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व्यावसायिक शिक्षा को इंटरमीडिएट के समान कैसे दी जा रही मान्यता
पटना : व्यावसायिक शिक्षा की इंटरमीडिएट के समान मान्यता देने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है. न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी व न्यायाधीश नीलू अग्रवाल की खंडपीठ ने भवेश नाथ झा द्वारा दायर एलपीए पर सुनवाई की. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि व्यावसायिक शिक्षा को किस आधार पर […]
पटना : व्यावसायिक शिक्षा की इंटरमीडिएट के समान मान्यता देने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है. न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी व न्यायाधीश नीलू अग्रवाल की खंडपीठ ने भवेश नाथ झा द्वारा दायर एलपीए पर सुनवाई की. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि व्यावसायिक शिक्षा को किस आधार पर इंटरमीडिएट के समान मान्यता दी जा रही है, जबकि यह शिक्षा अलग है.
याचिकाकर्ता का कहना था कि व्यावसायिक शिक्षा को इंटरमीडिएट के समान मान्यता दी जा रही है. बिहार बोर्ड ने भी इस डिग्री को इंटर के समकक्ष मानने का आदेश जारी किया है, जो गलत है. व्यावसायिक शिक्षा की पढ़ाई किये लोगों को इंटरमीडिएट के समान मान्यता देने के इंटरमीडिएट काउंसिल के आदेश को हाईकोर्ट की एकलपीठ ने भी सही माना है. याचिकाकर्ता का कहना था कि इंटरमीडिएट की शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा दोनों अलग-अलग है. इंटरमीडिएट काउंसिल व हाईकोर्ट की एकलपीठ ने जो आदेश दिया है वह गलत है.
पटना. राज्य सरकार छह सप्ताह में बताये की विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षकों को सेवानिवृत्ति का लाभ देने के लिए क्या कार्रवाई कर रही है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने कृष्णकांत सिन्हा द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह जानकारी राज्य सरकार से मांगी.
अदालत को याचिकाकर्ता द्वारा बताया गया कि राज्य के विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों से सेवानिवृत्त शिक्षकों को उनके सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन की राशि समय पर नहीं दिया जाता है. इस संबंध में हाईकोर्ट ने राज्य के सभी कुलपतियों से जवाब मांगा था. सभी कुलपतियों ने अपना अपना जवाब कोर्ट में दे दिया है. अब सरकार को बताना है कि इस मामले में वह क्या कार्रवाई कर रही है.
अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर लोकहित याचिका दायर
पटना : दानापुर के खगौल के पास स्थित 70 फिट के पैन को अतिक्रमण से मुक्त कराने को लेकर एक लोकहित याचिका पटना हाईकोर्ट में दायर की गयी है. दायर याचिका में कहा गया है कि पैन को अतिक्रमण कर लोग मकान एवं दुकान बना लिए हैं, जिसे अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराया जाये.
पटना : हाइकोर्ट ने जगजीवन कॉलेज डिहरी ऑन सोन के प्राचार्य पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह आदेश गुरुवार को परीक्षा शुल्क लेने के बाद उसे बिहार बोर्ड में जमा नहीं कराने को लेकर दिया है.
अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कोर्ट ने बोर्ड के अध्यक्ष को दिया. न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने छात्र विशाल कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. अदालत ने बोर्ड को यह भी कहा कि वह इस छात्र का परीक्षाफल भी प्रकाशित करे.
छात्र विशाल कुमार ने वर्ष 2017 इंटर परीक्षा फॉर्म निर्धारित शुल्क के साथ जमा किया. अन्य छात्रों के साथ जब इस का प्रवेशपत्र जब नहीं आया, तो उसने अपने कॉलेज से संपर्क किया. कॉलेज द्वारा बताया गया कि उसका फॉर्म बोर्ड में जमा कराया जा चुका है. जब छात्र ने बोर्ड से जानकारी ली, तो बताया गया कि उसका परीक्षा फॉर्म कॉलेज ने बोर्ड को भेजा ही नहीं है. तब छात्र ने हाईकोर्ट से न्याय की मांग की.
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