रहने की भी व्यवस्था की गयी. पुलिसकर्मियों को अत्याधुनिक हथियार प्रदान किये गये. रिटायर्ड सेना के जवानों से सैप का गठन किया गया. नक्सली क्षेत्रों में अत्याधुनिक हथियारों से लैस जवानों की तैनाती की गयी.

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