Advertisement
बिहार : पांच सालों में एंबुलेन्स में ही पैदा हुए 16000 नवजात, प्रसव पीड़ा होने पर घर से निकलना बना कारण
आनंद तिवारी @पटना पटना सहित पूरे बिहार में प्रसव को लेकर अभी भी प्रसूताओं में जागरूकता की कमी देखी जा रही है. यही वजह है कि एंबुलेन्स में ही प्रसव हो रहे हैं. वह भी एक दो नहीं, बल्कि 16 हजार. इन आंकड़ों को जान कर भले ही आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन यह […]
आनंद तिवारी @पटना
पटना सहित पूरे बिहार में प्रसव को लेकर अभी भी प्रसूताओं में जागरूकता की कमी देखी जा रही है. यही वजह है कि एंबुलेन्स में ही प्रसव हो रहे हैं. वह भी एक दो नहीं, बल्कि 16 हजार. इन आंकड़ों को जान कर भले ही आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन यह सही है. 102, 108, 1099 जैसे एंबुलेन्स में जनवरी 2013 से 2017 तक कुल पांच साल में 16 हजार से ज्यादा किलकारियां गूंजी हैं. इसका मुख्य कारण प्रसव पीड़ा को नजरअंदाज करना है. घर से निकलने में देरी की वजह से कई बच्चों का जन्म एंबुलेन्स व सड़क पर ही हो रहा है.
अस्पतालों में प्रसव बढ़ाने के लिए एंबुलेन्स सेवा शुरू
सरकारी अस्पतालों में प्रसव बढ़ाने के लिए 102, 108 व 1099 एंबुलेन्स सेवा शुरू की गयी है. पिछले पांच साल के दौरान लाखों गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाया गया. अस्पताल देरी से निकलने की वजह से एंबुलेन्स में 16 हजार से ज्यादा प्रसव हुए हैं. स्वास्थ्य विभाग से मिलनेवाले आकड़ों के बाद यह जानकारी मिली है.
एंबुलेन्स से अस्पताल लाने के दौरान रास्ते में बढ़ती है प्रसव की आशंका
एंबुलेन्स सेवा की संचालक राज्य स्वास्थ्य समिति के अधिकारियों का कहना है कि कई बार गर्भवती प्रसव पीड़ा बढ़ने पर फोन करती हैं. ऐसे में रास्ते में प्रसव की आशंका अधिक बढ़ जाती है. वहीं सिविल सर्जन डॉ पीके झा ने कहा कि सुरक्षित प्रसव के लिए एंबुलेन्स में तैनात पारा मेडिकल स्टाफ को ट्रेंड किया गया है. फोन आते ही एंबुलेन्स घर पर पहुंच जाती हैं. वहीं, सबसे अधिक एंबुलेन्स में प्रसव की घटना ग्रामीण इलाकों में होती है. उन्होंने कहा कि अगर प्रसूताएं जागरूक हो जाएं और समय से पहले फोन कर दें, तो उनकी डिलिवरी अस्पताल में ही होती है. उन्होंने कहा कि जो महिलाएं पहले एंबुलेन्स की सेवा लेती हैं, उन्हें सुरक्षित अस्पताल में पहुंचाया जाता है और अच्छे से डिलिवरी होती है. हालांकि, पिछले दो वर्ष में अधिकतर महिलाओं में जागरूकता देखने को मिल रही है.
42 हजार प्रसव घर में हुए
एंबुलेन्स ही नहीं घरों में भी प्रसव हो रहे हैं. आज भी कई ऐसी महिलाएं हैं, जो अपने घरों में ही प्रसव करा रही हैं और अस्पताल जाने में कतराती हैं. ग्रामीण इलाकों में यह अधिक देखने को मिल रहा है. करीब 42 हजार प्रसव एंबुलेन्स कर्मचारियों ने घरों में कराये हैं. एंबुलेन्स संचालकों का कहना है कि कॉल सेंटर पर फोन आने के बाद जब एंबुलेन्स गर्भवती को लाने उनके घर पहुंचती हैं, तो उनकी हालत बेहद खराब होती है. एंबुलेन्स से उन्हें अस्पताल पहुंचाना संभव नहीं होता है. एंबुलेन्स में तैनात स्टाफ घरों में प्रसव कराने को मजबूर हो जाते हैं.
एक्सपर्ट व्यू डिलिवरी को लेकर गर्भवती
महिलाओं हमेशा अलर्ट रहने की जरूरत है. उनको अपनी सेहत की समय-समय पर जांच करानी चाहिए. जांच रिपोर्ट देख कर डॉक्टर प्रसव की तारीख बता देते हैं. तय तारीख से पहले भी प्रसव पीड़ा व दूसरी समस्या हो सकती है. जैसे ही परेशानी हो अस्पताल अपना चाहिए. देरी से जच्चा और बच्चा देनों की जान जोखिम में पड़ सकती है. घर, सड़क आदि स्थानों पर प्रसव खतरनाक है. प्रसव के दौरान अत्याधिक रक्तस्राव से मां को खतरा हो सकता है. शिशु फंस सकता है.
डॉ अमिता सिन्हा, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement