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अब ”स्मार्ट” क्लास से बिहार की बेटियां बनेंगी और ”स्मार्ट” …जानें कैसे
योजना : प्रदेश के 11 जिलों में संचालित अन्य पिछड़ा वर्ग के 12 कन्या आवासीय प्लस टू उच्च विद्यालयों की बदलेगी तस्वीर पटना : सरकारी स्कूलों का नाम सुनते ही टूटा ब्लैक बोर्ड, टूटी-मैली बेंच, धूल जमी कक्षाओं की तस्वीर सामने घूम जाती है. अगर कहा जाये कि यहां की सारी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद होंगी और […]
योजना : प्रदेश के 11 जिलों में संचालित अन्य पिछड़ा वर्ग के 12 कन्या आवासीय प्लस टू उच्च विद्यालयों की बदलेगी तस्वीर
पटना : सरकारी स्कूलों का नाम सुनते ही टूटा ब्लैक बोर्ड, टूटी-मैली बेंच, धूल जमी कक्षाओं की तस्वीर सामने घूम जाती है. अगर कहा जाये कि यहां की सारी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद होंगी और कक्षाएं चमचमायेंगी तो शायद ही कोई भरोसा करे.
पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री ब्रजकिशोर बिंद के दावों पर यकीन करें तो ऐसा ही होने वाला है. प्रदेश के 11 जिलों में संचालित अन्य पिछड़ा वर्ग के 12 कन्या आवासीय प्लस टू उच्च विद्यालयों की तस्वीर बदलने वाली है. कक्षाओं को ‘स्मार्ट’ बनाया जायेगा. नयी तकनीक से लैस कक्षाओं में ‘बेटियां’ बेहतर शिक्षा पायेंगी.
मॉडल विद्यालय की तर्ज पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिये ‘स्मार्ट’ क्लास की शुरुआत होगी. डिजिटल लर्निंग को तवज्जों देते हुये तैयारियां सरकार के स्तर से शुरू हो गई हैं.
रोहतास, पूर्णिया, समस्तीपुर, दरभंगा, सहरसा, सारण, गया, मुंगेर, पटना, मोकामा, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय (प्लस टू उच्च) विद्यालय का संचालन हो रहा है. नियमानुसार एक विद्यालय में 280 छात्राओं के पढ़ने की स्वीकृति है. वर्तमान में 2642 छात्राएं इन आवासीय विद्यालयों में पढ़ रही हैं.
व्यक्तित्व विकास का भी होगा इंतजाम
‘स्मार्ट’ क्लास के तहत कक्षा में छात्राओं को कोर्स की पढ़ाई कराने के साथ उनके व्यक्तित्व विकास का भी पूरा इंतजाम किया जायेगा. सभी आवासीय विद्यालयों को हाईटेक बनाने की तैयारी चल रही है.
स्कूलों में छात्राएं बोर न हों, तेजी से सीखें और आधुनिक तकनीक से रू-ब-रू हो सकें, इसके लिए निजी स्कूलों के तर्ज पर ‘स्मार्ट’ क्लास लगाने की तैयारी की जा रही है. इसमें प्रोजेक्टर पर फिल्म के जरिये छात्राओं की हर जिज्ञासा का त्वरित समाधान होगा. स्कूलों में फुलप्रूफ साउंड सिस्टम लगाया जायेगा. विशेष सॉफ्टवेयर भी तैयार किया जा रहा है. बस्ता से किताब व काॅपियों का बोझ कम होगा. अधिकतर विषय फल्मिों व एनिमेशन दृश्यों के जरिए पढ़ाए जाएंगे. हर कक्षा में मार्कर आधारित बोर्ड लगेंगे.
पर्याप्त बिजली आपूर्ति होगी चुनौती
स्मार्ट क्लास में बिजली सबसे बड़ी रोड़ा बनेगी. पटना को छोड़ दें तो बाकी जगह बिजली का कोई पता-ठिकाना नहीं रहता. इसलिए स्मार्ट क्लास को संचालित करने में बाधाएं आ सकती हैं. हालांकि, विभागीय स्तर से जेनरेटर होने का दावा किया जा रहा है.
पढ़ाने का तरीका बदलेगा
अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय विद्यालयों में पढ़ाने का तरीका बदला जायेगा. संसाधन उपलब्ध कराते हुए व्यवस्थाएं हाईटेक करनी हैं. इसको लेकर लगातार काम चल रहा है. तब जाकर निर्णय हुआ है कि अब कक्षाओं को ‘स्मार्ट’ क्लास के तर्ज पर बनाया जाये. आवासीय विद्यालयों में ‘स्मार्ट’ क्लास जल्दी ही देखने को मिलेगा.
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