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बिहार : पटना सिटी में कायम है बंदरों का आतंक, बाहर निकलने में डरते हैं लोग

पटना सिटी : ठंड के मौसम में धूप व गर्मी में शाम के समय छत पर ठंडी हवा नहीं खा सकते हैं क्योंकि बंदरों के आतंक से खुद के मकान में लोग एक प्रकार से कैद होकर रह रहे हैं. बंदरों से बचने के लिए लोगों ने अपने घरों की छत के ऊपर लोहे का […]

पटना सिटी : ठंड के मौसम में धूप व गर्मी में शाम के समय छत पर ठंडी हवा नहीं खा सकते हैं क्योंकि बंदरों के आतंक से खुद के मकान में लोग एक प्रकार से कैद होकर रह रहे हैं.
बंदरों से बचने के लिए लोगों ने अपने घरों की छत के ऊपर लोहे का जालियां लगा रखी हैं. डर के मारे लोग अपने घरों की खिड़की व दरवाजे को भी बंद रखते हैं. कुछ इसी तरह की स्थिति है बंदरों के आंतक से प्रभावित चौक थाना क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक मुहल्लों की. जहां झुंड में रहने वाले बंदर कभी महिलाओं, बुजुर्ग व बच्चों पर हमला कर देते है.नहीं तो धूप में सूख रहे कपड़ों को उठा कर ले भागते हैं. रसोईघर से खाने-पीने की वस्तु उठा कर ले जाते हैं.
हद तो तब होती है जब सड़कों पर फल-सब्जी बेचने वाले दुकानदारों की दुकानों से फल-सब्जी उठा ले भागते हैं. तारों पर झूल कर डिश, टेलीफोन व बिजली के तार को नोच डालते हैं. बंदरों के बिजली तार पर झूलने से तार टूटने, शॉर्ट लगने एवं ट्रांसफाॅर्मर उड़ने का मामला अधिक होने से विद्युत विभाग परेशान था. अब अधिकतर स्थानों पर एरियल बंच केबल लगने से समस्या में कमी आयी है.
गुरुवार को विधान परिषद में उठा था बंदरों के आतंक का मुद्दा
बिहार विधान परिषद में गुरुवार को बंदरों के आतंक का मुद्दा उठा. विधान पार्षद केदार नाथ पांडेय ने पर्यावरण एवं वन विभाग के मंत्री से कहा कि पटना सिटी और दानापुर नगर पर्षद क्षेत्र में बंदरों के उत्पात से आम लोग परेशान हैं. जवाब में विभाग के प्रभारी मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि बंदरों के आतंक से निजात दिलाने की व्यवस्था पर विचार किया जायेगा.
इन जगहों पर है बंदरोें का आतंक
बदंरों का यह आतंक चौक थाना के आसपास, कंगन घाट, मिरचाई गली, हीरानंद शाह की गली, झाऊगंज, तरकारी बाजार,कचौड़ी गली, हरिमंदिर गली, लंगुर गली, कंगन घाट, मदरसा गली, किला रोड, बाल लीला गुरुद्वारा व मच्छरट्टा समेत अन्य मुहल्लों में अधिक है. जहां सैकड़ों की संख्या में बंदरों ने अपना आंतक फैला रखा है.
स्थिति यह है कि थोड़ी-सी सावधानी हटी नहीं कि बंदरों ने हमला किया. स्थिति यह है कि गलियों में अधिकतर भवनों की छतों पर लोगों ने लोहे की जाल लगवा ली है. खिड़कियों में तार का घना जाल लगा है. यह सुरक्षा चोरों से बचने के लिए नहीं, बल्कि बंदरों से बचने के लिए है. स्थानीय लोगों की मानें तो बंदरों की संख्या भी दस-बीस-पचास में नहीं बल्कि डेढ़ से दो सौ के बीच में है, जो 10 से 12 टोलियों में घूमते हैं.
बंदर कब किसे शिकार बना लें कहना मुश्किल है. दहशत इतनी कि महिलाओं ने छत पर जाना ही छोड़ दिया है. बच्चों के छत पर जाने व अकेले बाहर खेलने पर भी प्रतिबंध रहता है. स्थिति यह है कि एक मुहल्ला का कपड़ा दूसरे मुहल्ले में मिलता है. इसे लेकर कई बार लोगों में झड़प भी हो जाती है.

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