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इंटरेक्शन के बहाने ले रहे हैं बच्चों का आईक्यू टेस्ट

पटना : राजधानी के प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश कक्षा (नर्सरी या एलकेजी) में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इसके तहत दीघा स्थित संत माइकल हाइ स्कूल में इन दिनों स्कूल में बच्चों को माता-पिता के साथ स्कूल में इंटरेक्शन के लिए बुलाया जा रहा है. इसी के तहत गुरुवार को भी सुबह अभिभावक […]

पटना : राजधानी के प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश कक्षा (नर्सरी या एलकेजी) में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इसके तहत दीघा स्थित संत माइकल हाइ स्कूल में इन दिनों स्कूल में बच्चों को माता-पिता के साथ स्कूल में इंटरेक्शन के लिए बुलाया जा रहा है.
इसी के तहत गुरुवार को भी सुबह अभिभावक अपने बच्चों को लेकर स्कूल पहुंचे. स्कूल द्वारा दिये गये समय के अनुसार उनके साथ इंटरेक्शन किया गया. किस तरह इंटरेक्शन हुआ, क्या सवाल पूछे गये, इन सवालों पर अभिभावकों ने बताया कि बच्चे को एक कमरे में ले जाकर कुछ जनरल टेस्ट लिया गया. जबकि आरटीई के नियम-प्रावधानों के संबंध में पूछने पर उन्होंने कुछ कहने से इन्कार किया. इस संबंध में स्कूल के प्राचार्य से मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं हो सकी.
टेस्ट के बाद भी करना पड़ेगा रिजल्ट का इंतजार
टेस्ट के बाद भी अभिभावकों के अभी रिजल्ट का इंतजार करना पड़ेगा. यह निश्चित नहीं है कि बच्चे का एडमिशन होगा या नहीं. स्कूल गेट पर रिजल्ट का नोटिस लगा है. नोटिस के अनुसार एलकेजी में एडमिशन के लिए रिजल्ट की घोषणा तीन फरवरी को की जायेगी. शाम 4:00 बजे से स्कूल की वेबसाइट पर रिजल्ट देखा जा सकेगा.
हमसे कुछ नहीं पूछा गया. बच्चे को एक कमरे में ले जाकर उन्होंने दो मिनट का कुछ टेस्ट लिया. इसके साथ ही जिन कागजात की मांग की गयी है, उसका सत्यापन किया गया. बहुत ही सरल प्रक्रिया थी
अमित कुमार मिश्रा, अभिभावक
हमें कुछ पता नहीं, बच्चे को एक रूम में लेकर चले गये, वहीं उससे कुछ पूछा होगा. हमें तो इसकी जानकारी नहीं है. कुछ मिनट की प्रक्रिया थी. कागजात की भी जांच की गयी.
कमलेश कुमार, अभिभावक
कोटे के 25% के लिए ही नहीं लेना है टेस्ट
विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि आरटीई के तहत कोटे की 25 प्रतिशत सीटों के अभ्यर्थियों का टेस्ट नहीं लेना है. इसके अलावा अन्य सीटों के अभ्यर्थियों का टेस्ट लिया जा सकता है.
क्योंकि एडमिशन के लिए स्कूल के पास भी कोई आधार होना चाहिए. उन्होंने बताया कि आरटीई में ऐसा ही प्रावधान है. साथ ही अल्पसंख्यक स्कूलों के लिए आरटीई के प्रावधानों को मानने की बाध्यता नहीं है. जबकि पड़ोसी राज्य झारखंड में प्रवेश कक्षाओं की कोटे की सीटों के अलावा अन्य सीटों पर एडमिशन के लिए भी अभ्यर्थियों का चयन लॉटरी के माध्यम से ही करना है. किसी भी कैटेगरी की सीट पर एडमिशन के लिए बच्चों का टेस्ट नहीं लिया जा सकता है.

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