27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कैथी लिपि का संरक्षण जरूरी, खुले भाषायी विभाग

पटना :कैथी लिपि में उपलब्ध ज्ञान की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए इस लिपि का संरक्षण बहुत आवश्यक है और इसके लिए भारत सरकार, बिहार सरकार एवं बुद्धिजीवियों को समेकित प्रयास करना होगा. भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर द्वारा पटना संग्रहालय सभागार में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए प्रो डॉ रत्नेश्वर मिश्र […]

पटना :कैथी लिपि में उपलब्ध ज्ञान की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए इस लिपि का संरक्षण बहुत आवश्यक है और इसके लिए भारत सरकार, बिहार सरकार एवं बुद्धिजीवियों को समेकित प्रयास करना होगा. भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर द्वारा पटना संग्रहालय सभागार में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए प्रो डॉ रत्नेश्वर मिश्र ने यह बात कही.

उन्होंने इतिहास के उद्धरणों से स्पष्ट किया कि आजादी के बाद की शासन व्यवस्था को इस दिशा में संवेदनशील होकर कार्य करना चाहिए. पूर्व आईएएस आनंद वर्द्धन सिन्हा ने कहा कि बिहार सरकार को एक ऐसा विभाग खोलना चाहिए जिसमें भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका, वज्जिका, सूरजापुरी भाषाओं और बोलियों को बचाने का प्रयास हो.

कैथी कायस्थों की लिपि नहीं : डॉ शिवशंकर
भाषा सत्र में मैथिली के डॉ शिव कुमार मिश्र ने कहा कि यह कहना सही नहीं है कि कैथी कायस्थों की लिपि थी. मिथिला में ब्राह्मणों में कैथी लिखने की बहुत सुदृढ़ परंपरा थी. भोजपुरी के पृथ्वी राज सिंह और भगवती द्विवेदी ने कहा कि भिखारी ठाकुर और महेंदर मिसिर को समझने के लिए कैथी की ही जरूरत होती है. तुलसीदास ने रामचरितमानस कैथी में ही लिखी थी. वज्जिका के डॉ ध्रुव कुमार, मगही के उदय शंकर शर्मा ने क्षेत्र से संबंधित तथ्यों को रखा. पंडित भवनाथ झा ने कहा कि पिछले चार सौ वर्षों से कैथी में सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक दस्तावेज मिलते हैं.
कैथी रिविजनल सर्वे में भी रही थी उपयोगी
समापन समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व आईएएस चंद्रगुप्त अशोकवर्द्धन ने कहा कि बिहार का कैडस्‍टल सर्वे और रिविजनल सर्वे में कैथी बहुत उपयोगी रही थी. कैथी का उपयोग सेंशस शेड्युल में भी किया गया था और बिहार सरकार को विशेष उपाय कर कैथी में लिखित ग्रंथों एवं ज्ञान की परंपरा को बचाने का प्रयास करना चाहिए. केंद्रीय विश्वविद्यालय, हैदराबाद के भाषा विशेषज्ञ प्रो पंचानन मोहंती ने कहा कि कैथी और अन्‍य देशी लिपियों की लिखावट की समानता पर अध्ययन शोध का विषय हो सकता है. धन्यवाद ज्ञापन देते हुए भारतीय भाषा संस्थान के डॉ नारायण चौधरी ने कहा कि उपलब्ध दस्तावेजों का डिजिटाईजेशन कर कंप्यूटर से ओसीआर बना कर नष्ट होने से बचाना ‍है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें