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बिहार : शराबबंदी के कारण घरेलू अपराध के मामले हुए कम, हत्या और अपहरण मामले में चुनौती बरकरार

एनसीआरबी की जारी रिपोर्ट में भी खुलासा, महिलाओं के खिलाफ अपराध में बिहार की स्थिति काफी बेहतर पटना : बिहार में पूर्ण शराबबंदी का सीधा असर अपराध के आंकडों में दिखने लगा है. खासकर महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़ों में काफी कमी आयी है. हाल में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की तरफ से […]

एनसीआरबी की जारी रिपोर्ट में भी खुलासा, महिलाओं के खिलाफ अपराध में बिहार की स्थिति काफी बेहतर
पटना : बिहार में पूर्ण शराबबंदी का सीधा असर अपराध के आंकडों में दिखने लगा है. खासकर महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़ों में काफी कमी आयी है. हाल में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की तरफ से जारी आंकड़ों में भी यह बात स्पष्ट होती है. महिलाओं के खिलाफ अपराध में बिहार की स्थिति इतनी सुधर गयी है कि यह घटकर राष्ट्रीय औसत से भी कम हो गयी है.
वर्ष 2015 की तुलना में वर्ष 2016 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में राष्ट्रीय स्तर पर 2.90 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. जिन राज्यों में महिला अपराध में बढ़ोतरी हुई है, उनमें बिहार है. महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले सबसे ज्यादा हैं. पर बिहार के मामले में इसमें भी कमी आयी है.
महिलाओं के खिलाफ किसी तरह के अपराध की बात की जाये, तो इसके टॉप तीन राज्यों में बिहार की गिनती नहीं होती है.
तीनों प्रमुख अपराधों में प्रदेश कहीं नहीं
महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी आने का सबसे प्रमुख कारण माना जा रहा है, पूर्ण शराबबंदी कानून का लागू होना. महिलाओं के खिलाफ होने वाले कुल अपराधों में पति और परिजनों से प्रताड़ना या घरेलू हिंसा के मामलों की संख्या सबसे ज्यादा है. इनकी संख्या एक लाख 10 हजार 378 है, जो कुल अपराधों का 32.6 प्रतिशत है. इसके बाद बाद छेड़खानी, छींटाकशी समेत अन्य तरह से महिलाओं को प्रताड़ित करने के मामले हैं, जिनकी संख्या 84 हजार 746 (25 प्रतिशत) और अंत में बलात्कार से जुड़े मामले आते हैं, जिनकी संख्या 38 हजार 947 (11.50 प्रतिशत) है. इन तीनों प्रमुख तरह के अपराधों में बिहार का नंबर काफी पीछे है. घरेलू हिंसा के मामले में पहले नंबर पर पश्चिम बंगाल, दूसरे पर राजस्थान और तीसरे पर उत्तर प्रदेश आता है.
छेड़खानी समेत अन्य तरह के अपराधों में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तथा बलात्कार में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र का नंबर आता है.
बिहार :हत्या और अपहरण मामले में अब भी बिहार के सामने चुनौती बरकरार
पटना : नीतीश सरकार के लगातार प्रयास से बिहार की छवि काफी हद तक बदली है. लेकिन 30 नवंबर को जारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े एक बार फिर हकीकत की तस्वीर दिखा गयी. अपहरण और हत्या के मामले में बिहार की कहानी पहले से कुछ ज्यादा जुदा नहीं है. अब भी इन मामलों में चुनौती बरकरार है.
– अपरहण के वर्षवार आंकड़े
प्रदेश का नाम 2014 2015 2016
उत्तर प्रदेश 12361 11999 15898
महाराष्ट्र 3794 8255 9333
बिहार 6575 7128 7324
झारखंड 1425 1402 1309
– हत्या के वर्षवार आंकड़े
प्रदेश का नाम 2014 2015 2016
उत्तर प्रदेश 5150 4732 4889
बिहार 3403 3178 2581
महाराष्ट्र 2670 2509 2299
झारखंड 1658 1536 1514

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