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अब ईपी लेसिक तकनीक से मिलेगी चश्मे से मुक्ति

चश्मे के ज्यादा नंबर और पतले कॉर्निया से परेशान मरीजों को होगा लाभ पटना : अगर आप लगातार चश्मा पहनने से ऊब गये हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है. अब नयी तकनीक ईपी लेसिक की सहायता से ऐसे मरीजों का भी इलाज हो सकेगा जिनका इलाज लेसिक से नहीं हो पाता और वो पावर […]

चश्मे के ज्यादा नंबर और पतले कॉर्निया से परेशान मरीजों को होगा लाभ
पटना : अगर आप लगातार चश्मा पहनने से ऊब गये हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है. अब नयी तकनीक ईपी लेसिक की सहायता से ऐसे मरीजों का भी इलाज हो सकेगा जिनका इलाज लेसिक से नहीं हो पाता और वो पावर का चश्मा पहने रहने को मजबूर होते हैं. पटना ऑप्थेल्मोलॉजिकल सोसाइटी की ओर से चल रहे 55वें कॉन्फ्रेंस के समापन पर मुंबई से आये डॉ टीपी लहानी और आईजीआईएमएस के विभागाध्यक्ष डॉ विभूति प्रसाद सिन्हा ने ये बातें कही.
डॉ लेहानी ने कहा कि अमेरिका में ईपी लेसिक पर शोध सफल हुआ है. इतना ही नहीं अमेरिका के टीचिंग हॉस्पिटल ऑफ न्यूयॉर्क मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर्स ने दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े अस्पतालों के आंख के डॉक्टरों को इसकी ट्रेनिंग दी है. कार्यक्रम के दौरान क्विज कंप्टिशन का आयोजन भी किया गया जिसमें पांच मेडिकल छात्रों को गोल्ड मेडल प्रदान किया गया.
यूरोप में हो रहा अधिक प्रयोग : नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सुनील सिंह ने बताया कि एफडीए से मान्यता प्राप्त इस तकनीक का इस्तेमाल यूरोपीय देशों में ज्यादा हो रहा है. यह तकनीक उन लोगों के लिए लाभकारी है, जो चश्मे के ज्यादा नंबर और पतले कॉर्निया के कारण अनफिट कर दिये जाते हैं.
इसकी खासियत यह है कि यह आसानी और असरदार तरीके से कॉर्निया को कम होने से बचाती है. डॉ सुनील ने कहा कि कॉर्निया आंख का सबसे पारदर्शी और नाजुक हिस्सा होता है. इसे आसानी से लेजर की सहायता से एडजस्ट किया जा सकता है. लेसिक का इस्तेमाल करने से कॉर्निया की मोटाई करीब 120 से 130 माइक्रॉन कम हो जाती है जबकि ईपी लेसिक में ऐसा नहीं होता. वहीं डॉ नीलेश मोहन ने कहा कि इस तकनीक में ट्रैकर की सहायता से केवल प्रभावित हिस्से पर लेसिक किया जाता है.
पटना : बिहार ऑप्थेल्मोलॉजिकल सोसाइटी के 55वें वार्षिक सम्मेलन में संगठन का चुनाव ज्ञान भवन में हुआ. नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सुनील कुमार सिंह अपने प्रतिद्वंद्वी डॉ सुनील परमार को चुनाव में हरा कर सोसाइटी के सचिव बने. चुनाव की तैयारी में उम्मीदवार छह माह से लगे थे. इसके अलावा उपाध्यक्ष पद का चुनाव डॉ. मिलिंद ने जीता.

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