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बिहार : खतरों का बाईपास, 9 माह, 112 हादसे और 41 मौतें

वाहनों का लोड बढ़ने से भी बढ़ी दुर्घटनाएं, तेज रफ्तार और पुलिस की अनदेखी पड़ रही भारी पटना : पिछले सप्ताह अनिसाबाद बाईपास पर एक स्कूटी सवार युवती की मौत हो गयी. उसे बगल से जाते ट्रक ने रौंद दिया था. यह पहली घटना नहीं है. हर महीने औसतन 9-10 दुर्घटनाएं अनिसाबाद से जीरो माइल […]

वाहनों का लोड बढ़ने से भी बढ़ी दुर्घटनाएं, तेज रफ्तार और पुलिस की अनदेखी पड़ रही भारी
पटना : पिछले सप्ताह अनिसाबाद बाईपास पर एक स्कूटी सवार युवती की मौत हो गयी. उसे बगल से जाते ट्रक ने रौंद दिया था. यह पहली घटना नहीं है. हर महीने औसतन 9-10 दुर्घटनाएं अनिसाबाद से जीरो माइल के बीच बाईपास पर होती है, जिसमें तीन-चार लोग की ऑन स्पॉट मौत भी हो जाती है.
कभी पूरी तरह बाहरी क्षेत्र में स्थित न्यू बाईपास अब आबादी के तेज विस्तार के कारण बीच शहर में आ गया है. अतिक्रमण व अवैध पार्किंग से सड़क की चौड़ाई घट गयी है, जबकि वाहनों का लोड बहुत बढ़ गया है. ऐसे में बार बार लोग दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं. पिछले नौ महीने (1 अप्रैल-31 दिसंबर, 2017) में बाईपास थाना में सड़क दुर्घटना के 112 मामले दर्ज हो चुके हैं, जिसमें 41 लोगों की जान जा चुकी है. ऐसे में सुविधाओं का बाईपास खतरों का बाईपास बन गया है.
अवैध पार्किंग से सिमटी सड़क
अवैध पार्किंग और अतिक्रमण भी सड़क दुर्घटना बढ़ने की एक बड़ी वजह बनी है. सड़क के दोनों ओर कई जगह छोटे छोटे गैराज खुल गये हैं. इनके आसपास सड़क पर ही एक लाइन से ट्रकें खड़ी रहती है. कार-जीप जैसे छोटे चारपहिए वाहनों की भीड़ भी इनके आसपास दिखाई देती है. लाइन होटल के आसपास भी ऐसी अवैध पार्किंग दिखाई देती है. इसके कारण कई जगह सड़कें संकरी हो गई हैं. ऐसे जगहों से भारी वाहनों को गुजरने में परेशानी होती है और थोड़ी भी अनियंत्रित होने पर छोटे वाहन चालकों और बाइक सवारों को धक्का मार देते हैं.
बढ़ गये हैं छोटे वाहन भी
बाईपास को आम तौर पर बड़े और भारी व्यावसायिक वाहन चालक और दूर जाने वाले छोटे चारपहिया वाहन चालक इस्तेमाल करते हैं. लेकिन पटना के न्यू बाईपास के आसपास अब घनी रिहायशी बस्तियां बस चुकी हैं. इस वजह से अब इस इलाके में बाइक और ऑटो रिक्शा जैसे छोटे व्यावसायिक वाहन भी धड़ल्ले से चलने लगे हैं. इनके चलने से सड़क पर वाहन का लोड बहुत बढ़ गया है. वाहनों की संख्या बढ़ने से दुर्घटनाओं की आशंका काफी बढ़ गयी है.
दोनों तरफ बस गयी सघन बस्ती
बाईपास की परिकल्पना एक ऐसे सड़क के रूप में की जाती है, जिससे होकर भारी व्यावसायिक वाहन बिना शहर के भीड़ भाड़ को झेले बाहर निकल जाये. शहर की ट्रैफिक व्यवस्था के लिए भी यह बेहतर होती है और शहरवासी हाईवे पर चलने वाले बड़े व्यावसायिक वाहनों के भारी लोड से बचे रहते हैं. लेकिन पटना का न्यू बाईपास दोनों में से किसी भी मानदंड पर खरे नहीं उतर रहा है. 25-30 वर्ष पहले कंकड़बाग ओल्ड बाईपास की जगह शहर के काफी दूर से न्यू बाईपास का निर्माण किया गया, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बहुत तेजी से शहर का विस्तार हुआ है. रामकृष्णा नगर, जगनपुरा जैसी बस्तियां बस चुकी हैं और शहर बढ़ कर अब बाईपास से भी बहुत आगे तक जा चुका है.
विभागों को कार्रवाई के लिए िलखा है
बाईपास पर दुर्घटना बढ़ने की बड़ी वजह अतिक्रमण है. ट्रांसपोर्टरों ने सड़क किनारे अपनी दुकानें खोल रखी है, गैरेज और लाइन होटल बन गये हैं, लेकिन उनके पास गाड़ियों को खड़ी रखने की जगह नहीं है. यह अन्य विभागों से संबंधित मामला है. इसलिए संबंधित विभागों को हमने कार्रवाई के लिए लिखा है.
शब्बीर अहमद, डीएसपी टू, ट्रैफिक
अवैध पार्किंग और अतिक्रमण के कारण सड़क हादसे बढ़ गये हैं. इसको ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी भी स्वीकार करते हैं. इसके बावजूद भी इन पर कार्रवाई नहीं होती है. इसकी एक बड़ी वजह क्रेन की कमी है. पांच लाख वाहनों का हर दिन लोड होने के बावजूद पटना ट्रैफिक पुलिस के पास केवल एक क्रेन है, जो गांधी सेतु के आसपास तैनात रहती है ताकि सेतु पर वाहनों के खराब होने की स्थिति में उसे जल्द हटा कर वहां यातायात चालू करवाया जा सके.
अन्य जगहों पर क्रेन उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए अवैध क्षेत्र में पार्क की गई ट्रक को उठाने की कार्रवाई नहीं हो पाती है. इनसे फाइन वसूलना भी मुश्किल होता है क्योंकि ज्यादातर ट्रक ड्राइवर अपनी गाड़ियों को खड़ी कर इधर उधर गये रहते हैं.

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