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बिहार : हर साल आय वृद्धि से औसतन तीन गुना अधिक बढ़ जाती है फीस

पटना : राजधानी के प्राइवेट स्कूलों में इस साल मंथली ट्यूशन फीस भी बढ़ाने की तैयारी है. हर वर्ष अभिभावकों की आय में औसतन जितनी वृद्धि नहीं होती, उससे करीब तीन गुना अधिक फीस बढ़ जाती है. इससे साल-दर-साल अभिभावकों पर खर्च का बोझ बढ़ता ही जा रहा है. पिछले सालों की फीस वृद्ध और […]

पटना : राजधानी के प्राइवेट स्कूलों में इस साल मंथली ट्यूशन फीस भी बढ़ाने की तैयारी है. हर वर्ष अभिभावकों की आय में औसतन जितनी वृद्धि नहीं होती, उससे करीब तीन गुना अधिक फीस बढ़ जाती है. इससे साल-दर-साल अभिभावकों पर खर्च का बोझ बढ़ता ही जा रहा है.
पिछले सालों की फीस वृद्ध और वेतन वृद्धि के आंकड़े कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने लाते हैं. प्राइवेट नौकरी करनेवाले लोगों की बात छोड़ दें, तो सरकारी दफ्तरों के कर्मचारियों के वेतन में औसतन जितनी वृद्धि होती है, उसकी तुलना में स्कूलों की फीस तीन गुना या इससे अधिक बढ़ जाती है. सरकारी नौकरी में काम करने वाले अभिभावकों की मानें, तो उनके वेतन में हर साल तीन प्रतिशत वृद्धि होती है. जबकि हर साल स्कूलों की फीस में 10 से 15 फीसदी तक की वृद्धि कर दी जाती है.
कोर्ट में मामला
राज्य में प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस बढ़ाये जाने को लेकर हाईकोर्ट भी मामला चल रहा है. हाई कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार की ओर से बताया गया है कि फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिएरेगुलरिटी कानून तैयार लिया गया है, जिसे अंतिम रूप दिया जा रहा है. लेकिन यह कानून अभी तक विभाग के पास ही लटका हुआ है.
– 20 से 25% तक बढ़ सकती है
पिछले वर्षों के दौरान फीस में 10 से 15 फीसदी तक की वृद्धि होती रही है. कमोबेश यही स्थिति इस बार भी है. हालांकि इस बार यदि सातवां वेतनमान लागू हो जाता है, तो इसके 20 से 25 % तक रहने की संभावना है.
– पांच वर्ष में डेढ़ से दोगुना हुई फीस
अभिभावकों के अनुसार पिछले पांच साल के आंकड़े को देखा जाये, तो फीस में डेढ़ से दो गुना तक की वृद्धि हुई है. पांच वर्षों के दौरान किसी स्कूल ने यदि प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत ही वृद्धि की, तो उसकी फीस डेढ़ गुना हो चुकी है. हालांकि ऐसे कई स्कूल हैं, पांच वर्ष पूर्व पहली कक्षा की फीस एक हजार रुपये थे, वहां आज 1800-1900 रुपये मंथली फीस है. यह आंकड़ा अब और बढ़ने जा रहा है.
सीबीएसई की गाइडलाइन का उल्लंघन कर बढ़ायी जाती है फीस
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए स्कूल हर वर्ष फीस बढ़ाते हैं. गाइलडाइन के अनुसार कम से कम तीन वर्ष के अंतराल पर ही फीस वृद्धि की जा सकती है. वह भी किसी तरह का विकास कार्य किये जाने पर अधिकतम पांच प्रतिशत तक ही.
– महीने के अंत तक बैठक
दूसरी ओर फीस वृद्धि को लेकर इस महीने के अंत तक स्कूलों की बैठक होनी है. एंग्लो इंडियन स्कूल एसोसिएशन के महासचिव गेल ग्लेस्टन ने बताया कि अभी फीस वृद्धि पर कोई बैठक नहीं हुई है, न ही कोई निर्णय लिया गया है. सातवें वेतन मान पर नजर है. लागू होने पर फीस वृद्धि की जा सकती है.
– एमएचआरडी व पीएमओ तक पहुंची शिकायत
स्कूलों की मनमानी को लेकर पिछले ही दिनों अभिभावकों के एक शिष्टमंडल ने नयी दिल्ली में एमएचआरडी के राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा से मिल कर स्कूलों में हर वर्ष फीस वृद्धि समेत अन्य शिकायतें दर्ज करायी. शिष्टमंडल में शामिल संजीव पाठक ने बताया कि फीस वृद्धि के अलावा हर वर्ष नयी किताबें लागू करने, किताब व स्कूल ड्रेस में कमीशनखोरी, विरोध करने पर बच्चे को स्कूल से निकाल दिये जाने आदि से संबंधित लिखित शिकायत की गयी है. प्रतिलिपि प्रधानमंत्री कार्यालय को भी भेजी गयी है.

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