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बिहार : मिनी टेस्ट के बाद अब मिशन 2019 की तैयारी, बड़ा सवाल, पार्टी हारी या प्रत्याशी
राज्य में बुधवार को उपचुनाव के आये नतीजों के बाद सभी दलों ने आगे की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. भाजपा, जदयू, राजद व कांग्रेस की नजर अब 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव तथा 2020 के विधानसभा चुनाव पर है. इसको लेकर पार्टी स्तर पर चिंतन-मंथन का दौर शुरू हो गया […]
राज्य में बुधवार को उपचुनाव के आये नतीजों के बाद सभी दलों ने आगे की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. भाजपा, जदयू, राजद व कांग्रेस की नजर अब 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव तथा 2020 के विधानसभा चुनाव पर है. इसको लेकर पार्टी स्तर पर चिंतन-मंथन का दौर शुरू हो गया है. अररिया में वोट प्रतिशत बढ़ने के बाद भी हार का मुंह देखने वाली भाजपा ने नये सिरे से वोट बैंक बढ़ाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है. वहीं राजद भी आगे के चुनाव को लेकर रणनीति बनाने में जुट गया है.
अररिया
हार के बाद भाजपा वोट बढ़ाने का करेगी प्रयास
लोकसभा उपचुनाव के बाद एनडीए का मत प्रतिशत 14
प्रतिशत जरूर बढ़ा. बावजूद एनडीए को अररिया लोकसभा उपचुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा. इस पर सबसे ज्यादा बातें भितरघात को लेकर उठ रही हैं. इस संबंध में पूछे जाने पर
अररिया भाजपा के जिलाध्यक्ष संतोष सुराना ने कहा कि लोगों ने एनडीए के पक्ष में जबरदस्त मतदान किया, जिसके चलते
एनडीए के वोट बैंक में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. बावजूद हम हार गये. इससे भाजपा के कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि भाजपा के वोटरों में भी असंतोष है.
उन्होंने यह भी कहा कि हमारा वोट बैंक और भी बढ़ सकता था, लेकिन हमें पार्टी के अंदर भितरघात का सामना करना पड़ा. भाजपा अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए प्रयास करेगी. हर बूथ पर पड़े वोट की समीक्षा होगी. इन सभी बातों की समीक्षा करने के बाद भाजपा पुन: संगठन को धारदार बनाने का प्रयास करेगी व 2019 के लोकसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज कर नरेंद्र मोदी के हाथों को मजबूत करेगी.
सहानुभूति के कारण कुछ क्षेत्रों में बढ़त
इधर, भाजपा प्रदेश कार्यसमित सदस्य सह अररिया विधानसभा चुनाव प्रभारी आलोक भगत ने कहा कि भाजपा ही नहीं पूरे एनडीए में इस बात को लेकर असंतोष है कि केंद्र व राज्य सरकार ने विकास के नाम पर नये कीर्तिमान स्थापित किये. बावजूद मतदाता इसे वोट में परिणत नहीं कर पाये. उन्होंने मतदाताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि जितना मत इस बार एनडीए को मिला, इससे पहले के किसी भी लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को नहीं मिला था. मलाल इस बात का है हम इस ऐतिहासिक बढ़त के बाद भी चुनाव को जीत में परिणत नहीं कर सके.
इसका कारण उन्होंने स्पष्ट करते हुए बताया कि मरहूम तस्लीमउद्दीन के पुत्र की यह जीत सहानुभूति में मिले मत से हुआ. इस हार के बाद भाजपा अब मत प्रतिशत बढ़ाने की दिशा में काम करेगा. कम से कम 10 प्रतिशत मत प्रतिशत और बढ़ सके, इसके लिए बूथ स्तर से लेकर पंचायत स्तर पर संगठन को और भी धारदार बनाया जायेगा. साथ ही जिनके द्वारा भी भाजपा के झंडे के नीचे राजद का प्रचार का तमगा लगा है उनके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए प्रदेश व केंद्र नेतृत्व को लिखा जायेगा.
प्राथमिकता
दूर करेंगे समस्याएं: सरफराज
लोकसभा उपचुनाव में मिली शानदार जीत के लिए जिलावासियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए क्षेत्र के नये सांसद मो सरफराज आलम ने गुरुवार को कहा कि क्षेत्र का सर्वांगीण विकास उनकी पहली प्राथमिकता है. नव निर्वाचित सांसद ने कहा कि हर साल आने वाली बाढ़ यहां के लोगों के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी है. बाढ़ के कारणों की पड़ताल और इसके स्थायी समाधान का हर संभव प्रयास किया जायेगा.
अपने पिता अल्हाज तसलीमुद्दीन के ड्रीम प्रोजेक्ट महानंदा बेसिन परियोजना के क्रियान्वयन को गंभीरता से लिये जाने की बात उन्होंने कही. सांसद ने कहा कि कई रेलवे प्रोजेक्ट हैं, जिसके लिए केंद्र सरकार ने राशि उपलब्ध करायी है. सुपौल-सहरसा रेल खंड का अामान परिवर्तन कार्य हो या अररिया-गलगलिया रेल पथ निर्माण, दोनों ही महत्वाकांक्षी रेलवे परियोजना का कार्य ससमय संपन्न कराना उनकी प्राथमिक सूची में शामिल है. सरकार में नहीं होने की चुनौती को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में सांसद सरफराज आलम ने कहा कि सरकार में नहीं रहने के बावजूद उनके दिवंगत पिता मो तस्लीमुद्दीन का सत्ता पक्ष के लोगों से मधुर संबंध रहा.
क्षेत्र के विकास से जुड़े मसले को लेकर वे कई दफा केंद्रीय रेलवे मंत्री व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले. क्षेत्र की समस्याओं से उन्हें अवगत कराया. सत्ता पक्ष से उन्हें भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ. अपने पिता को अपना आदर्श बताते हुए सांसद सरफराज आलम ने कहा कि हु-ब-हू वे अपने पिता के नक्शे कदम पर चलेंगे. क्षेत्र के विकास से जुड़े किसी भी मामले को लेकर सत्ताधारी विपक्षी दल के नेताओं की चौखट खटखटाने से उन्हें कोई गुरेज नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद उन्होंने मां खड़गेश्वरी काली मंदिर की चौखट पर अपना माथा टेका.मंदिर के साधक नानू बाबा का आशीर्वाद प्राप्त किया. बिल्कुल स्पष्ट लहजे में उन्होंने कहा कि वे अपनी छवि किसी कौम या पार्टी के नेता के रूप में सीमित नहीं रखना चाहते. लोकसभा उपचुनाव में उन्हें हर जाति, वर्ग व समुदाय का भरपूर सहयोग मिला. इसके लिए वे सदा क्षेत्र की जनता के आभारी रहेंगे. जिले के सभी खासोआम पर आने वाली किसी भी मुसीबत के समय वे मुस्तैदी से उनके साथ खड़े मिलेंगे.
जहानाबाद
बड़ा सवाल : पार्टी हारी या प्रत्याशी
पार्टी की हार हुई या प्रत्याशी की, जहानाबाद में अब यह जुमला बन गया है. शहर के चौक-चौराहों पर हार-जीत पर मंथन का दौर जारी है. राजग के वोट बैंक में सेंध लगी या प्रत्याशी के प्रति वोटरों में दिलचस्पी नहीं थी. इस पर भी बड़ी बहस छिड़ी है. उदासीन वोटर मन मसोस कर घर बैठे रह गये. राजद प्रत्याशी सुदय यादव की बड़ी जीत पर लोग तरह-तरह की बातें भी कर रहे. उपचुनाव ने जहानाबाद ही नहीं, सूबे में भी एक बड़ा संदेश दिया है. एक वक्त था जब शहर के गांधी मैदान में राजद की रैली या सभा में लालू या बड़े नेताओं के भाषण के बाद सवर्णों के बीच आक्रोश पनपता था लेकिन इस दफा के चुनाव में राजद नेताओं के बोल ही बदल गये थे. मंच पर आते ही विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सबसे पहले अपने संबोधन में स्वामी सहजानंद की पावन धरती को नमन करते हुए गरीब सवर्णों के आरक्षण की बात कहकर विरोधियों के मुंह पर ताला लगा दिया. साथ ही सवर्णों की सहानुभूति बटोरने में वे कमोवेश कामयाब रहे. चुनाव का परिणाम इस बात का गवाह है. वहीं रिजल्ट के बाद भी राजद प्रत्याशी ने सबसे पहले एसएस काॅलेज में ही लगी स्वामी सहजानंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सवर्णों को साथ लेकर चलने का संकेत दे दिया है, जिससे बिहार में नयी राजनीति का उदय होता दिख रहा.
शहर में पार्टी और प्रत्याशी पर हो रही बहस सबकुछ बयां करने के लिए काफी है. फिलहाल जदयू प्रत्याशी की हार के बाद कई तरह के आरोप की बात सामने आ रही है. अब तो आने वाले चुनाव में राजनीतिक पार्टियों को भी सोच-समझकर ही चुनावी मैदान में प्रत्याशी उतारना पड़ेगा. जहानाबाद की जनता ने प्रत्याशी के व्यवहार से खफा होकर विरोध तो किया लेकिन इसका खामियाजा जदयू यानी एनडीए को भुगतना पड़ा है. वोट का ट्रेंड पहले जातियों में बंटा था, महागठबंधन के साथ यादव, मुसलमान, मांझी, रविदास सतही तौर पर दिखाई देते हैं. वहीं राजग के साथ भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, कायस्थ, चंद्रवंशी, पासवान, कुर्मी और कुशवाहा एकजुट दिखते हैं लेकिन इस दफा के उपचुनाव ने जातीय ट्रेंड को तितर-बितर कर दिया है. हर जाति मजहब के लोगों ने कम ही सही लेकिन राजद को वोट देकर बड़ी जीत दिलायी है. सरकार की नीतियों का भी विरोध हुआ है. शराबबंदी, बालूबंदी, राशन और जीएसटी ने एनडीए को झटका दिया है.
राजद प्रत्याशी सुदय यादव की बड़ी जीत पर लोग तरह-तरह की बातें कर रहे.
शहर के चौक-चौराहों पर हार-जीत पर मंथन का दौर जारी
जश्न मनाते राजद समर्थक
मार्केट कॉम्प्लेक्स प्राथमिकता
जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र से नवनिर्वाचित राजद विधायक कुमार कृष्ण मोहन उर्फ सुदय यादव ने कहा कि उपचुनाव मेरे लिए असहज और दुख भरा था. अपने पिता मुंद्रिका सिंह यादव के निधन के बाद मुझे सभी वर्गों के लोगों ने आशीर्वाद और प्रेम-स्नेह देकर बड़ी जीत दिलायी. मैं जहानाबाद की महान जनता के आशाओं पर पूरी तरह खरा उतरूंगा.
राजद विधायक सुदय यादव ने कहा कि कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान जनता से उन्हें कोई विशेष टास्क नहीं मिला लेकिन वह प्राथमिकता के तहत शहर का सौंदर्यीकरण तो करेंगे ही, सब्जी मंडी में लंबित मार्केट कॉम्प्लेक्स निर्माण का कार्य भी पूरा करेंगे. यह कार्य वर्ष 2000 से ही लंबित है.
इसके अलावा अपने पिता के द्वारा शिलान्यास कराये गये नगर पर्षद के कार्यालय भवन का निर्माण कराना और हमीदनगर सिंचाई परियोजना से जुड़े एक कैनाल का निर्माण समेत बचे हुए कार्यों को शीघ्र पूरा कराना प्राथमिकता होगी. उन्होंने यह भी कहा कि सड़क को लेकर मतदान का बहिष्कार करने वाले अख्तियारपुर-मसंडा गांव के ग्रामीणों की समस्या दूर होगी.
एनडीए को भारी पड़ी नाराजगी
उपचुनाव में इस बार जहानाबाद सीट पर नोटा ने प्रत्याशियों और दलों को आईना दिखाया है, स्थिति यह है कि 14 प्रत्याशियों में नोटा चौथे स्थान पर रहा, जबकि 11 प्रत्याशियों को नोटा से भी कम मत मिले. नोटा को इस बार रिकाॅर्ड 3232 मत मिले, जबकि शिवसेना प्रत्याशी अर्चना मिश्रा को मात्र 2009 मतों से संतोष करना पडा, वहीं राजद से सुदय यादव को रिकाॅर्ड 76598 मत मिले. दूसरे स्थान पर रहे जदयू के अभिराम शर्मा को 41255 मत मिले. भाकपा-माले से कुंती देवी तीसरे स्थान पर रहीं.
चुनाव परिणाम के बाद राजनीतिक दल अपने-अपने अनुसार परिणाम पर मंथन कर रहे हैं. इससे इतर इस बार के उपचुनाव में मतदाताओं की नाराजगी जगजाहिर है. जहानाबाद चुनाव में इस बार जहां पिछले सालों की अपेक्षा कम मतदान हुआ, वहीं नोटा को रिकाॅर्ड मत पड़े.
भभुआ
भाजपा का 13% वोट बढ़ा
भभुआ विधानसभा उपचुनाव के आये परिणाम के कई मायने हैं. समाजवादियों की धरती कहे जानेवाले कैमूर में 2014 से भगवा का परचम लहरा रहा है. 2015 में हुए विधानसभा चुनाव से इस बार हुए उपचुनाव में भाजपा का 13 प्रतिशत वोट बढ़ा है. यहीं नहीं भाजपा की जीत का अंतर भी पांच प्रतिशत से बढ़ कर 11 प्रतिशत हो गया है. दूसरी तरफ विपक्ष में राजद व कांग्रेस गठबंधन के वोट में भी सात प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है. हालांकि, पिछले चुनाव में भभुआ विधानसभा सीट पर भाजपा के खिलाफ जदयू लड़ा था.
बातचीत
सबके लिए काम करना है : रिंकी रानी पांडेय
जीत दर्ज करनेवाली भाजपा प्रत्याशी रिंकी रानी पांडेय ने प्रभात खबर से बातचीत में अपनी विजय पर संतोष प्रकट किया है.रिंकी रानी पांडेय ने कहा , ‘दुख की घड़ी में लोगों ने मेरी पीड़ा को समझा. लोगों ने मुझे गले लगा कर अपनाया है. जितना मैंने उम्मीद की थी, उससे ज्यादा लोगों ने मुझे प्रेम व आशीर्वाद दिया है. मैं भी उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए पूरी ताकत लगा दूंगी.’ भभुआ से भाजपा की नवनिर्वाचित विधायक श्रीमती पांडेय अब आगे की बातें सोच रही हैं.
वह अपने मतदाताओं व क्षेत्र के लोगों के बारे में उनसे ही सुनना-समझना चाहती हैं. इसके लिए वह अपने क्षेत्र के तमाम गांवों का दौरा करना चाहती हैं. बातचीत में उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले मैं प्रत्येक गांव का दौरा करूंगी, ताकि लोगों की समस्याओं को मैं समझ सकूं. दिवंगत विधायक द्वारा किये वे तमाम वादे, जो अधूरे हैं, प्राथमिकता के आधार पर पूरे किये जायेंगे.’ विधायक महोदया ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान लोगों ने सबसे ज्यादा पानी की समस्या के बाबत शिकायतें कीं.
किसका नंबर बढ़ा और किसकी सीटें घट गयीं: संजय सिंह
जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि उपचुनाव के परिणामों को लेकर हायतौबा मचाने की जरूरत नहीं है. अगर विरोधी दल के नेता को इतना ही खुशफहमी है तो वह बतायें कि इस चुनाव में किसका नंबर बढ़ा और किसका नंबर कम हो गया. तेजस्वी को तो सच कबूल करना चाहिए कि उनके दल के नेता एक सजायाफ्ता हैं.
क्या इस चुनाव में जदयू की कोई सीट कम हुई और क्या राजद ने पहले से अधिक सीट पा ली है. जदयू प्रवक्ता ने कहा कि उपचुनाव में जिसकी जो सीट थी वहीं मिली. उन्होंने कहा कि गालिब ने सही कहा है कि सभी को जन्नत की हकीकत मालूम है. पर दिल को बहलाने के लिए इस तरह का ख्याल अच्छा है. तेजस्वी को अब अधिक खुश होने की आवश्यकता नहीं है. पारिवारिक संपत्ति मामले को लेकर चल रहे मुकदमों से परिवार की सांस अटकी हुई है. कुछ ही दिनों में उनकी खुशी का रंग उतर जायेगा.
अररिया की जीत पर राजद खुशफहमी न पाले : नंदकिशोर
राज्य के पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा है कि अररिया संसदीय क्षेत्र से उप चुनाव में जीत पर राजद को खुशी मनाने का कोई कारण नहीं दिखता है. पूरे राज्य में इस उपचुनाव में सहानुभूति के आधार पर जनता ने वोट दिया है. सहानुभूति लहर होने के वाबजूद अररिया लोक सभा क्षेत्र के चार विधान सभा क्षेत्रों में भाजपा ने विजय प्राप्त की.
राजद ने केवल दो विधानसभा में ही लीड किया. उन्होंने कहा कि अररिया की चार विधानसभा क्षेत्र फारबिसगंज, सिकटी, रानीगंज और नरपतगंज में भाजपा ने राजद को पराजित किया. नरपतगंज विधान सभाक्षेत्र से राजद ने विधानसभा में जीत हासिल की थी जबकि इस लोक सभा चुनाव में भाजपा की जीत हुई. अररिया और जोकीहाट जहां उन्होंने धर्म के आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण किया है वहीं से राजद प्रत्याशी की जीत हुई है.
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