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क्षमता 50 की पर होम में रह रहे 138 बच्चे

पटना : राज्य में बढ़ते अपराध और उन अपराधों में संलिप्त बच्चों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. वहीं, उनके मामलों की सुनवाई में भी देरी हो रही है. इससे उन अपराधों में संलिप्त बच्चों को रखने के लिए बनाये गये ऑब्जर्वेशन होम (पर्यवेक्षण गृह) की संख्या कम पड़ रही है. इससे ज्यादातर होम […]

पटना : राज्य में बढ़ते अपराध और उन अपराधों में संलिप्त बच्चों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. वहीं, उनके मामलों की सुनवाई में भी देरी हो रही है. इससे उन अपराधों में संलिप्त बच्चों को रखने के लिए बनाये गये ऑब्जर्वेशन होम (पर्यवेक्षण गृह) की संख्या कम पड़ रही है. इससे ज्यादातर होम में क्षमता से अधिक बच्चों को रखा जा रहा है. पटना जिले के गायघाट स्थित पर्यवेक्षण गृह की क्षमता 50 बच्चों के रहने की है. पर वर्तमान में वहां, 138 बच्चे रह रहे हैं. पटना जिला अकेला नहीं, पूरे बिहार में संचालित 12 पर्यवेक्षण होम की ऐसी ही स्थिति बनी हुई है.
ऑब्जर्वेशन होम का बुरा हाल
किशोर न्याय बाेर्ड के आंकड़ाें के मुताबिक पूरे बिहार भर में लगभग 29 हजार मामले लंबित हैं. इनमें पटना जिले में सबसे अधिक लगभग 4200 किशोरों के मामले लंबित हैं. मुजफ्फरपुर, छपरा, दरभंगा, गया और नालंदा जिले समेत 10 जिलाें में लंबित केसों की संख्या लगभग 1000 है. किशोर न्याय बोर्ड के सदस्यों का गठन 1 जनवरी, 2015 को किया गया था. इसके बाद दो सदस्यीय टीम का टर्म तीन साल बाद स्वत: एक जनवरी को समाप्त हो जाने के बाद से बोर्ड के सदस्यों के पद रिक्त पड़े हैं. इससे लंबित वादों की सुनवाई में देरी हो रही है. जबकि बच्चों से जुड़े मामलों की सुनवाई चार महीने में पूरी कर ली जानी है.
किन बच्चों को रखा जाता है पर्यवेक्षण गृह में
पर्यवेक्षण गृह में उन्हीं बच्चों को रखा जाता है, जिनके विरुद्ध मामला दर्ज है और किशोर न्याय बोर्ड में मामला लंबित है. इनमें बच्चे छोटे से छोटे अपराध या फिर जघन्य अपराधों में भी संलिप्त होने पर उन्हें यहां रखा जाता है. जिन बच्चों की उम्र 16 से 18 वर्ष की होती है. उन बच्चों के लिए प्लेस ऑफ सेफ्टी होम बनाये गये हैं. जहां, उन बच्चों को रखा जाता है.
लड़कियों के लिए नहीं पर्यवेक्षण गृह
बिहार भर में कुल 12 होम संचालित किये जा रहे हैं. दो नये होम नालंदा और मधेपुरा जिले में खोले गये हैं, जो फंक्शनल नहीं हैं. वहीं, लड़कियों के लिए एक भी पर्यवेक्षण गृह नहीं होने से विधि-विवादित लड़कियों को उत्तर रक्षा गृह में भूली-भटकी व मानसिक रूप से विक्षिप्त महिलाओं को रखा जाता है. वहीं, शेखपुरा में एक प्लेस ऑफ सेफ्टी होम और पटना के पर्यवेक्षण होम के कैंपस में हीस्पेशल होम भी संचालित किये जा रहे हैं. इस तरह से कुल 38 जिलों के बच्चे 12 जिलों में संचालित होम में रखे जाते हैं.

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