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बिहार : सिस्टम से भी ठगे गये साइबर ठगी के शिकार, पुलिस भी नहीं सुनती, प्राथमिकी दर्ज कराना भी मुश्किल

कैसे मिले न्याय : पुलिस भी नहीं सुनती, प्राथमिकी दर्ज कराना भी होता है मुश्किल एटीएम फ्रॉड के कई मामले पुलिस के पास पर पकड़ने में नाकाम पटना : एटीएम फ्रॉड कर पैसे निकालने वाले गिरोह के तार पूरे देश में जुड़े हुए है. एटीएम फ्रॉड के कई केस पुलिस के पास पहुंचे, लेकिन इन […]

कैसे मिले न्याय : पुलिस भी नहीं सुनती, प्राथमिकी दर्ज कराना भी होता है मुश्किल
एटीएम फ्रॉड के कई मामले पुलिस के पास पर पकड़ने में नाकाम
पटना : एटीएम फ्रॉड कर पैसे निकालने वाले गिरोह के तार पूरे देश में जुड़े हुए है. एटीएम फ्रॉड के कई केस पुलिस के पास पहुंचे, लेकिन इन जालसाजों को पकड़ने में पुलिस नाकाम रही है. खास बात यह है कि जिनके साथ एटीएम फ्रॉड की घटना होती है, उन्हें पैसा का तो नुकसान होता ही है, उन्हें प्राथमिकी तक दर्ज कराने के लिए कई थानों का चक्कर लगाना पड़ता है. अधिकतर मामलों में एफआईआर भी नहीं होती.
कुछ एक मामलों में वरीय पुलिस अधिकारी के हस्तक्षेप के बाद ही प्राथमिकी दर्ज हो पाती है. जानकारों के मुताबिक अगर सीसीटीवी कैमरा एटीएम में लगा है तो वहां से पुलिस को वीडियो फुटेज लेने में ही कई दिन लग जाते है. बैंक भी एटीएम के प्रति सजग नहीं है. कई एटीएम में सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है और जहां लगा है, वह चल रहा है या नहीं, यह भी कोई देखने वाला नहीं है.
एसएसपी के आदेश पर दर्ज हुई प्राथमिकी
रिटायर्ड ट्रांसपोर्ट विभाग के कर्मचारी रामाधार यादव से जालसाजों ने पिन कोड पूछ कर पैसे दूसरे खाता में स्थानांतरित कर दिये, उनकी प्राथमिकी पुलिस ने नहीं दर्ज की. कई मामले पहले भी सामने आ चुके है. बेऊर निवासी उपेंद्र प्रसाद के साथ भी एटीएम जालसाजी की घटना हुई थी.
जालसाजों ने उनके खाता से 40 हजार निकाल लिया. प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए गर्दनीबाग थाने का चक्कर लगाया, लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी. अंत में एसएसपी के निर्देश पर मामला दर्ज किया गया.

पुलिस के पास नहीं है कोई स्पष्ट नीति
एटीएम जालसाजी का शिकार होने के बाद कोई भी व्यक्ति कहां प्राथमिकी दर्ज कराएं, इसके लिए पुलिस के पास स्पष्ट नीति नहीं है. मसलन अगर किसी का गर्दनीबाग के बैंक में एकाउंट है और जालसाजों ने गांधी मैदान इलाके के बैंक से निकासी की है, तो उक्त व्यक्ति कहां प्राथमिकी दर्ज करायेगा.
आमतौर पर जब पीड़ित गर्दनीबाग पहुंचते हैं, तो वहां यह बताया जाता है कि पैसा गांधी मैदान इलाका से निकला है, इसलिए वहां प्राथमिकी दर्ज होगी. जब वह गांधी मैदान थाना पहुंचता है तो कहा जाता है कि उनका खाता जिस थाना क्षेत्र में है, वहां प्राथमिकी दर्ज होगी.

बैंक ग्राहकों से कोई भी सूचना एसएमएस या फोन पर नहीं मांगता

एटीएम लेनदेन को सुरक्षित रखने के नियम

विदेशियों के खाते से नालंदा और नवादा के
साइबर अपराधियों ने निकाले करोड़ों रुपये
कई देशों के विदेशियों के खाते से नालंदा और नवादा के साइबर अपराधियों द्वारा करोड़ों रुपये स्थानांतरित कर निकाले जाने का मामला प्रकाश में आया है. सूत्रों के अनुसार इस मामले को लेकर विदेश से भी एक टीम नोएडा व पटना में शुक्रवार की देर रात छानबीन करने पहुंच गयी है.
हालांकि पुलिस पुष्टि नहीं कर रही है. सूत्रों का कहना है कि इन साइबर अपराधियों ने भारत के भी कई विभाग के अधिकारियों के एकाउंट से पैसे निकाले है. यह पूरा खेल वॉइस ओवर प्रोटोकॉल के तहत किया गया है. विदेशी टीम को यह जानकारी मिली है कि सारा काम नवादा और नालंदा इलाके से किया गया है. वैसे भी नालंदा व नवादा के कई जगह साइबर अपराधियों के अड्डे के रूप में काफी पहले से ही चर्चित रहा है. बैंक से जुड़े तमाम फ्रॉड इसी इलाके से संचालित किये जाते रहे है और इसमें पटना पुलिस ने भी कई साइबर अपराधियों को पकड़ा था. इसके अलावा झारखंड़ का जामताड़ा भी साइबर अपराधियों का अड्डा बना हुआ है. लेकिन यहां भी पुलिस उनके नेटवर्क को तोड़ने में फेल रही है. विदेशियों के खाते से करोड़ों निकाले जाने की मामला सामने आने के बाद यहां की पुलिस भी सक्रिय हो गयी है.

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