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पांच साल में प्रदेश में लगेंगे पांच करोड़ पौधे

गुड न्यूज l बढ़ेगी किसानों की आय और हरियाली भी, पर्यावरण एवं वन विभाग कर रहा है काम पटना : बिहार में पांच साल के दौरान पांच करोड़ से अधिक पौधरोपण की योजना पर प्रदेश सरकार का पर्यावरण एवं वन विभाग काम कर रहा है. इनमें से अधिकतर ऐसे पौधे होंगे जो करीब पांच-छह साल […]

गुड न्यूज l बढ़ेगी किसानों की आय और हरियाली भी, पर्यावरण एवं वन विभाग कर रहा है काम

पटना : बिहार में पांच साल के दौरान पांच करोड़ से अधिक पौधरोपण की योजना पर प्रदेश सरकार का पर्यावरण एवं वन विभाग काम कर रहा है. इनमें से अधिकतर ऐसे पौधे होंगे जो करीब पांच-छह साल में पेड़ बन जायेंगे. किसान इन्हें काटकर बेच सकेंगे और इन लकड़ियों का इस्तेमाल फर्नीचर आदि बनाने में किया जा सकेगा. इसका मकसद राज्य के किसानों की आय, लकड़ी से जुड़े उद्योग और हरियाली बढ़ानी है. लकड़ियों की खरीद-बिक्री करने के लिए मार्च, 2018 तक वैशाली जिले के बाजार समिति में लकड़ी का बाजार (ई-टिम्बर मार्ट) खोला जायेगा.

यहां किसान स्वयं पहुंचकर और ई–एप्लिकेशन से अपने तैयार पेड़ों की बिक्री कर सकेंगे. सूत्रों का कहना है कि अगले पांच साल के दौरान उत्तर बिहार में डेढ़ करोड़ पॉप्लर के पौधे और इसके अलावा पूरे बिहार में तीन करोड़ 80 लाख अन्य प्रजाति के पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. इसे लगाने के लिए प्रोत्साहन योजना भी चलायी गयी है. इसका किसानों के बीच प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.

करोड़ पौधरोपण किया

गया 2012-17 के बीच,

24 करोड़ पौधरोपण

का था लक्ष्य

प्रजातियों के पेड़ परिवहन परमिट

से हैं मुक्त: पिछले पांच सालों में मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना के अंतर्गत 2088 किसानों द्वारा तैयार चार करोड़ 16 लाख पौधे की 6.30 रुपये की दर से खरीद की गयी. पॉप्लर के पौधारोपण के लिए तीन साल तक 10-10 और 15 रुपये का अनुदान दिया जाता है.

बड़े पैमाने पर कार्यक्रम चलाया जायेगा: प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ डीके शुक्ला ने कहा कि पर्यावरण एवं वन विभाग पौधरोपण के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है. जिलों में कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. 2012-17 के बीच 24 करोड़ पौधरोपण के लक्ष्य के विरुद्ध 18.47 करोड़ पौधरोपण हुआ.

मोदी ने की थी चर्चा

पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने प्रदेश में नयी कृषि वानिकी नीति 2018 बनाने की घोषणा की थी. इसका मकसद किसानों को परंपरागत खेती के अलावा आमदनी बढ़ाने के अन्य विकल्प उपलब्ध करवाना है. उपमुख्यमंत्री ने कहा था कि केवल धान-गेहूं के फसल चक्र से किसानों का फायदा नहीं होगा. किसानों को समेकित खेती भी करनी चाहिए. इसमें मछली पालन, अंडा उत्पादन, फल व सब्जी और कृषि वानिकी अपना कर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. केवल एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से किसानों की आमदनी नहीं बढ़ायी जा सकती है क्योंकि पूरे देश में उत्पादित मात्र सात प्रतिशत खाद्यान्न की ही खरीद एमएसपी पर होती है.

पौधे लगाने की योजना पर हो रहा काम

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