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चुनाव पर चुनौती की अगली सुनवाई चार को

तख्त श्रीहरिमंदिर साहिब. प्रबंधन समिति के चुनाव मामले पर हुई बहस पटना : तख्त श्रीहरिमंदिर साहिब प्रबंधन समिति के चुनाव की सुनवाई गुरुवार को पटना हाईकोर्ट में जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकलपीठ ने की. विस्तृत सुनवाई के लिये चार दिसंबर की तिथि निर्धारित की गयी है. सरदार अमरजीत सिंह ने याचिका दायर की थी. […]

तख्त श्रीहरिमंदिर साहिब. प्रबंधन समिति के चुनाव मामले पर हुई बहस
पटना : तख्त श्रीहरिमंदिर साहिब प्रबंधन समिति के चुनाव की सुनवाई गुरुवार को पटना हाईकोर्ट में जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकलपीठ ने की. विस्तृत सुनवाई के लिये चार दिसंबर की तिथि निर्धारित की गयी है.
सरदार अमरजीत सिंह ने याचिका दायर की थी. पटना सिटी स्थित तख्त श्री हरिमंदिर साहिब प्रबंधन समिति का चुनाव अप्रैल 2012 में हुआ था. इस समिति का कार्यकाल पांच वर्षों के लिए निर्धारित था, जो वर्ष 2017 के अप्रैल माह में समाप्त हो गया. कार्यकाल समाप्त होने के छह माह बाद भी पुनः चुनाव नहीं कर इसके पदाधिकारियों का चुनाव करा दिया गया. इसको पटना के निचली अदालत में चुनौती दी गयी. मामले पर पटना के जिला न्यायाधीश ने सुनवाई करते हुए खारिज कर दिया था.
पटना : तिलका मांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर की ओर से दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की एलएलबी की डिग्री को तथाकथित रूप से फर्जी करार दिये जाने के विश्वविद्यालय के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय को मूल रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का आदेश दिया है. अगली सुनवाई 10 दिन बाद होगी. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने जितेंद्र सिंह तोमर की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की. गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल सरकार में कानून मंत्री रहे तोमर को पिछले साल दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. तोमर पर आरोप था कि उनकी एलएलबी की डिग्री जाली है.
इसको लेकर तोमर को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. तोमर फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. पूर्व मंत्री तोमर की कथित एलएलबी की डिग्री के सिलसिले में उनके खिलाफ थाना तातारपुर में तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलसचिव मोहन मिश्र ने प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन दिया था. हालांकि तोमर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने में विश्वविद्यालय ने काफी देरी की थी. जबकि उनकी एलएलबी डिग्री रद्द करने का फैसला सीनेट ने काफी पहले ही ले लिया था. तोमर के पटना हाईकोर्ट में इसके खिलाफ दायर याचिका के बाद विश्वविद्यायल प्रशासन हरकत में आया था.
मामले में दिल्ली पुलिस ने बहुत पहले ही साकेत कोर्ट में इस मामले में आरोप पत्र दायर कर दिया था. जिसमें तोमर के अलावा तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय और मुंगेर की विश्वनाथ सिंह आफ लीगल स्टडीज के 17 अधिकारी और कर्मचारी आरोपी बनाए गए थे.
इनमें 15 अधिकारियों और कर्मचारियों को पूर्व प्रतिकुलपति डाॅ अवधेश कुमार राय की अध्यक्षता में बनी आंतरिक जांच समिति ने कसूरवार ठहराया था. पुलिस की कागजी पड़ताल और पूछताछ में भी इनका दोष सामने आया था. दो अन्य पर जिनमें मुंगेर के वीएनएस आफ लीगल स्टडीज के सेंटर सुपरिटेंडेंट अनिल कुमार सिंह और कॉलेज के मालिक आनंद विजय पर भी चार्जशीट में आरोप तय किया गया था.
पटना : कटिहार जिला के कदवा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेसी विधायक शकील अहमद खान को पटना हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. उनके विरुद्ध दायर चुनावी याचिका को खारिज कर दिया है.
याचिका वामपंथी नेता विनोदानंद साह ने दायर किया था. जस्टिस ज्योतिशरण की एकलपीठ ने चुनावी याचिका पर 24 अगस्त को सुनवाई पूरी कर सुरक्षित रखे गये आदेश में गुरुवार को अपना फैसला सुनाया. गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने वर्ष 2015 में आयोजित 16वीं विधानसभा चुनाव में कटिहार जिला के कदवा विधानसभा सभा निर्वाचन क्षेत्र से कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर नामांकन पत्र भरा था.
नामांकन पत्र अधूरा रह गया था. सुधार करने का मौका दिये जाने के बावजूद नामांकन प्रपत्र सही तरीके से नहीं भरने से इनका नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया. जिसके बाद इन्होंने पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर निर्वाचित कांग्रेस उम्मीदवार शकील अहमद के निर्वाचन को चुनौती दी थी.

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