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गार्डिनर रोड अस्पताल में नर्स ही कर रही किडनी मरीजों का डायलिसिस

बिना डॉक्टर व टेक्नीशियन के किडनी डायलिसिस पटना : इलाज के दौरान अगर गार्डिनर रोड अस्पताल में किडनी के गंभीर मरीजों की मौत हो जाये, तो कोई बड़ी बात नहीं है. क्योंकि, यहां किडनी डायलिसिस के मरीजों के लिये न तो टेक्नीशियन है और नहीं आइसीयू. ऐसे में यहां भगवान भरोसे ही किडनी के मरीजों […]

बिना डॉक्टर व टेक्नीशियन के किडनी डायलिसिस
पटना : इलाज के दौरान अगर गार्डिनर रोड अस्पताल में किडनी के गंभीर मरीजों की मौत हो जाये, तो कोई बड़ी बात नहीं है. क्योंकि, यहां किडनी डायलिसिस के मरीजों के लिये न तो टेक्नीशियन है और नहीं आइसीयू. ऐसे में यहां भगवान भरोसे ही किडनी के मरीजों का इलाज चल रहा है.
ऐसे में स्थिति गंभीर होने पर उन्हें तुरंत पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है. इस लापरवाही के पीछे सबसे बड़ा कारण स्वास्थ्य विभाग है. क्योंकि, विभाग गार्डिनर रोड अस्पताल के विकास पर आंखें बंद की हुई हैं. यह स्थिति गार्डिनर रोड अस्पताल के अलावा गर्दनीबाग और राजवंशी नगर हड्डी अस्पताल दोनों की है.
एक-दो साल बाद ही सुविधा पर ग्रहण लगना हो गया शुरू : पीएमसीएच में किडनी डायलिसिस मरीजों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए सरकार ने गार्डिनर रोड अस्पताल में डायलिसिस की व्यवस्था की थी. इसके लिए एक डायलिसिस मशीन का भी इंतजाम किया गया.
शुरुआती दौर में यहां टेक्नीशियन भी व्यवस्था की गयी. लेकिन, एक-दो साल बाद ही सुविधा पर ग्रहण लगना शुरू हो गया. यहां लंबे समय से टेक्नीशियन नहीं
है. जबकि, नियमानुसार टेक्नीशियन ही किडनी डायलिसिस करता है.इसके एवज में अस्पताल प्रशासन नर्स से ही डायलिसिस का काम करवा रहा है. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि नर्स को ट्रेंड किया गया है, जबकि विशेषज्ञ डॉक्टरों की मानें, तो टेक्नीशियन ही इस काम को करता है. यहां रोजाना तीन से चार मरीजों की डायलिसिस होती है.
आईसीयू नहीं, गंभीर हालत में जा सकती है जान
गार्डिनर रोड अस्पताल में ज्यादातर किडनी के मरीजगंभीर हालत में आते हैं. डायलिसिस के दौरान कई बार तो मरीजों की हालत गंभीर हो जाती है. जिसे तुरंत आइसीयू में भर्ती करना होता है.
लेकिन, यहां आइसीयू की व्यवस्था नहीं होने के चलते अस्पताल प्रशासन मजबूरन पीएमसीएच या फिर आईजीआईएमएस रेफर कर देते हैं. ऐसे में अगर आईसीयू की सुविधा होती तो उन मरीजों को रेफर के बदले सीधे आईसीयू वार्ड में भी भर्ती कर दिया जाता. इस स्थिति में जान भी जाने की संभावना बनी रहती है. आईसीयू नहीं होने के चलते पांच से सात गंभीर मरीज यहां रोजाना बिना डायलिसिस के लौट जाते हैं.
प्रस्ताव के बाद भी अमल नहीं
गार्डिनर रोड अस्पताल प्रशासन ने मरीजों की सुविधा को देखते हुए छह बेडों का आईसीयू, किडनी डायलिसिस मशीन, टेक्नीशियन की बहाली आदि का प्रस्ताव बनाकर भेज चुका है. प्रस्ताव पर स्वास्थ्य विभाग की मुहर भी लग चुकी है. लेकिन, आज तक इस दिशा में काम नहीं हुआ.
अस्पताल के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि अगर यहां आईसीयू की सुविधा मिल जाती, तो गंभीर मरीजों का इलाज करने में आसानी होती. इसके अलावा टेक्नीशियन की बहाली होने पर मरीजों को डायलिसिस में सुविधा मिलती. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की मुहर लग गयी है उम्मीद है सुविधा मरीजों को मिलने लगेगी.

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