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सड़कों पर दौड़ रहे 8000 अवैध ऑटो

धांधली. 15 हजार को मिला परमिट, जबकि संचालित हो रहे 23 हजार ऑटो रिक्शा पटना : शहर की सड़कों पर आठ हजार से अधिक अवैध ऑटो दौड़ रहे हैं. गजब की बात यह है कि समूची सरकारी मशीनरी इनके परिचालन को रोकने में नाकाम रही है. परमिट से अधिक संख्या में दौड़ रहे इन ऑटो […]

धांधली. 15 हजार को मिला परमिट, जबकि संचालित हो रहे 23 हजार ऑटो रिक्शा

पटना : शहर की सड़कों पर आठ हजार से अधिक अवैध ऑटो दौड़ रहे हैं. गजब की बात यह है कि समूची सरकारी मशीनरी इनके परिचालन को रोकने में नाकाम रही है. परमिट से अधिक संख्या में दौड़ रहे इन ऑटो के चलते शहर की न केवल आबोहवा प्रभावित हुई है बल्कि यातायात पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है. इन्हीं अवैध वाहनों की वजह से शहर की सड़कों पर जाम लगने की समस्या आम हो गयी है. इससे लोगों को किस कदर असुविधा का सामना करना पड़ रहा है.
इसे सहज ही समझा जा सकता है. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक पटना शहर में ऑटो चलाने का परमिट केवल 15 हजार ऑटो चालकों को दिया गया है. 11 जुलाई, 2014 से नया परमिट मिलना पूरी तरह बंद है. इसके बावजूद शहर में दिन-ब-दिन ऑटो रिक्शा बढ़ते ही जा रहे हैं. पिछले 3.5 वर्षों में इनकी संख्या में आठ हजार की वृद्धि हुई है और जनवरी, 2018 में बढ़ कर 23 हजार हो गयी है.
रिप्लेसमेंट के नाम पर परमिट रिन्यूअल
तीन वर्ष पहले क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार ने पुराने वाहनों से बढ़ रहे पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए शहरी क्षेत्र में 15 वर्ष पुराने बसों और ऑटो रिक्शा के परिचालन पर रोक लगा दी गयी. वाहन चालकों को नुकसान से बचाने के लिए प्रावधान किया गया कि पुराने ऑटो मालिकों को नया वाहन लेने पर परमिट का रिन्यूअल नहीं करवाना होगा. कुछ दिनों बाद इस निर्णय के विरोध में बस मालिक कोर्ट में चले गये और कोर्ट के आदेश पर 15 वर्ष पुराने वाहनों का भी शहरी क्षेत्र में परिचालन शुरू हो गया. इस निर्णय के आने के बाद भी पुराने वाहनों को नये वाहन से रिप्लेस करने पर नये परमिट नहीं लेने का प्रावधान जारी रहा.
कई ऑटो चालकों ने नये ऑटो रिक्शा के लिए परमिट हासिल कर लिया पर पुराने ऑटो रिक्शा को भी उन्होंने शहर की सड़कों पर से नहीं हटाया. कई ऑटो चालकों को पटना जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में ऑटो चलाने की परमिट दी गयी है, लेकिन वे शहरी क्षेत्र में उस परमिट को लेकर गाड़ी चला रहे हैं.
ट्रैफिक एसपी को विशेष अभियान के लिए लिखेंगे
ट्रैफिक एसपी को प्राधिकार ने निर्देश दिया है कि ग्रामीण क्षेत्र का परमिट लेकर शहरी क्षेत्र में ऑटो चलाने वाले चालकों पर कार्रवाई करें. अन्य तरह के फर्जीवाड़े का खुलासा भी विशेष अभियान चलाकर ही किया जा सकता है. इसके लिए ट्रैफिक एसपी को लिखेंगे.
सुशील कुमार, सचिव, क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार
जाम से परेशान
हो रहे हैं लोग
ऑटो रिक्शा को नयी परमिट जारी करने पर रोक लगाने की वजह शहर में दिन-ब-दिन जाम की समस्या बढ़ रही है. वाहनों के हर दिन बढ़ते हेवी लोड को शहर की सड़कें संभाल नहीं पा रही हैं. इसकी वजह से लंबा-लंबा जाम लग रहा है. पहले तो राजधानी की मुख्य सड़कें ही इस समस्या से पीड़ित थीं, अब लिंक सड़कें भी प्रभावित होने लगी हैं. तेजी से बढ़ते निजी दुपहिया और चार पहिया वाहनों पर रोक लगाना मुश्किल था, लिहाजा सड़क पर वाहनों का लोड कम करने के लिए ऑटो रिक्शा की संख्या को नियंत्रित रखने का निर्णय लिया गया. 11 जुलाई, 2014 की क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार की बैठक में अगले आदेश तक के लिए परमिट को बंद रखने का निर्णय लिया गया. वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए भी निर्णय लिया गया था. लेकिन बिना परमिट के हजारों ऑटो रिक्शा के आ जाने से न तो जाम बंद हुआ और न प्रदूषण रुका.

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