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ट्रैक्टर की ठोकर से बाइक सवार युवक की गयी जान, हंगामा
मुखिया और पुलिस के प्रयास से हटा जाम मसौढ़ी : पटना-गया एसएच ( 01 ) के गौरीचक बाजार स्थित एक बैंक के पास सोमवार की सुबह ट्रैक्टर के ठोकर से बाइक सवार 25 वर्षीय युवक की मौके पर ही मौत हो गयी. इधर घटना के बाद ट्रैक्टर का चालक ट्रैक्टर छोड भागने में सफल हो […]
मुखिया और पुलिस के प्रयास से हटा जाम
मसौढ़ी : पटना-गया एसएच ( 01 ) के गौरीचक बाजार स्थित एक बैंक के पास सोमवार की सुबह ट्रैक्टर के ठोकर से बाइक सवार 25 वर्षीय युवक की मौके पर ही मौत हो गयी. इधर घटना के बाद ट्रैक्टर का चालक ट्रैक्टर छोड भागने में सफल हो गया. इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने मुआवजे की मांग और चालक की गिरफ्तारी को लेकर पटना-गया मुख्य सड़क को जाम कर दिया.
बाद में मौके पर पहुंची पंचायत की मुखिया अंजनी देवी और पुलिस के प्रयास के बाद व बीडीओ से बात कर मृतक के परिजनों को मुखिया द्वारा पारिवारिक लाभ योजना के तहत बीस हजार रुपये मुआवजा देकर करीब आधे घंटे बाद जाम को हटाया गया. बाद में पुलिस ने शव व ट्रैक्टर को बरामद कर थाने ले आयी. बाद में कागजी प्रक्रिया पूरी कर शव को पोस्टमार्टम के लिए एनएमसीएच भेज दिया. जानकारी के अनुसार गौरीचक थाना के सरफाबाद निवासी मनोहर प्रसाद वर्मा का इकलौता पुत्र हरेंद्र कुमार प्रतिदिन की तरह सोमवार की सुबह अपनी बाइक से परसा बाजार स्थित कुरथौल जहां वह एक दुकान में काम करता था,जा रहा था.
इसी बीच वह जैसे ही गौरीचक बाजार स्थित सेन्ट्रल बैंक के पास पहुंचा ही था कि पीछे से आ रही ट्रैक्टर ने उसकी बाइक में पीछे से जोरदार ठोकर मार दी, जिससे वह वही गिर पड़ा और ट्रैक्टर के ठोकर से उसकी मौके पर ही मौत हो गयी. बताया जाता है कि घटना के वक्त हल्की बारिश बूंदा बांदी हो रही थी और सुबह का वक्त होने की वजह से अधिकतर बाजार की दुकाने बंद थी. इस बजह से सड़क या बाजार में लोगों की चहलकदमी कम थी, जिसका फायदा उठा चालक ट्रैक्टर छोड़ मौके से भाग निकलने में सफल हो गया .
अगले माह युवक की होने वाली थी शादी
मृतक हरेंद्र अपने मां-बाप का इकलौता संतान था. वह प्रतिदिन कुरथौल में एक दुकान मे काम करने घर से बाइक से ही आता जाता था. सोमवार को भी वह बाइक से ही जा रहा था कि घटना घट गयी. बताया जाता है कि हरेंद्र की शादी अगले माह ही होने वाली थी. लेकिन नियती को कुछ और मंजूर था.
थाने में पड़े शव के पास उसके पिता मनोहर प्रसाद वर्मा व मां का रो-रोकर हाल-बेहाल था. बार-बार उसकी मां एक ही बात की रट लगा रही थी कि जानते तो घर से नहीं जाने देते. मां की दहाड़ के साथ यह उक्ति कि अब केकरा परिछवई हे रमवा सुन वहां मौजूद सभी की आंखों से आंसू छलक गये.
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