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पटना : पाठ्यक्रम बना, पर नहीं छपीं पाठ्य पुस्तकें, हो रही है परीक्षा

पटना : पाठ्यक्रम तो है, पर पढ़ने को किताबें नहीं है. परीक्षा तो हो रही है, पर पाठ्यक्रम के मुताबिक पढ़ाई नहीं. ये स्थिति है माध्यमिक स्कूलों में पढ़ रहे गैर हिंदी भाषी छात्र-छात्राओं की. इनके लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से पाठ्यक्रम तो तैयार किया गया है, पर पुस्तक की व्यवस्था नहीं […]

पटना : पाठ्यक्रम तो है, पर पढ़ने को किताबें नहीं है. परीक्षा तो हो रही है, पर पाठ्यक्रम के मुताबिक पढ़ाई नहीं. ये स्थिति है माध्यमिक स्कूलों में पढ़ रहे गैर हिंदी भाषी छात्र-छात्राओं की. इनके लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से पाठ्यक्रम तो तैयार किया गया है, पर पुस्तक की व्यवस्था नहीं की गयी है. इससे लाखों गैर हिंदी भाषी छात्र व छात्राएं बोर्ड परीक्षाआें में बिना किताब पढ़े ही परीक्षा दे रहे हैं.
वर्ष 2009 से ही किया गया है प्रावधान : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से वर्ष 2009 में सीबीएसई पैटर्न के तहत परीक्षाएं ली जा रही हैं.
माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को द्वितीय भाषा के रूप में संस्कृत, हिंदी व फारसी में किसी एक विषय पर पढ़ना होता है. इसमें हिंदी भाषी संस्कृत और गैर हिंदी भाषी (उर्दू और बांग्लावाले) छात्र-छात्राएं द्वितीय भाषा के रूप में राष्ट्रभाषा हिंदी पढ़ते हैं. इन बच्चों के लिए हिंदी के लिए अलग से पाठ्यक्रम बनाया गया है. यानी नौवीं कक्षा के बच्चे कक्षा सात की हिंदी व दसवीं कक्षा के बच्चे आठवीं की हिंदी पढ़ेंगे.
मध्य विद्यालयों में दी जानेवाली किताबें उपलब्ध नहीं : गैर हिंदी भाषी छात्र-छात्राओं को लेकर जिन मध्य विद्यालयों की पुस्तकों को पढ़ा जाना है. वे पुस्तकें बाजार में उपलब्ध नहीं है. क्योंकि, मध्य विद्यालयों के बच्चों को दी जानेवाली किताबें बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से स्कूलों में नामांकित बच्चों को दी जाती है. ऐसे में अलग से वे किताबें बाजार में उपलब्ध नहीं है. न ही बिहार टेक्स्ट बुक की ओर से उन किताबों की एक्सट्रा प्रिंटिंग करायी जाती है, जिसे गैर हिंदी भाषी छात्र-छात्राओं को दिया जा सके.
करीब दो लाख बच्चे
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के आंकड़ों के मुताबिक प्रतिवर्ष दो लाख गैर हिंदी भाषी छात्र-छात्राएं मैट्रिक की परीक्षा में शामिल होते हैं. बोर्ड में इनकी संख्या को देखते हुए द्वितीय भाषा का प्रावधान तो कर दिया गया है, पर उनके लिए किताबें मुहैया नहीं करायी गयी है. इससे बच्चे जैसे-तैसे परीक्षाआें में पास हो रहे हैं. शिक्षा विभाग से लेकर बोर्ड और एससीईआरटी इन बच्चों के लिये अब तक किताबें उपलब्ध कराने में असक्षम साबित हो रही है.
भविष्य से खिलवाड़
सरकार माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ रहे गैर हिंदी भाषी छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. इस संबंध में कई बार विधानसभा में सवाल भी उठाये गये और शिक्षा विभाग को पत्र भी लिखा गया, पर इसका भी कोई असर नहीं हुआ.
केदार नाथ पांडेय, अध्यक्ष, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ

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