Advertisement
नर्सिंग काउंसिल ऑफ इंडिया पर 20 हजार रुपये का जुर्माना
आदेश. नर्सिंग स्कूल को मान्यता मामले में अधूरी जानकारी देने पर सख्ती पटना : हाईकोर्ट ने नर्सिंग स्कूल को मान्यता नहीं दिये जाने के मामले में अदालती आदेश के बाद आधी-अधूरी जानकारी देने पर नाराजगी जाहिर करते हुए इंडियन नर्सिंग काउंसिल पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. अदालत ने उक्त जुर्माने की राशि […]
आदेश. नर्सिंग स्कूल को मान्यता मामले में अधूरी जानकारी देने पर सख्ती
पटना : हाईकोर्ट ने नर्सिंग स्कूल को मान्यता नहीं दिये जाने के मामले में अदालती आदेश के बाद आधी-अधूरी जानकारी देने पर नाराजगी जाहिर करते हुए इंडियन नर्सिंग काउंसिल पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. अदालत ने उक्त जुर्माने की राशि याचिकाकर्ता को देने का निर्देश दिया है.
जस्टिस चक्रधारीशरण सिंह की एकलपीठ ने मित्र एएनएम ट्रेनिंग स्कूल की ओर से दायर रिट याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया.
याचिकाकर्ता द्वारा अदालत को बताया गया कि वर्ष 2016-17 सत्र के लिए मान्यता संबंधी आवेदन नर्सिंग काउंसिल में दिया गया था. संस्थान को सरकार से पूर्व में ही मान्यता हासिल हो चुकी है.
वहीं नर्सिंग काउंसिल की जांच में कुछ कमियां पायी गयीं जिसके बाद काउंसिल ने संस्थान पर नामांकन लेने से रोक लगा दिया. काउंसिल के उक्त आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगायी. जिसपर सुनवाई करते हुए अदालत ने 18 सितंबर को तीन सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया.
तीन सप्ताह के बाद भी जवाब नहीं दिये जाने से नाराज अदालत ने 10 अक्तूबर को काउंसिल पर 20 हजार का जुर्माना यह कहते हुए लगाया था कि यदि दो सप्ताह के भीतर स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब नहीं दिया गया तो काउंसिल के चेयरमैन को स्वयं अदालत में उपस्थित होना पड़ेगा. काउंसिल की ओर से मंगलवार की सुनवाई के क्रम में जवाबी हलफनामा तो दायर किया गया. लेकिन अदालत ने जवाबी हलफनामा में दी गयी आधी-अधूरी जानकारी पर असंतोष व्यक्त करते हुए नाराजगी जतायी और फिर से काउंसिल पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया.
पटना. राज्य में बढ़ रहे डेंगू के प्रकोप से पीड़ित मरीजों को खून की मांग के मुकाबले ब्लड बैंकों में इसकी कमी पर हाईकोर्ट ने सुनवाई आरंभ कर दी है. चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ द्वारा लिये गये स्वतः संज्ञान को जनहित का मामला मानते हुए मंगलवार को अदालत ने इस मामले में स्वास्थ्य विभाग एवं नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को प्रतिवादी बनाने का निर्देश देते हुए राज्य सरकार से स्थिति स्पष्ट कर जवाब देने का निर्देश दिया.
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस डाॅ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित समाचार पर लिये गये स्वतः संज्ञान पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. गौरतलब है कि अखबारों मे छपी खबर की ओर अदालत का ध्यान आकृष्ट कराया गया था. जिसमें प्रदेश में डेंगू के प्रकोप की चर्चा थी.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement