Advertisement
बिहार : शहर से गंगा को दूर कर देगा एक्सप्रेस-वे, बेकार हो जायेंगे घाट
अनिकेत त्रिवेदी पटना : गंगा के किनारे दो बड़े प्रोजेक्टों पर काम किया जा रहा है. पहला केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना के तहत 254 करोड़ की लागत से गंगा किनारे 20 नये घाट बनाये जा रहे हैं. जिनका काम लगभग 80 फीसदी पूरा हो चुका है. वहीं दूसरी बड़ी योजना राज्य सरकार की […]
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : गंगा के किनारे दो बड़े प्रोजेक्टों पर काम किया जा रहा है. पहला केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना के तहत 254 करोड़ की लागत से गंगा किनारे 20 नये घाट बनाये जा रहे हैं.
जिनका काम लगभग 80 फीसदी पूरा हो चुका है. वहीं दूसरी बड़ी योजना राज्य सरकार की ओर से चलायी जा रही है. इसमें राज्य सरकार की बिहार पथ विकास निगम की ओर से 3160 करोड़ की लागत से गंगा में 20.5 किमी की सड़क व एलिवेटेड सड़क का निर्माण किया जा रहा है. जो आने वाले चार वर्षों में तैयार हो जायेगा. मगर इन दोनों योजनाओं के परिणाम पर नजर डालें जो दोनों एक दूसरे से विपरित परिणाम देने वाली है.
भले ही गंगा पाथ के निर्माण से राजधानी में जाम की समस्या दूर होगी, अशोक राजपथ का नया
विकल्प लोगों को मिलेगा. लेकिन जानकारों की माने तो गंगा के पेट में इस तरह के निर्माण से गंगा शहर से और दूर चली जायेंगी. यानी लोगों की सुविधा के लिए जिस उद्देश्य से गंगा घाटों का निर्माण किया जा रहा है या भविष्य में इन काम को और बढ़ाने की योजना है. वो गंगा के दूर जाने से कोई काम
के नहीं रहेंगे. यानी गंगा पाथ वे के निर्माण से करोड़ों की लागत से बनने वाले घाट से गंगा नदी दूर चली जायेगी और वो भविष्य में बेकार हो जाने वाले हैं.
गंगा से 500 मीटर दूर होना चाहिए निर्माण, एप्रोच रोड बन जायेगा बांध
एनआईटी के प्रोफेसर व नदी मामले के जानकार रमाकर झा बताते हैं कि गंगा से कम से कम 500 मीटर की दूरी तक किसी तरह का ठोस निर्माण होना चाहिए. विशेष का पटना से लेकर फरक्का तक की बाढ़ जोन में आने के कारण इतनी दूरी और आवश्यक है. वहीं वर्तमान में जो गंगा की स्थिति है वो दीघा से बाद से महेंद्रू घाट तक शहर से लगभग तीन किमी गंगा दूर हो रही है.
जो गंगा का खादर जोन है. इसमें बरसात के दिनों में पानी भर जाता है. गंगा पाथ वे का निर्माण किया जा रहा है. इसमें दीघा से लेकर एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट तक (बांस व कलेक्ट्रेट घाट के बीच) एलिवेटेड सड़क का एप्रोच रोड बन रहा है. जो फिलहाल गंगा में शहर से डेढ़ किमी दूर है. भविष्य में यही रोड गंगा के लिए बांध के लिए काम करेगा और फिर शहर तक गंगा नहीं आयेगी.
एलिवेटेड सड़क के पायों पर जमेगी गाद
फिलहाल गंगा नदी अशोक राजपथ पर काली घाट के आस पास शहर के घाटों को टच करती हैं. गंगा पाथ वे के पाये घाट से लगभग 300 मीटर गंगा नदी में बन रहे हैं. जानकार बताते हैं कि तीन चार वर्ष पहले काली घाट के और पहले से गंगा शहर के घाटों को टच कर रही थी. लेकिन फिलहाल वहां रिवर्स होकर गंदा पानी आता है. यही स्थिति रही तो गंगा नदी दो तीन वर्षों से काली घाट से और आगे पटना सिटी की तरफ टच करने लगेगी और घाट धीरे-धीरे दूर हो जायेंगे.
चार घाटों को पहले ही छोड़ चुकी है गंगा
रिवर फ्रंट डेवलपमेंट में जो 20 घाट बनाये जा रहे हैं. उनमें अंटा घाट से लेकर पटना सिटी तक राजा घाट का निर्माण किया जा रहा है. अभी से चार वर्ष पहले इन प्रोजेक्टों को तैयार किया गया था. वर्ष 2018 में इन घाटों का काम फाइनल किया जाना है. फिलहाल प्रोजेक्ट बनने से ही अंटा घाट, बीएन घाट, अदालतगंज घाट व मिश्री घाट से गंगा दूर हो चुकी है. नये रिवर फ्रंट वाले घाट में कृष्णा घाट तक गंगा नहीं टच रही है. गंगा नदी की धारा को शहर के पास लाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर करीब तीन करोड़ रुपये की लागत से गंगा चैनल की खुदाई भी हुई थी.
ऐसे नजदीक आयेगी गंगा
बिहार पथ विकास निगम जिस मकसद से गंगा पाथ वे का निर्माण कर रहा है. उसमें पाथ वे के नीचे गंगा नदी को बहती मानी गयी है. लेकिन प्रोजेक्ट के परिणाम के बाद ऐसा नहीं लगता. गंगा मामले के जानकार व एनआईटी के प्रोफेसर रमाकर झा बताते हैं कि इसके लिए सरकार या विभाग को ट्रेनिंग वर्क करना होगा. इसमें गंगा के दूसरी तरफ बांध बनाकर पानी रोकने का काम. पानी के लिए एंगिल वर्क का डिजाइन के लिए हॉकी स्टीकनुमा स्पर का निर्माण व इस तरफ डि-शिल्टिंग जैसे काम करने होंगे.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement