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बिहार : टर्मिनल भवन बनेगा शानदार लेकिन रनवे रह जायेगा छोटा
पटना : पटना एयरपोर्ट देश के सबसे तेजी से बढ़ रहे एयरपोर्टों में से एक है. 33 फीसदी सालाना वृद्धि दर के साथ वित्तीय वर्ष 2017-18 के प्रथम छह महीने में 14 लाख यात्रियों ने यहां से देश के अलग अलग हिस्सों की यात्राएं कीं. वित्तीय वर्ष के अंत तक यह संख्या 30 लाख पार […]
पटना : पटना एयरपोर्ट देश के सबसे तेजी से बढ़ रहे एयरपोर्टों में से एक है. 33 फीसदी सालाना वृद्धि दर के साथ वित्तीय वर्ष 2017-18 के प्रथम छह महीने में 14 लाख यात्रियों ने यहां से देश के अलग अलग हिस्सों की यात्राएं कीं. वित्तीय वर्ष के अंत तक यह संख्या 30 लाख पार करने की संभावना है.
इतनी तेजी से बढ़ रहे पैसेंजर लोड को संभालने के लिए पांच लाख की क्षमता वाले वर्तमान टर्मिनल भवन को तोड़ कर 45 लाख की क्षमता वाला नया आलीशान और अत्याधुनिक टर्मिनल भवन बनाया जा रहा है.
अगले वर्ष 25 मार्च से चौबीस घंटे विमान सेवाओं का परिचालन भी शुरू कर दिया जायेगा. लेकिन, रनवे अभी भी छोटा ही है. अब तक न तो इसके विस्तार की योजना बनी है और न ही अत्याधुनिकीकरण की. ऐसे में विमानों की लैंडिंग और टेकऑफ में परेशानी आगे भी जारी रहेगी.
पश्चिमी सिरे का रनवे बहुत छोटा: पटना एयरपोर्ट पर तीन तरफ से विमान उतरने की सुविधा है, लेकिन अलग-अलग तरफ से उतरने की अलग-अलग समस्याएं हैं. रनवे की कुल लंबाई 6800 फुट है, लेकिन इस्तेमाल लायक लंबाई कम है. पश्चिम की तरफ से उतरने पर केवल 5500 फीट का लैंडिंग रनवे मिलता है. इस कारण उस तरफ से उतरने पर पायलट को तेज ब्रेक लगाना पड़ता है. हालांकि रनवे का ग्रिप बेहतर होने से ब्रेक लग जाता है.
उत्तरी फनल में सचिवालय टावर बना बाधक: जू की तरफ से उतरने पर पायलट को 6400 फीट का लैंडिंग रनवे मिलता है, लेकिन फनल एरिया में सचिवालय टावर के आने के कारण विमान के बांये डैने के उससे टकराने की आशंका बनी रहती है. जू के बड़े पेड़ों के कारण भी परेशानी होती है.
रेलवे लाइन की वजह से देर से खोलते हैं चक्का: फुलवारी की तरफ से लैंडिंग करने पर रेलवे लाइन बाधक बनता है. इसके कारण विमान अपना चक्का समय पर नहीं खोल पाते हैं, क्योंकि इसके रेलवे लाइन के ओवरहेड वायर से टकराने की आशंका बनी रहती है. देर से चक्का खुलने के कारण लैंडिंग चुनौतीपूर्ण हो जाता है और पायलट को पूरी सर्तकता बरतनी पड़ती है.
– पटना एयरपोर्ट पर लैंडिंग के तीन रास्ते
पर बाधाओं से परेशानी
कैट 1 आईएलएस है नाकाफी
पटना एयरपोर्ट के रनवे पर लगा इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम कैट वन अपने उद्देश्य को ठीक तरह से पूरा नहीं कर पा रहा है. यहां रनवे पर लगा लोकलाइजर और ग्लाइडिंग पाथ 1200 मीटर से कम विजिबिलिटी रहने पर काम नहीं कर पाता है. इसके कारण सर्दियों में बहुत परेशानी होती है.
जब घने कोहरे और धुंध के कारण विजिबिलिटी घट कर 800 मीटर तक आ जाती है. यहां भी दिल्ली की तरह कैटेगरी थ्री का आइएलएस लगना चाहिए, जिसके इंस्ट्रूमेंट इतने मजबूत हैं कि 50 मीटर की विजिबिलिटी में भी विमान उतर सकते हैं.
जगह की कमी से आ रही परेशानी
पटना एयरपोर्ट का रनवे विस्तार नहीं होने की वजह जगह की कमी है. एक तरफ चिड़ियाघर तो दूसरी तरफ रेलवे लाइन के कारण इसके विस्तार की गुंजाईश नहीं है. कैट थ्री लैंडिंग इंस्ट्रूमेंट सिस्टम को लगाने के लिए रनवे के बाद भी कम-से-कम 900 मीटर जमीन चाहिए, जिसकी व्यवस्था यहां संभव नहीं है.
जगह की कमी की वजह से रनवे विस्तार की गुंजाइश कम है. जहां तक संभव हैं हम प्रयास कर रहे हैं.
आरएस लाहौरिया, निदेशक, पटना एयरपोर्ट
दिल्ली जानेवाले 16 में नौ विमान देर से उड़े
पटना एयरपोर्ट पर मंगलवार को 10 विमान देर से उड़े. उनमें नौ फ्लाइट दिल्ली जाने वाली और एक हैदराबाद जाने वाली थी. दिल्ली जाने वाले 16 में नौ फ्लाइट के देर होने की वजह वहां तीन रनवे में से एक पर रिकारपेटिंग का काम होना है. इसकी वजह से बाकी दोनों रनवे पर फ्लाइट का लोड बहुत अधिक बढ़ गया है . इससे विमानों का लंबा क्यू लग रहा है और लंबे समय तक उन्हें आसमान में चक्कर लगाना पड़ रहा है. इससे बचने के लिए वहां जाने वाले ज्यादातर विमान पटना से ही देर से उड़े.
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