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बिहार : कैबिनेट से मंजूरी के बावजूद सिंचाई का काम फाइलों में अटका

पटना : रबी फसलों के लिए इस समय जब पानी की जरूरत है तो सिंचाई की व्यवस्था का काम सरकारी फाइलों में ही अटका हुआ है. यह हालत तब है, जब सिंचाई की बेहतर व्यवस्था के लिए राजकीय नलकूपों को निजी हाथों में सौंपने का राज्य सरकार ने 27 अप्रैल, 2017 को ही निर्णय ले […]

पटना : रबी फसलों के लिए इस समय जब पानी की जरूरत है तो सिंचाई की व्यवस्था का काम सरकारी फाइलों में ही अटका हुआ है. यह हालत तब है, जब सिंचाई की बेहतर व्यवस्था के लिए राजकीय नलकूपों को निजी हाथों में सौंपने का राज्य सरकार ने 27 अप्रैल, 2017 को ही निर्णय ले लिया था. इसके पीछे पंप ऑपरेटरों की कमी बड़ी वजह थी. लघु जल संसाधन विभाग ने इसमें संशोधन की जरूरत बताया तो 11 दिसंबर, 2017 को इसमें संशोधन के साथ कैबिनेट ने फिर से मंजूरी दी. इसके बावजूद विभाग केवल व्यवस्था की उधेड़बुन में ही लगा हुआ है.
इस समय प्रदेश में 10,242 में से 5077 राजकीय नलकूप चालू हैं. पंपचालकों की कमी की वजह से इन नलकूपों का संचालन ठीक तरीके से नहीं हो पा रहा था. इसलिए सरकार ने इसकी वैकल्पिक व्यवस्था की. बंद पड़े नलकूपों की भी मरम्मत करवाकर चालू हालत में सभी राजकीय नलकूपों को निजी हाथों में सौंपने की सरकार ने योजना बनायी. कैबिनेट से इसे स्वीकृति मिलने पर लघु जल संसाधन विभाग को इसे लागू करने का निर्देश दिया था.
l इस समय प्रदेश में 10,242 में से 5077 राजकीय नलकूप चालू हैं
l पंपचालकों की कमी की वजह से निजी हाथों में सौंपे जाने थे राजकीय नलकूप
l 27 अप्रैल, 2017 को पहली बार कैबिनेट से मिली मंजूरी, इसमें िफर संशोधन हुआ
एक नलकूप लगवाने में 15-20 लाख खर्च
विभागीय सूत्रों की मानें तो एक राजकीय नलकूप लगवाने में सरकार को करीब 15-20 लाख रुपये खर्च करना पड़ता है. इसके साथ ही यदि खेतों में पानी पहुंचाने के लिए नाली बनवाया गया तो कुल खर्च करीब 30 लाख रुपये तक आता है. इसलिए सरकार अब निजी नलकूपों की योजना पर ज्यादा ध्यान दे रही है.
किनको सौंपा जाना है नलकूप
राजकीय नलकूपों को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया के लिए प्राथमिकता तय किये गये थे. विभागीय सूत्रों का कहना है कि पहले जीविका को मौका दिया जायेगा. इसके बाद एनजीओ हैं. तीसरे नंबर पर सोसाइटी और पंचायत रखे गये हैं.
इन सबके बाद ही किसी भी व्यक्ति को मौका दिया जा सकेगा. चयनित संस्था या समूह को प्रति नलकूप केवल 10 हजार रुपये सिक्युरिटी लेकर दो साल के लिए सौंप दिया जायेगा. इनका काम नलकूप से किसान के खेतों को पटवन की व्यवस्था, इसका रखरखाव व देखभाल, रिपेयरिंग और राजस्व वसूली करना है. राजस्व का निर्धारण स्थानीय डीएम और सीओ की देखरेख में होगी. समयावधि खत्म होने पर कामकाज की समीक्षा होगी.

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