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बिहार : बच्ची ने निगला सिक्का, सर्जरी से बची जान

सबक : गले में अटक गया था सिक्का, सांस लेने में होने लगी थी परेशानी पटना : तीन साल की निशा की जान उस समय बच गयी जब उसके गले से एक का सिक्का डॉक्टरों ने निकाला. पीएमसीएच के ईएनटी विभाग के डॉक्टरों ने गले में फंसे एक रुपये का सिक्के को काफी मशक्कत के […]

सबक : गले में अटक गया था सिक्का, सांस लेने में होने लगी थी परेशानी
पटना : तीन साल की निशा की जान उस समय बच गयी जब उसके गले से एक का सिक्का डॉक्टरों ने निकाला. पीएमसीएच के ईएनटी विभाग के डॉक्टरों ने गले में फंसे एक रुपये का सिक्के को काफी मशक्कत के बाद निकाला.
कुछ देर बाद बच्ची को होश आ गया. इसके बाद परिजन उसे लेकर अपने घर चले गये. जानकारी के अनुसार बिहटा की रहने वाले संतोष कुमार की बेटी निशा सिक्कों को लेकर खेल रही थी. खेल-खेल में एक रुपये का सिक्का ही निगल लिया. सिक्का उसके गले में फंस गया.
कुछ ही देर में उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी तब जाकर घरवालों को इसकी जानकारी हुई. परिजन उसे लेकर पास के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गये, लेकिन डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिये और पीएमसीएच रेफर कर दिया. यहां आने के बाद डॉक्टरों ने छोटा ऑपरेशन कर गले से सिक्का निकाला. वहीं इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि सिक्का मुंह में रखने के कारण वह गरदन में अटक गया. हालांकि इलाज के बाद उसकी हालत ठीक है.
माता-पिता रहें अलर्ट
अगर आपका भी बच्चा छोटा है, तो आपको हमेशा अलर्ट रहना चाहिए. पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ दीपक टंडन ने कहा कि छोटे बच्चों को लेकर माता-पिता को अलर्ट रहना चाहिए और ध्यान देना चाहिए कि उसके हाथ में किसी तरह का कोई छोटा सिक्का, बैटरी आदि सामान तो नहीं है. क्योंकि पीएमसीएच में इस तरह के केस हमेशा आते रहते हैं.
बिहार : इंडोस्कोपी से हुई नाक के ट्यूमर की सर्जरी
पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इएनटी विभाग में रविवार को इंडोस्कोपी विधि से नाक के ट्यूमर की सर्जरी हुई, जिसमें तीन मरीजों की सर्जरी तमिलनाडू से आये डॉ पीएन जानकी राम, नयी दिल्ली के डॉ एसके सिंह व भोपाल के डॉ एसपी दूबे ने की. इस मौके पर बिहार व झारखंड के 125 इएनटी सर्जन ने शल्य चिकित्सा का लाइव देखा.
इंडोस्कोपी के बाद 14 दिनों में ठीक हो जाता है मरीज
विभागाध्यक्ष डॉ चंद्रशेखर ने बताया कि दस से 25 वर्ष की आयु वाले युवाओं में यह बीमारी होती है. इसमें नाक में मांस बढ़ जाता है, जिससे रक्त प्रवाह होता है. इंडोस्कोपी से इलाज संभव है. पहली बार इंडोस्कोपी विधि यह आॅपरेशन हुआ है. इसमें मरीज 14 दिनों में ठीक हो जाता है. पहले इसमें काफी समय लगता था.

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