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जानिए मोकामा-पटना फास्ट पैसेंजर को ‘द बर्निंग ट्रेन’ बनाने का जिम्‍मेवार कौन ?

मोकामा–पटना फास्ट पैसेंजर अलाव से उठी चिनगारी से द बर्निंग ट्रेन बन गयी. रेलकर्मी कुछ समझ पाते इससे पहले आग की लपटों ने एक–एक कर चार बोगियों को घेर लिया. काफी मशक्कत के बाद ट्रेन की अन्य बोगियों को आग से बचाया जा सका. बताया जा रहा है कि चार–पांच लोगों को यार्ड में खड़ी […]

मोकामा–पटना फास्ट पैसेंजर अलाव से उठी चिनगारी से द बर्निंग ट्रेन बन गयी. रेलकर्मी कुछ समझ पाते इससे पहले आग की लपटों ने एक–एक कर चार बोगियों को घेर लिया. काफी मशक्कत के बाद ट्रेन की अन्य बोगियों को आग से बचाया जा सका.

बताया जा रहा है कि चार–पांच लोगों को यार्ड में खड़ी ट्रेन में देखा गया था. इससे अनुमान लग रहा है कि ठंड से बचने के लिए बोगी के अंदर अलाव जलाया गया था. पटना–मोकामा पैसेंजर मंगलवार की रात्रि तकरीबन साढ़े दस बजे मोकामा स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या चार पर पहुंची, जबकि ट्रेन के वापस लौटने का समय सुबह साढ़े पांच बजे निर्धारित है.

इस बीच ट्रेन को यार्ड में भेजा गया. रेलकर्मियों की मानें, तो झाझा से आयी टीम ने यार्ड में खड़ी ट्रेन में तकरीबन 12 बजे तक मेंटेनेंस का काम किया था. संदिग्ध लोगों तक पहुंचने के लिए मेंटेनेंस का काम कर रहे रेलकर्मियों से भी पूछताछ की जा रही है. स्टेशन परिसर के खानाबदोश लोगों का भी बसेरा है. भीषण ठंड को लेकर वह भी ट्रेन में शरण ले सकते हैं.

फिलहाल आरपीएफ व जीआरपी घटना की विभिन्न पहलुओं पर छानबीन में जुटी है. इधर, सीनियर डीएसओ एमके तिवारी व आरपीएफ सीनियर कमांडेंट सीएम मिश्र ने आग से क्षतिग्रस्त बोगियों का निरीक्षण किया. वहीं, उन्होंने मामले की जांच के लिए स्थानीय पदाधिकारियों को जरूरी निर्देश भी दिये.

सुरक्षा में चूक से आग हुई विकराल

मोकामा. पैसेंजर ट्रेन में अगलगी की घटना रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी चूक मानी जा रही है. आरपीएफ के जवान स्टेशन परिसर से नदारद थे. वहीं, कोच अटेंडेंट का भी कोई अता-पता नहीं था. यार्ड में ट्रेन खड़ी करने के बाद दरवाजे व खिड़कियां भी नहीं बंद की गयी थीं.

रेलकर्मियों को घटना का पता उस वक्त लगा जब दो बोगियां धू–धू कर जल रही थीं. वहीं, राहत व बचाव में रेलकर्मियों के पहुंचने तक दो अन्य बोगियां भी आग की लपटों में समा चुकी थीं. यदि रेलकर्मी व जवान अपनी ड्यूटी में तत्पर रहते, तो आग पर अविलंब काबू पाया जा सकता था. स्टेशन परिसर में आग पर काबू पाने का ठोस साधन भी उपलब्ध नहीं है. बाढ़ से दमकल के पहुंचने में घंटों वक्त लग गया. स्टेशन प्रबंधक ने बताया कि फिलहाल यार्ड में खड़ी ट्रेन के दरवाजे व खिड़कियां बंद करने की व्यवस्था यहां उपलब्ध नहीं है.

रेल अधिकारियों ने जांच के बाद आग लगने की वजह शाॅर्ट सर्किट को नकार दिया. रेल सूत्रों के मुताबिक पैसेंजर ट्रेन की पीछे से छह नंबर वाली बोगी में सबसे पहले आग लगी, जबकि इस बोगी में बैटरी नहीं होती है.

वहीं, ट्रेन का पेंट्रो नीचे कर देने के बाद बोगियों में विद्युत आपूर्ति भी बंद हो जाती है. केवल स्टार्टर मोटर वाली बोगी में बैटरी लगी होती है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक इस बोगी जलने के बाद इलेक्ट्रिक मोटर वाली बोगी समेत तीन अन्य बोगियां भी आग की चपेट में आ गयीं. बाद में दमकल व आग निरोधक दस्ते की मदद से पीछे की तीन बोगियां व आगे की तकरीबन आठ बोगियों को जलने से बचा लिया गया.

प्रारंभिक जांच में घटना का कारण ट्रेन में अलाव जलाना

मोकामा स्टेशन पर स्थिति का जायजा लेने पहुंचे एडीआरएम (ऑपरेशन)अरविंद रजक ने कहा कि प्रारंभिक जांच में असामाजिक तत्वों के द्वारा ट्रेन में अलाव जलाने का मामला सामने आ रहा है. हालांकि, इसकी जांच के लिए तकनीक विशेषज्ञों की टीम गठित की गयी है. इस घटना में रेलवे काे तकरीबन एक करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

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